जज कोई भगवान नहीं हैं। वह बस अपने संवैधानिक उत्तरदायित्वों का पालन कर रहे हैं। इसलिए याचिकाकर्ताओं या वकीलों को उनके सामने हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाना नहीं चाहिए। केरल हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। दरअसल, जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन (PV Kunhikrishnan) एक मामले की सुनवाई कर रहे थे इसी दौरान एक महिला याचिकाकर्ता हाथ जोड़कर उनके सामने गुहार लगाने लगीं और रोने लगीं। इसी दौरान जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने यह टिप्पणी की।
Litigants need not argue their case before court with tears and folded hands; judges are not Gods: Kerala High Court
— Bar & Bench (@barandbench) October 14, 2023
report by @GitiPratap https://t.co/FnyEiLwoit
रमला कबीर बनाम केरल राज्य के एक मामले में सुनवाई के समय न्यायमूर्ति पीवी कुन्हिकृष्णन ने यह टिप्पणी तब की जब एक याचिकर्ता महिला ने हाथ जोड़कर और आँखों में आँसू लिए गिड़गिड़ाने लगीं।
न्यायमूर्ति कुन्हिकृष्णन ने कहा कि भले ही अदालत को न्याय के मंदिर के रूप में जाना जाता है, लेकिन पीठ में ऐसे कोई भगवान नहीं हैं जिन्हें मर्यादा बनाए रखने के अलावा वकीलों या वादियों से किसी भी तरह की ऐसी आवश्यकता हो। न्यायाधीश सिर्फ अपने संवैधानिक कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं और वादियों या वकीलों को अदालत के सामने हाथ जोड़कर बहस करने की आवश्यकता नहीं है।
जस्टिस जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा, ”सबसे पहले मैं कहना चाहता हूँ कि किसी याचिकाकर्ता या वकील को हाथ जोड़कर गुहार लगाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जज अपनी संवैधानिक ड्यूटी निभा रहे हैं। आमतौर पर हम अदालत को न्याय का मंदिर कहते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जज की कुर्सी पर कोई भगवान बैठा है। याचिकाकर्ता या वकील सामान्य शिष्टाचार बरतें, बस इतना ही काफी है। हाथ जोड़ गिड़गिड़ाने की कोई आवश्यता नहीं है।”
क्या है पूरा मामला?
रमला कबीर (Ramla Kabeer) नाम की एक महिला ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और अपने खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की माँग की थी। कबीर पर आरोप है कि उन्होंने आलाप्पुड़ा (उत्तरी) के सर्किल ऑफिसर को फोन पर धमकी दी और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। सुनवाई के दौरान कबीर ने कहा कि उन पर झूठे आरोप लगाए गए हैं। उन्होंने खुद एक शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें एक प्रार्थना सभा में शोर-शराबे की शिकायत की थी। सर्किल ऑफिसर को इसकी जाँच करने का निर्देश दिया गया था। कबीर का कहना है कि जब मैंने उनसे जाँच की प्रगति जाननी चाहिए तो उन्होंने मुझसे फोन पर अभद्रता की।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में वादी, रामला कबीर, धारा 294(बी) (सार्वजनिक स्थान पर या उसके निकट अश्लील गीत या शब्द गाना, सुनाना, या बोलना) के तहत दंडनीय अपराध का आरोप लगाते हुए अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष उपस्थित थीं।
फिर उसने सर्कल इंस्पेक्टर के आचरण के खिलाफ पुलिस शिकायत प्राधिकरण के साथ-साथ पुलिस महानिरीक्षक के समक्ष भी शिकायत दर्ज की। उन्होंने अदालत को बताया कि उसके खिलाफ मामला सर्कल इंस्पेक्टर द्वारा दायर एक जवाबी मामला था।
गौरतलब है कि दलीलें सुनने और अंतिम रिपोर्ट देखने के बाद, अदालत ने प्रथम दृष्टया यह माना कि कथित अपराध नहीं बने थे। इसलिए, कोर्ट ने रमला कबीर के खिलाफ दायर मामला रद्द कर दिया। अदालत ने यह भी कहा कि एफआईआर कबीर द्वारा दायर शिकायत का प्रतिकार थी और इसलिए, सर्कल इंस्पेक्टर के खिलाफ विभागीय जाँच का आदेश दिया गया।