IIT कानपुर के एक प्रोफेसर हैं मणिन्द्र अग्रवाल, जिन्हें भारत सरकार पद्मश्री से भी नवाज चुकी है। उन्होंने देश के अलग-अलग इलाकों में कोरोना वायरस की दूसरी लहर के आँकड़ों का अध्ययन करते हुए ग्राफ के माध्यम से बताया है कि किस इलाके में कोरोना का पीक कब आएगा। यानी, संक्रमण की दूसरी लहर कब चरम पर होगी। इसके लिए उन्होंने ग्राफिक्स तकनीक और गणित का सहारा लिया है। लगभग एक दर्जन बड़े पुरस्कारों से सम्मानित अग्रवाल ने अपने अध्ययन के निष्कर्षों को अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया है।
सबसे पहले बात वाराणसी की। मणिन्द्र अग्रवाल के हिसाब से वाराणसी के कर्व अब मुड़ गया है। इस हिसाब से वहाँ कोरोना का पीक टाइम चल रहा है। इसी तरह प्रयागराज में भी कोरोना का पीक आ चुका है।
Finally, Varanasi curve has bent, so seems to be at peak. pic.twitter.com/QtByd05gQ8
— Manindra Agrawal (@agrawalmanindra) April 18, 2021
उत्तर प्रदेश के नोएडा का कर्व एक सप्ताह बाद नीचे आना चालू होगा। इसका अर्थ है कि वहाँ एक हफ्ते बाद कोरोना का उच्चतम स्तर आ सकता है। कानपुर की भी यही स्थिति है। वहाँ भी 1800 मामले के साथ ही कोरोना का पीक एक हफ्ते में बीत जाएगा।
Curves for Noida are also in sync now. Also peaking within a week. pic.twitter.com/WxrnMYj4Hk
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहाँ कोरोना के लिए जो प्रोजेक्ट किया गया था, उससे पहले ही पीक आ सकता है। मणिन्द्र ने अपने अध्ययन में यहाँ अप्रैल महीने के अंत में कोरोना की सबसे बड़ी लहर आने का अनुमान लगाया था, लेकिन वहाँ उससे पहले ही पीक आ रहा है। चेन्नई में भी प्रतिदिन 4500 मामलों के साथ अप्रैल के अंत में कोरोना का उच्चतम स्तर आएगा।
Now to cities of UP. First Lucknow. Is it peaking before projected? pic.twitter.com/Jpvwc0pWjl
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झारखंड की राजधानी राँची में अप्रैल 22 तक कोरोना का पीक आने की आशंका है, जिसके बाद मामले घटने लगेंगे। यहाँ प्रतिदिन 1200 कोरोना केसेज के साथ संक्रमण का उच्चतम स्तर आएगा। छत्तीसगढ़ के कोरबा में अप्रैल के अंतिम हफ्ते में कोरोना का पीक आएगा।
Adding capital of Jharkhand — Ranchi. It appears very close to peak. pic.twitter.com/hk57yJuzH1
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वहीं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के लोग अभी कोरोना की उच्चतम लहर का सामना कर रहे हैं और इसके बाद उन्हें राहत मिलने की उम्मीद है। इसी तरह नागपुर का पीक भी बीत चुका है और वहाँ कोरोना के मामले घटने की संभावना है।
Nagpur was drifting earlier, and seems to be stabilizing now. I would not place too much faith on predictions yet. pic.twitter.com/Qea5k3VBQ9
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IIT कानपुर के प्रोफेसर के अध्ययन की मानें तो बिहार की राजधानी पटना में भी अप्रैल 23 तक कोरोना का पीक आने की आशंका है। वहाँ अभी भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ठाणे में अप्रैल 16 को कोरोना का पीक आने की आशंका थी, लेकिन इससे पहले ही वहाँ कोरोना के मामले घटने शुरू हो गए हैं।
Adding Thane. It seems to have peaked before predicted time. Let us see how it goes. pic.twitter.com/ZAylVPPpiw
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कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में स्थिति भयावह है और कोरोना के मामले अभी बढ़ते रहेंगे। वहाँ आधा मई बीत जाने के बाद ही राहत मिलने की उम्मीद है। वहीं कोरोना से बेहाल महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में अप्रैल 30 के बाद राहत मिलनी चालू हो जाएगी, क्योंकि केस घटने लगेंगे। मुंबई का कर्व फ़्लैट होना चालू हो गया है।
Mumbai has almost flattened. pic.twitter.com/2ky5BfHE3t
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इस अध्ययन के हिसाब से पुणे में अप्रैल मध्य का महीना बीत जाने के साथ ही कोरोना का पीक आना था, जिसके बाद ग्राफ फ़्लैट होता। लेकिन, वहाँ ग्राफ पहले से ही अनिश्चित ऊपर-नीचे हो रहा है। इस तरह पूरे भारत की बात करें तो अप्रैल महीना ख़त्म होने से लेकर मई मध्य तक ग्राफ फ़्लैट होने लगेगा। साथ ही कोरोना का प्रकोप भी कम होने लगेगा। ध्यान रखिए, ये अध्ययन कम्प्यूटर आधारित मॉडल पर लगाया गया एक अनुमान है।
ये अध्ययन करने वाले प्रोफेसर मणिन्द्र अग्रवाल IIT कानपुर के कम्प्यूटर साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग में कार्यरत हैं। उन्होंने वहीं से 1986 में बीटेक किया था, जिसके बाद उसी संस्थान से Ph.D की डिग्री ली। मणिन्द्र ने फरवरी में ही आशंका जताई थी कि अगले कुछ हफ़्तों में मामले 5 लाख हो सकते हैं, लेकिन साथ ही कहा था कि ये उतना घातक नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि 60% जनसंख्या पहले ही किसी न किसी तरीके से इस वायरस के प्रभाव में आ चुकी है।
बता दें कि इस रिसर्च के बाद प्रोफेसर मणिंद्र अग्रवाल ने कहा कि कुम्भ और चुनावी रैलियों से कोरोना के प्रसार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने बताया कि कुछ मामलों में जरूर बढ़ोतरी होगी, लेकिन कोई ऐसा असर नहीं दिखेगा जिससे देश की स्थिति बिगड़ जाए। साथ ही उन्होंने पूछा कि जो लोग बंगाल, केरल, तमिलनाडु में केस बढ़ने का कारण रैली और सभाओं को बता रहे हैं वो महाराष्ट्र और दिल्ली के लिए क्या कारण बताएँगे?
प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल का अध्ययन कहता है कि उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन 10 हजार संक्रमित मरीजों के औसत से 20 से 25 अप्रैल तक कोरोना वायरस का संक्रमण अपने पीक पर रहने वाला है। इसके बाद से ग्राफ फिर से गिरना शुरू हो सकता है। वायरस का प्रसार सात दिनों तक सर्वाधिक रहेगा और फिर धीरे-धीरे केस की संख्या कम होनी शुरू हो सकती है। फ़िलहाल यूपी में 2,08,523 एक्टिव केस हैं।
प्रदेश में लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर, गोरखपुर, झांसी, गाजियाबाद, मेरठ, लखीमपुर खीरी और जौनपुर में कोरोना संक्रमण के सर्वाधिक मामले हैं। पंजाब में कोरोना वायरस का खतरा चरम पर मँडराता रहा, लेकिन नियंत्रण करने के उपायों के चलते ग्राफ जल्दी गिरा है। चुनावी राज्य पश्चिम बंगाल में कोरोना संक्रमण अभी प्रारंभिक अवस्था में है और 1-5 मई के दौरान चरम पर पहुँचने की संभावना है।