प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में सालाना 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाले लोगों की संख्या पाँच गुना बढ़ गई है, और इनकी आयकर में हिस्सेदारी 75% से भी अधिक है। आयकर रिटर्न (ITR) के आँकड़ों के अनुसार, पिछले दस सालों में इनकम टैक्स भरने वालों की संख्या में लगभग 120% की बढ़ोतरी हुई है। मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान 20 लाख रुपये सालाना से कम कमाई वाले मध्यम वर्ग पर टैक्स का बोझ घटा है।
आँकड़ों के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2013-14 में 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाले लोगों की संख्या 1.85 लाख थी, जो 2023-24 में बढ़कर 9.39 लाख हो गई है। इस आय वर्ग में तेजी से बढ़ोतरी देखी गई है। इनके द्वारा 2014 में 2.52 लाख करोड़ रुपये का टैक्स दिया जा रहा था, जो 2024 में बढ़कर 9.62 लाख करोड़ रुपये हो गया। अभी 50 लाख रुपये से ज्यादा कमाने वाले लोग कुल आयकर का 76% अदा करते हैं, जिससे मध्यम वर्ग का टैक्स बोझ कम हुआ है। इसके पीछे टैक्स चोरी और काले धन के खिलाफ मोदी सरकार द्वारा लागू सख्त कानूनों का योगदान बताया गया है।
वित्तीय वर्ष 2013-14 में 5.5 से 9.5 लाख रुपये की सालाना आय वाले लोगों का अनुपात 18% था, जो अब 23% हो गया है। इसी तरह, 10-15 लाख रुपये आय वर्ग का आयकर योगदान 12% है, जबकि 25-50 लाख रुपये की आय वाले लोगों का योगदान 10% है। 2014 में 2 लाख रुपये सालाना कमाने वाले पर टैक्स देना अनिवार्य था, लेकिन अब 7 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट और कटौतियों के कारण टैक्स देना जरूरी नहीं है।
वहीं, 2014 में 10 लाख रुपये से कम आय वालों से कुल टैक्स का 10.17% जमा किया जाता था, जबकि 2024 में यह घटकर 6.22% रह गया है। 2023-24 में 2.5 से 7 लाख रुपये सालाना आय वाले लोगों पर औसतन 43,000 रुपये टैक्स का बोझ था, जो उनकी आय का लगभग 4-5% है, और इसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम स्तर पर माना जाता है।
महँगाई दर को ध्यान में रखते हुए, 10-20 लाख रुपये आय वर्ग में टैक्स में लगभग 60% की कमी हुई है। व्यक्तिगत आयकर रिटर्न भरने वालों की संख्या 2013-14 में लगभग 3.60 करोड़ थी, जो 2023-24 में बढ़कर 7.97 करोड़ हो गई है, यानी 121% की बढ़ोतरी।
सरकारी आँकड़ों के अनुसार, लगभग 75 लाख करदाताओं ने संशोधित ITR भरे, जिससे आयकर विभाग को अतिरिक्त 8,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। लगभग 74% करदाताओं ने नई टैक्स प्रणाली को अपनाया है। 1 करोड़ रुपये से ज्यादा की कर योग्य आय वाले करदाताओं की संख्या 2013-14 में 44,078 थी, जो 2023-24 में बढ़कर लगभग 2.3 लाख हो गई है। टैक्स विभाग के अनुसार, व्यक्तिगत टैक्स रिटर्न की संख्या भी दोगुनी होकर 3.3 करोड़ से लगभग 7.5 करोड़ तक पहुँच गई है।