देश के सबसे बड़े शैक्षिक संस्थानों में से एक IIT कानपुर में कोरोना को लेकर किए गए एक अध्ययन में पाया है कि कुम्भ में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ या चुनावी रैलियों में आए लोगों से इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। रिसर्च के अनुसार, मई 2021 कोरोना की दूसरी लहर का सबसे भयंकर रूप देखने को मिलेगा। कुछ राज्यों में यह अप्रैल के अंत में पीक पर होगा। IIT कानपुर के प्रोफेसर पद्मश्री मणिंद्र अग्रवाल ने इस अध्ययन में सभी राज्यों में अलग-अलग कोरोना के पीक टाइम और ग्राफ गिरने की तारीख का अनुमान लगाया है।
प्रोफेसर मणिन्द्र और उनकी टीम ने पूरे देश के डेटा का अध्ययन किया और अलग-अलग राज्यों में मिलने वाले कोरोना के साप्ताहिक आँकड़ों को भी देखा। एक कम्प्यूटर आधारित मॉडल पर ये सब कुछ किया गया। ‘दैनिक भास्कर’ ने उनसे बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र में कोरोना का उच्चतम स्तर आ चुका है और राज्य में अब अगले कुछ दिनों में संक्रमितों की संख्या बढ़ने की बजाए घटने लगेगी।
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और राजस्थान में 20 से 30 अप्रैल के बीच सबसे ज्यादा कोरोना के मरीज मिलेंगे। अध्ययन में जुटाए गए आँकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में एक दिन में सबसे ज्यादा 32,000 केस आने की आशंका है। इसके बाद दिल्ली में यह आँकड़ा 30,000, पश्चिम बंगाल में 11,000, राजस्थान में 10,000 और बिहार में 9,000 के आसपास रह सकता है।
इस रिसर्च में सबसे बड़ी बात कुम्भ और चुनावी रैलियों को लेकर पता चली। प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने कहा कि इन दोनों आयोजनों से कोरोना के प्रसार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि कुछ मामलों में जरूर बढ़ोतरी होगी, लेकिन कोई ऐसा असर नहीं दिखेगा जिससे देश की स्थिति बिगड़ जाए। साथ ही उन्होंने पूछा कि जो लोग बंगाल, केरल, तमिलनाडु में केस बढ़ने का कारण रैली और सभाओं को बता रहे हैं वो महाराष्ट्र और दिल्ली के लिए क्या कारण बताएँगे?
उन्होंने कारण बताया कि खुली जगह में आयोजित इन कार्यक्रमों से कोरोना वायरस नहीं फैलेगा। उन्होंने पाया कि पहले चरण में सामान्य और गरीब लोगों को कोरोना ने ज्यादा निशाना बनाया था, क्योंकि एक तो वो बाहर रह कर काम कर रहे थे और दूसरा बचाव के लिए उनके पास संसाधन नहीं थे। अपार्टमेंट्स और बड़े घरों में रहने वाले लोग तो उसमें ही कैद हो गए थे। टीकाकरण शुरू हुआ तो ये लोग निकले। उन्होंने बताया कि इसी कारण दूसरे हमले में ज्यादा से ज्यादा लोग इसके शिकार हो रहे हैं।
उन्होंने जानकारी दी कि गुजरात, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों का डेटा भी अभी साफ नहीं है, जबकि तमिलनाडु में 6 मई को सबसे ज्यादा मामले आने की आशंका है। अध्ययन में पाया गया कि कोरोना के मामले कम होने पर लोगों ने भी खूब लापरवाही की।
बता दें कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में स्वतः आगे कर अखाड़ों ने कुम्भ के समाप्ति की घोषणा की है और इसे अब प्रतीकात्मक ही रखा गया है। उत्तराखंड और हरिद्वार को कोरोना वायरस से सुरक्षित रखने और इसके लिए जारी सरकारी दिशा-निर्देशों का पालन ठीक से हो, इसीलिए अखाड़ों ने ये फैसला लिया है। निरंजनी अखाड़ा, आनंद अखाड़े और जूना अखाड़ा ने ये घोषणा की, जिसका अन्य साधुओं ने अनुमोदन किया।