दुनियाभर के देश इस्लामिक हिंसा का शिकार रहे हैं। स्पेन का ग्रेनाडा भी इस्लामवादियों की हिंसा का गवाह रहा है। ग्रेनाडा में यहूदियों और इस्लामवादियों के बीच लंबे समय तक संघर्ष हुआ। लेकिन, 30 दिसंबर 1066 को, मुस्लिमों ने यहूदियों को टारगेट करते हुए भीषण नरसंहार किया।
#OnThisDay In Jewish History:
— On This Day in Jewish History (@dailyjewish) December 31, 2021
December 30, 1066
A Muslim mob stormed the royal palace of Granada in Spain and crucified a Jewish political advisor and a rabbi named Joseph ibn Naghrela. In turn, this inspired the massacre of the majority of Granada’s Jewish population
[Thread] pic.twitter.com/5rPTg8zmmQ
स्पेन में मुस्लिम शासन और यहूदियों का नरसंहार
सिएरा नेवादा पहाड़ों की तलहटी में 4 नदियों के संगम पर स्थित ग्रेनाडा शहर, एक हजार से अधिक वर्षों तक प्रमुख शहरी बस्ती और स्पेन के अंडालूसी क्षेत्र की राजधानी रहा है। 711 ईस्वी की शुरुआत में मुस्लिम उमय्यद ने इबेरियन प्रायद्वीप पर जीत हासिल करते हुए यहाँ कब्जा कर लिया था। इबेरियन में यहूदियों की एक छोटी सी बस्ती प्राचीन काल से रह रही है।
11वीं शताब्दी में, ग्रेनाडा शहर मुस्लिमों के दो समूहों, उत्तरी अफ्रीकी अरब और बर्बर समुदाय के बीच राजनीतिक संघर्ष का केंद्र रहा। उत्तरी अफ्रीकी मुस्लिमों का बर्बर समूह जिसे जिरिड्स भी कहा जाता था, वह कॉर्डोबा के खलीफा का समर्थक था। यह समूह इस क्षेत्र में बस गया, इन लोगों को एल्विरा प्रांत का नियंत्रण दे दिया गया।
1009 ईस्वी में खलीफा के पतन के बाद, जिरिड नेता ने अपने लिए एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की, जिसे ‘ग्रेनेडा का तैफा’ कहा गया। मुसलमानों, ईसाइयों और यहूदियों की मिश्रित आबादी वाला यह शहर धीरे-धीरे इस क्षेत्र की मुख्य शहरी बस्ती बन गया।
इसके बाद, 1020 ईस्वी में, सैमुअल हा-नागिद को मुस्लिम राजा हब्बस इब्न मकसन के मुख्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया। सैमुअल हा-नागिद एक पढ़ा-लिखा यहूदी नेता था। जो खलीफा के पतन के बाद वह कॉर्डोबा से भाग गया था। सैमुअल हा-नागिद (अरबी में इस्माइल इब्न नघरेला) को न केवल टैक्स वसूलने बल्कि अगले शासक बद्दिस के शासन में सेना पर नियंत्रण सहित कई जिम्मेदारी सौंपी गईं।
जब सैमुअल सत्ता में था, तो ग्रेनाडा में यहूदियों को पूरी तरह से धार्मिक स्वतंत्रता थी। यहाँ तक कि यहूदियों को दूसरे दर्जे के नागरिकों (मुस्लिम शासन के अंतर्गत रहने वाले गैर-मुस्लिम) के रूप में भी नहीं देखा गया। सैमुअल के पास ऐसी शक्ति थी कि मुस्लिम शासक को केवल एक व्यक्ति के रूप में देखा जाता था।
1056 ईस्वी में सैमुअल हा नागिद की मृत्यु हो गई। इसके बाद, उनका बेटा जोसेफ हा-नागिद (अरबी में जोसेफ इब्न नघरेला) वहाँ का वजीर बन गया। जोसेफ हा-नागिद मुस्लिम शासक बद्दीस का बेहद करीबी माना जाता था।
विश्वासघात के आरोप में इस्लामवादियों की भीड़ ने जोसेफ को पीट-पीट कर मार डाला
मुस्लिम शासक बद्दिस पर जोसेफ का प्रभाव बढ़ता जा रहा था। इस दौरान, ग्रेनाडा में बर्बर मुसलमानों के बीच जोसेफ के खिलाफ नाराजगी शुरू हो गई। मुस्लिमों ने जोसेफ को अभिमानी और सभी धर्मों के प्रति अनादर करने वाला बताया। जोसेफ पर ग्रेनेडा के विरोधियों और अलमीरा के पड़ोसी ताइफा के मुस्लिम शासक को पत्र भेजने का आरोप लगाया गया।
अरबी रिकॉर्ड के अनुसार, जोसेफ ने खुद को शासक बनाने के लिए दुश्मनों के साथ सौदा किया था। इसके बदले उसने दुश्मनों के लिए शहर के द्वार खोलने की बात कही थी। हालाँकि, वह योजना में सफल नहीं हुआ। अलमीरा के ताइफा के शासक ने ऐन वक्त पर सौदे को नामंजूर कर दिया। इसक बाद, यह खबर लीक हो गई कि जोसेफ ने इस्लामिक शासक बद्दिस को मारने और दुश्मनों का समर्थन करने की योजना बनाई थी।
30 दिसंबर, 1066 को शहर के बहुसंख्यक बर्बर मुसलमानों की एक गुस्साई भीड़ ने शाही महल पर धावा बोलते हुए जोसेफ को पकड़ लिया और मार डाला। इसके बाद, उसके शरीर को एक क्रॉस से लटका दिया गया। हालाँकि, इस्लामवादी यहीं नहीं रुके, उन्होंने शहर के सभी यहूदी परिवारों को घेर लिया। यहूदियों के रिकॉर्ड बताते हैं कि उस एक दिन में 4000 से अधिक यहूदियों को मुसलमानों द्वारा क्रूरता से मार डाला गया था।
Probably not many remember that #OTD exactly, 953 years ago (1066 AD) , the Granada massacre took place and thousands of #Jews were murdered by a bloodthirsty Muslim mob in the city of Granada in Spain, only because they were Jews >>https://t.co/KZULF96aWa pic.twitter.com/TIjOwav3yh
— Dan Poraz (@PorazDan) December 30, 2019
इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि ग्रेनेडा में मुसलमानों द्वारा जोसेफ और यहूदियों के खिलाफ जहर उगला गया था। इस्लामवादी लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि ग्रेनाडा में यहूदियों को जो सम्मान मिल रहा है वह उसके लायक नहीं हैं। इतिहासकार बर्नार्ड लुईस द्वारा तैयार किए दस्तावेज और अबू इशाक द्वारा लिखित एक कविता में दर्शाया गया है कि यहूदी मुसलमानों से ‘हीन’ हैं और उन्हें मार दिया जाना चाहिए।
यह कविता है, “उन्हें (यहूदियों को) मारना मजहब का उल्लंघन मत समझो, उन्हें जीने देना मजहब का उल्लंघन होगा। उन्होंने हमारे साथ किए वादे को तोड़ा है फिर तुम ऐसे लोगों के विरुद्ध कैसे दोषी ठहराए जा सकते हो? जब हम अस्पष्ट हैं और वे प्रमुख हैं तो उनका कोई समझौता कैसे हो सकता है? अब हम उनके सत्य में विनम्र हैं, जैसे हम गलत थे और वे सही थे “
यूरोप में पहली बार हुआ यहूदियों का नरसंहार…
1066 ईस्वी में ग्रेनाडा में हुए नरसंहार को यहूदियों के खिलाफ यूरोप में हुई पहली हिंसा के रूप में बताया जाता है। यहूदी रिकॉर्ड के अनुसार, जोसेफ की पत्नी अपने बेटे के साथ शहर से भाग गई थी। इसके बाद, उसे दूसरे शहर में शरण मिल गई थी। हालाँकि, उसके बेटे की कम उम्र में ही मौत हो गई।
इस नरसंहार के बाद बचे हुए यहूदी अपनी संपत्ति बेचकर ग्रेनाडा और आसपास के क्षेत्रों को छोड़कर भाग गए। हालाँकि, बाद में कुछ लोग ग्रेनाडा लौट आए लेकिन उन्हें कभी भी वह सामाजिक दर्जा नहीं मिला, जो उन्हें सैमुअल हा-नागिद के दौर में मिला था।
ग्रेनाडा में 1492 तक इस्लामिवादी शासन करते रहे। हालाँकि इसके बाद, स्पेन के ईसाई शासक फर्डिनेंड और इसाबेला की सेना ने कई महीनों तक ग्रेनाडा की घेराबंदी कर रखी थी। इस घेराबंदी के बाद, ग्रेनाडा के मुस्लिम शासक ने हार मान ली और आत्मसमर्पण कर दिया।
इस्लामिक शासन की समाप्ति के बाद 2 जनवरी 1492 को स्पेन के कुछ हिस्सों में कैथोलिक रिकोनक्विस्टा के रूप में मनाया गया। ईसाई आज भी कैथोलिक रिकोनक्विस्टा एक खुशी के रूप में मनाते हैं। वहीं, मुस्लिम इसे शोक के रूप में मनाते हैं। 1492 की शुरुआत में ग्रेनाडा में जो हुआ वह शहर के इतिहास में हिंसा की एक नई कहानी थी। इस कहानी में, हिंसा करने वाले ईसाई शासक इसाबेला के वफादार कैथोलिक कट्टरपंथियों ने मुस्लिमों को धर्म परिवर्तन कर ईसाई बनने फरमान जारी कर दिया। जिन मुस्लिमों ने ईसाई बनने से इनकार दिया उन्हें मार दिया गया। हालाँकि, कुछ लोग यहाँ से भागने में कामयाब रहे।