Sunday, November 17, 2024
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मोदी राज में आत्मनिर्भर हुई सेना, विदेश से गोला-बारूद लेने की नहीं पड़ेगी जरूरत: जापान को पीछे छोड़ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सोलर पावर भी बना

सेना को 175 तरह के गोला-बारूद की आवश्यकता होती है। सेना इनमें से कई प्रकार के गोला-बारूद विदेश से मंगाती है। हालाँकि, अब भारत में 175 में से 150 तरह के गोला-बारूद का निर्माण हो रहा है। यह निर्माण भारतीय कम्पनियाँ ही कर रही हैं।

भारत जापान को पीछे छोड़ कर विश्व का तीसरा सबसे बाद सौर ऊर्जा उत्पादक बन गया है। भारत ने 8 वर्षों में 6 स्थानों की छलांग लगाते हुए यह उपलब्धि हासिल की है। सौर ऊर्जा के मामले में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में काफी काम किया है। भारत अब पारम्परिक ऊर्जा संसाधनों की जगह अक्षय ऊर्जा स्रोतों से बिजली बनाने की क्षमताएँ बढ़ा रहा है।

ताजा रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में उपलब्धि के साथ ही भारतीय सेना ने फैसला किया है कि वह अगले वर्ष से किसी भी प्रकार का गोला-बारूद विदेशों से नहीं मँगाएगी। उसके सभी प्रकार की गोला बारूद की जरूरत को स्थानीय उत्पादक ही पूरी कर देंगे।

मोदी सरकार में भारत ने लगाई 6 स्थानों की छलांग

दुनिया भर में स्वच्छ ऊर्जा की प्रगति को लेकर रिपोर्ट जारी करने वाली संस्था एम्बर ने बताया है कि भारत 2023 में जापान को पीछे छोड़ कर विश्व का तीसरा सबसे सौर ऊर्जा उत्पादक बना। भारत 2015 में इस सूची में नौवें स्थान पर था और मात्र आठ वर्षों में उसने 6 स्थानों की छलांग लगाई। भारत ने विश्व में सौर ऊर्जा बढ़त में 5.9% का योगदान दिया है। एम्बर के अनुसार, भारत में वर्तमान में 113 Twh सौर ऊर्जा की क्षमता है। वर्ष 2014 में यह क्षमता मात्र 4.91 Twh थी। ऐसे में 9 वर्षों में 23 गुना की वृद्धि हुई है।

2023 में भारत में सौर ऊर्जा के मामले में चौथी सबसे तेज प्रगति हुई है। 2023 में भारत में 18 Twh सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ी है। सौर ऊर्जा का भारत के ऊर्जा क्षेत्र में योगदान भी बढ़ रहा है। 2015 में भारत की कुल बिजली उत्पादन का 0.5% ही सौर स्रोतों से प्राप्त हो रहा था जबकि 2023 में यह बढ़ कर 5.8% हो गया। वर्तमान में भारत में सौर ऊर्जा, पनबिजली के बाद स्वच्छ ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है। 2023 में भारत में सौर ऊर्जा के मामले में चौथी सबसे तेज प्रगति हुई है। 2023 में भारत में 18 Twh सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ी है। सौर ऊर्जा का भारत के ऊर्जा क्षेत्र में योगदान भी बढ़ रहा है। 2015 में भारत की कुल बिजली उत्पादन का 0.5% ही सौर स्रोतों से प्राप्त हो रहा था जबकि 2023 में यह बढ़ कर 5.8% हो गया। वर्तमान में भारत में सौर ऊर्जा, पनबिजली के बाद स्वच्छ ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है।

भारत सौर ऊर्जा के मामले में और भी बढ़त के लिए लगातार नई योजनाएँ ला रहा है। भारत ने हाल ही में पीएम सूर्यघर योजना चालू की है। इसके अंतर्गत केंद्र सरकार 1 करोड़ घरों में सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए सब्सिडी देने वाली है। इससे बनाई गई बिजली लोग अपने घरों में भी उपयोग कर सकेंगे। इसके अलावा जो बिजली बचेगी उसे सरकार खरीद लेगी। इससे कोयला आधारित बिजली बिजली पर दबाव कम होगा और इससे पर्यावरण भी सुरक्षित हो सकेगा।

भारत ने लक्ष्य रखा है कि वह 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा जरुरुतों का 50% नवीनीकृत ऊर्जा के स्रोतों से प्राप्त करेगा। इसके लिए लगातार नए सोलर की स्थापना भी भारत में हो रही है। वर्तमान में विश्व का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा पार्क भारत में ही है। भारत अपने मरुस्थल के क्षेत्र का उपयोग करके बड़े सौर ऊर्जा पार्क स्थापित कर रहा है।

सेना नहीं करेगी गोला बारूद का आयात

सौर ऊर्जा क्षेत्र के मामले में उपलब्धि हासिल करने के साथ ही भारत रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर हो रहा है। भारतीय सेना ने यह निर्णय लिया है कि वह अगले वर्ष से किसी भी प्रकार का गोला-बारूद का आयात नहीं करेगी। सेना 2025-26 के बाद स्थानीय स्रोतों से ही गोला-बारूद लेगी।

जानकारी के अनुसार, सेना को 175 तरह के गोला-बारूद की आवश्यकता होती है। सेना इनमें से कई प्रकार के गोला-बारूद विदेश से मंगाती है। हालाँकि, अब भारत में 175 में से 150 तरह के गोला-बारूद का निर्माण हो रहा है। यह निर्माण भारतीय कम्पनियाँ ही कर रही हैं।

इससे देश का रक्षा क्षेत्र भी आत्मनिर्भर होगा और साथ ही विदेशों को जाने वाला पैसा भी बचेगा। बताया गया है कि भारत विदेशों से सालाना ₹6000-₹8000 करोड़ का गोला-बारूद मँगवाता है। भारत में गोला-बारूद का यह निर्माण सरकारी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के साथ ही निजी फक्ट्रियों में भी हो रहा है। यह कम्पनियाँ सेना की आवश्यकता के अनुसार भी गोला-बारूद बना रही हैं। इसी के साथ यह बड़ी मात्रा में गोला-बारूद विदेशों को भी भेज रही हैं।

भारत के रक्षा क्षेत्र की बढ़त का बड़ा उदारहण भारत का बढ़ता आयात है। भारत का रक्षा आयात 2023-24 में ₹21,083 करोड़ रहा है। यह 2013-14 के मुकाबले 31 गुना अधिक है। इसमें निजी क्षेत्र का भी 40% योगदान रहा। कई देश भारत से रक्षा उत्पाद खरीद रहे हैं।

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