मीडिया में लगातार ऐसी ख़बरें चल रही हैं कि भारत सरकार सार्वजनिक दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल को बंद करने जा रही है। यहाँ तक कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने भी इस ख़बर को लेकर सरकार को घेरा। वामपंथी नेता सीताराम येचुरी ने भी लिखा कि मोदी सरकार अपने दोस्त उद्योगपतियों को बचाने के लिए सार्वजनिक उपक्रमों को बर्बाद करने पर तुली हुई है। सूर्यकांत मिश्रा और सुजन चक्रवर्ती सहित अन्य वामपंथी नेताओं ने भी इस ख़बर के आधार पर सरकार को आड़े हाथों लिया।
So who could be interested in closing down BSNL and MTNL? Those who advertised on front pages of newspapers, for big corporate rivals of BSNL and MTNL? Helping friends and cronies to destroy the public sector. https://t.co/OtR4N2Djbm
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) October 9, 2019
ख़बरों में कहा जा रहा था कि वित्त मंत्रालय बीएसएनएल और एमटीएनएल को बंद करना चाहती है। अब सरकार ने ऐसी ख़बरों का खंडन किया है। टेलीकॉम डिपार्टमेंट (DoT) के सेक्रेटरी अंशु प्रकाश ने कहा कि ऐसी सभी सूचनाएँ ग़लत हैं। उनसे पूछा गया था कि क्या वित्त मंत्रालय बीएसएनएल और एमटीएनएल को बंद करने की फ़िराक़ में है। एक मोबाइल टॉवर संगठन के कार्यक्रम के इतर उन्होंने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने इस ख़बर को नकार दिया कि वित्त मंत्रालय ने दोनों कंपनियों को बंद करने की सलाह दी है।
इससे पहले बीएसएनएल ने अपने सभी कर्मचारियों को अगस्त महीने के वेतन का भुगतान किया था, जो कुछ समय से अटका पड़ा था। फ़िलहाल बीएसएनएल के पुनरुद्धार के लिए एक रिवाइवल पैकेज तैयार किया गया है। आशा जताई जा रही है कि इस पैकेज के जारी होने के बाद अगले 5 वर्षों में बीएसएनएल घाटे से उबर कर लाभ देने वाली कम्पनी बन जाएगी।
A top telecom department (DoT) official indicated that the #FinanceMinistry is not in favour of closing down state-run #BSNLhttps://t.co/T86e3wY7YP
— Financial Express (@FinancialXpress) October 11, 2019
अगर वित्तीय वर्ष 2018-19 की बात करें तो बीएसएनएल को 14,000 करोड़ का घाटा हुआ है इसी वित्त वर्ष के दौरान और कम्पनी का राजस्व भी घट कर 19,308 करोड़ रुपया हो गया है। वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान पब्लिक सेक्टर कम्पनी बीएसएनएल को 4,859 करोड़ का घाटा हुआ था। वित्त वर्ष 2017-18 में यह आँकड़ा 7,993 करोड़ रहा, जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में बीएसएनएल का प्रोविजनल घाटा बढ़ कर 14,203 करोड़ हो गया। ये आँकड़े संसद सत्र के दौरान पेश किए गए थे।