बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की मुख्य परीक्षा में एक विवादास्पद सवाल पूछे जाने की ख़बर सुर्खि़यों में है। दरअसल, रविवार (14 जुलाई 2019) को आयोजित BPSC की मुख्य परीक्षा के सामान्य ज्ञान के दूसरे पेपर में एक सवाल पूछा गया:
“भारत में राज्य की राजनीति में राज्यपाल की भूमिका का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए, विशेष रूप से बिहार के संदर्भ में। क्या वह केवल एक कठपुतली हैं?”
न केवल इस प्रश्न पर BPSC की चौतरफ़ा किरकिरी हो रही है और परीक्षा के बाद यह प्रश्न परीक्षार्थियों के बीच चर्चा का विषय बना रहा, बल्कि अधिकारियों ने भी माना कि राज्यपाल के संवैधानिक पद के लिए ‘कठपुतली’ शब्द का प्रयोग न होना बेहतर होता। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के सवाल तो पहले भी पूछे जाते रहे हैं। मीडिया से हुई बातचीत में BPSC के परीक्षा नियंत्रक अमरेंद्र कुमार ने यह भी जोड़ा कि आयोग के सदस्यों या अधिकारियों को इस बात की कोई जानकारी नहीं होती कि प्रश्न-पत्र में क्या-क्या सवाल पूछे जा रहे हैं।
बिहार के प्रतियोगी विशेषज्ञ डॉ एम रहमान ने भी हालाँकि इसकी तस्दीक की कि इस तरह के प्रश्न पहले भी पूछे जाते थे, मगर उनके भी मतानुसार विशेषकर बिहार लिखकर इंगित करने या राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद के संदर्भ में ‘कठपुतली’ जैसे शब्द के इस्तेमाल से बचा जा सकता था। उन्होंने बताया कि ऐसे प्रारूप के प्रश्नों का मकसद छात्रों की अवधारणा को जानने का होता है। कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, आर्टस एंड साइंस के प्राचार्य डॉ तपन कुमार शांडिल्य ने भी कहा कि राज्यपाल एक संवैधानिक पद है। BPSC द्वारा इस तरह का सवाल पूछा जाना उचित नहीं है।