द इंटरसेप्ट ने मंगलवार (12 अक्टूबर 2021) को फेसबुक की गुप्त सूची यानी सीक्रेट लिस्ट को लीक कर दिया। ‘डेंजरस इंडिविजुअल्स एंड ऑर्गेनाइजेशन’ (DIO) की इस लिस्ट में शामिल किए गए लोगों-संगठनों को फेसबुक अपने प्लेटफॉर्म पर अनुमति नहीं देता है। इस लिस्ट में भारत के 10 आतंकवादी, उग्रवादी या चरमपंथी संगठनों का नाम शामिल है, जो 4,000 से अधिक लोगों और समूहों की उस गुप्त ब्लैकलिस्ट का हिस्सा हैं, जिनमें श्वेत वर्चस्ववादी, सैन्यीकृत सामाजिक आंदोलन और कथित आतंकवादी शामिल हैं और फेसबुक इन्हें खतरनाक मानता है।
द इंटरसेप्ट के अनुसार, प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) और नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (इसाक-मुइवा) फेसबुक सूची में भारत के 10 समूहों में शामिल हैं। इसी तरह ऑल त्रिपुरा टाइगर फोर्स, कंगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी, खालिस्तान टाइगर फोर्स, पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कंगलीपाक का नाम भी इस सूची में दिया गया है।
इसके अलावा इंडियन मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद के अफजल गुरु स्क्वाड और भारत और कई देशों में एक्टिव इस्लामिक स्टेट और तालिबान जैसे वैश्विक संगठनों के विभिन्न स्थानीय या उप-समूह सहित कई इस्लामी चरमपंथी और आतंकवादी समूह भी ब्लैकलिस्ट में शामिल हैं।
खालिस्तान आंदोलन से जुड़े संगठन और व्यक्ति
- खालिस्तान की भिंडरांवाले टाइगर फोर्स
- खालिस्तान कमांडो फोर्स टेरर
- खालिस्तान लिबरेशन फोर्स टेरर
- खालिस्तान टाइगर फोर्स आतंक
- खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स और उसके पाँच सदस्य भूपिंदर सिंह भिंडा, गुरमीत सिंह बग्गा, हरमिंदर सिंह मिंटू, परमजीत सिंह पंजवार और रणजीत सिंह नीता
- खालिस्तान आतंकी जरनैल सिंह भिंडरावाले का भतीजा लखबीर सिंह रोडे और उनका संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फाउंडेशन
भारत के कम्युनिस्ट, क्षेत्रीय और नक्सली संगठन
- भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी – माओवादी
- कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी
- सभी त्रिपुरा टाइगर फोर्स आतंक दक्षिण एशिया, भारत
- नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड – इसाक-मुइवाही
- पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कंगलीपाक टेरर
- यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम
- आधार आंदोलन
भारत से जुड़े इस्लामिक संगठन
- अल आलम मीडिया, इंडिया मीडिया विंग अंसार गजवत-उल-हिन्दी
- अल साहब भारतीय उपमहाद्वीप, भारतीय उपमहाद्वीप में मीडिया विंग अल कायदा, अल कायदा मध्य कमान
- अल-बद्र मुजाहिदीन
- अल-मुर्सलात मीडिया, इंडिया मीडिया विंग इस्लामिक स्टेट
- भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा
- दावत-ए-हक टेरर इंडिया मीडिया विंग इस्लामिक स्टेट
- इंडियन मुजाहिदीन आतंक दक्षिण एशिया
- जमीयत-उल-मुजाहिदीन आतंक दक्षिण एशिया, भारत, पाकिस्तान
- साहम अल-हिंद मीडिया आतंक भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान मीडिया विंग जेमाह इस्लामिया, जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश, अल कायदा सेंट्रल कमांड
- सोथ अल-हिंद टेरर इंडिया, पाकिस्तान मीडिया विंग इस्लामिक स्टेट
- प्रतिरोध मोर्चा
- अफजल गुरु दस्ते
- अल रशीद ट्रस्ट
- अल रहमत ट्रस्ट
- अल-अक्सा मीडिया जम्मू और कश्मीर
- इस्लामिक स्टेट जम्मू और कश्मीर
- जैश-ए-मोहम्मद कश्मीर
- जम्मू कश्मीर की तहरीक-ए-आजादी
- विलायत कश्मीर
कंटेंट के संबंध में थ्री-टियर सिस्टम रखता है फेसबुक
आधी से अधिक सूची में कथित विदेशी आतंकवादी शामिल हैं जो मुख्य रूप से मध्य पूर्व, दक्षिण एशियाई और मुस्लिम हैं। इंटरसेप्ट ने एक्सपर्ट्स के हवाले से कहा कि ये लिस्ट और फेसबुक की पॉलिसी बताती है कि कंपनी हाशिए पर रहने वाले ग्रुप्स पर कठोर प्रतिबंध लगाती है।
दरअसल, फेसबुक में तीन-स्तरीय प्रणाली है जो इशारा करती है कि कंपनी कंटेंट के संबंध में किस प्रकार का इनफोर्समेंट करेगी। इसमें आतंकवादी समूह, घृणा समूह और आपराधिक संगठनों पर सबसे अधिक प्रतिबंधात्मक स्तर लागू किए गए हैं और ये टीयर 1 लिस्ट का हिस्सा हैं। जबकि सबसे कम प्रतिबंधात्मक स्तर वाले टीयर 3 में सैन्यीकृत सामाजिक आंदोलन शामिल हैं। द इंटरसेप्ट ने इसे ज्यादातर दक्षिणपंथी अमरीकी सरकार विरोधी संगठन कहा है। इस सूची में शामिल किसी भी संगठन को फेसबुक पर मौजूदगी बनाए रखने की अनुमति नहीं है।
फेसबुक ने सूची की प्रामाणिकता पर विवाद नहीं किया है, लेकिन एक बयान में कहा है कि यह सूची को गुप्त रखता है। आतंकवाद विरोधी और खतरनाक संगठनों के लिए फेसबुक के नीति निदेशक ब्रायन फिशमैन ने एक बयान में कहा, “हम अपने मंच पर आतंकवादी, नफरत करने वाले समूह या आपराधिक संगठन नहीं चाहते हैं, यही वजह है कि हम उन पर प्रतिबंध लगाते हैं और उनकी प्रशंसा, प्रतिनिधित्व या समर्थन करने वाली सामग्री को हटा देते हैं।”
फिशमैन ने आगे कहा, “हम वर्तमान में हमारी नीतियों के उच्चतम स्तरों पर 250 से अधिक श्वेत वर्चस्ववादी समूहों सहित हजारों संगठनों पर प्रतिबंध लगाते हैं, और हम नियमित रूप से अपनी नीतियों और संगठनों को अपडेट करते हैं जो प्रतिबंधित होने के योग्य हैं।”
First, Facebook does not want violence organized or facilitated on its platform and the DOI list is an effort to keep highly risky groups from doing that. It’s not perfect, but that’s why it exists. 2/n
— Brian Fishman (@brianfishman) October 12, 2021
फिशमैन ने कई ट्वीट्स में यह भी कहा कि द इंटरसेप्ट द्वारा प्रकाशित सूची का संस्करण व्यापक नहीं है और इसे लगातार अपडेट किया जाता है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “फेसबुक के खतरनाक संगठनों और व्यक्तियों की सूची का एक संस्करण आज लीक हो गया। विशेष रूप से हमारे कानूनी दायित्वों के बारे में मैं कुछ संदर्भ प्रदान करना चाहता हूँ और कवरेज में कुछ अशुद्धियों और गलत व्याख्याओं को इंगित करना चाहता हूँ।”
फिशमैन ने कहा कि फेसबुक ने ‘कानूनी जोखिम को सीमित करने, सुरक्षा जोखिमों को सीमित करने और नियमों को दरकिनार करने के लिए समूहों के अवसरों को कम करने के लिए’ सूची साझा नहीं की है, लेकिन नीति में सुधार करने की कोशिश कर रहा है।
फेसबुक ने बार-बार दावा किया है कि सूची का खुलासा करने से उसके कर्मचारी खतरे में पड़ जाएँगे। हालाँकि, द इंटरसेप्ट ने कहा कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई थी। कई अवसरों पर, कंपनी के ओवरसाइट बोर्ड ने सूची को सार्वजनिक करने की सिफारिश की थी क्योंकि यह ‘सार्वजनिक हित में’ थी।
इंटरसेप्ट की विस्तृत रिपोर्ट यहाँ पढ़ सकते हैं।