Saturday, November 16, 2024
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बीदर में जिस ‘मस्जिद’ का ताला तोड़ने का आरोप हिंदुओं पर लगा, वो कभी ‘मंदिर’ ही था: सदियों से हो रही थी थी दशहरे की पूजा, पुलिस ने खुद ओवैसी को ‘झूठा’ बताया

कर्नाटक के बीदर में महमूद गेवान मदरसा मूल रूप से एक हिंदू मंदिर था, जिसे महमूद शाह ने नष्ट कर दिया था। गेवान की सलाह मानकर महमूद शाह एक ब्राह्मण को मारने वाले बहमनी सल्तनत के पहले राजा बने।

कर्नाटक के बीदर में स्थित महमूद गेवान मदरसा में 6 अक्टूबर 2022 को प्रवेश करने वाले 9 हिंदुओं पर एफआईआर दर्ज की गई। उन पर महमूद गेवान मदरसा और मस्जिद में ताला तोड़कर प्रवेश करने और पूजा करने का आरोप लगाया गया है, लेकिन सच्चाई इन आरोपों से कोसों दूर है।

दरअसल, मदरसा पहले एक हिंदू मंदिर था। यही कारण है कि हिंदू समुदाय के लोग कई वर्षों से यहाँ पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। इसकी प्रमाणिकता सिद्ध करने के लिए @Bharadwajagain नाम के एक ट्विटर यूजर ने सिलसिलेवार कई ट्वीट किए हैं। इसमें उन्होंने उन सभी तथ्यों और साक्ष्यों का जिक्र किया है, जो यह बताते हैं कि यह मदरसा पहले कभी एक हिंदू मंदिर था।

मदरसे का निर्माण दक्कन की इंडो-इस्लामिक वास्तुकला शैली में किया गया है। यूनेस्को ने 2014 में इसे विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया था। भारद्वाज के मुताबिक, इसका इतिहास रक्तरंजित रहा है।

बताया जाता है कि 15वीं शताब्दी में मुहम्मद बिन तुगलक (Muhammad Bin Tuglaq) के शासन काल के आखिरी दौर में दक्षिण भारत में बहमनी सल्तनत की स्थापना की गई थी। बहमनी स्वयंभू फारसी थे। इन दावों के उलट ऐसी भी संभावना है कि सभी बहमनी हिंदू धर्मांतरित थे और उनके संस्थापक हसन गंगू भी हिंदू समुदाय से थे। इसलिए, उन्होंने अपने पूर्व धर्म की कई मान्यताओं को आगे बढ़ाया।

ध्यान दें कि बहमनी ब्राह्मणों को नहीं मारना चाहते थे । लेकिन इस सल्तनत में महमूद गेवान (Mahmud Gavan) के आने के साथ कुछ बदल गया। गेवान एक विदेशी था और वह ब्राह्मणों को मारने और मंदिरों को नष्ट करने के पक्ष में था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, वह मुख्य रूप से ईरान के पारसी समुदाय से आता था। महमूद गेवान को एक और नाम से जाना जाता है और वो नाम है ख्वाजा महमूद गिलानी। मुगलकालीन साहित्य तारिख-ए-फ़रिश्ता के अनुसार, उसने ही बहमनी राजा (Bahmani king) से मंदिरों को नष्ट करने और ब्राह्मणों को मारने को कहा था। उसके लिए यह एक पुण्य का कार्य था। इसके बाद बहमनी राजा ने गेवान से प्रभावित होकर ब्राह्मणों को मौत के घाट उतार दिया और राजा को गाजी की उपाधि दी गई।

कर्नाटक के बीदर में महमूद गेवान मदरसा मूल रूप से एक हिंदू मंदिर था, जिसे महमूद शाह ने नष्ट कर दिया था। गेवान की सलाह मानकर महमूद शाह एक ब्राह्मण को मारने वाले बहमनी सल्तनत के पहले राजा बने। वहीं, अभिलेखों के अनुसार, उसने मंदिर के स्थान पर एक मस्जिद बनाने का आदेश दिया। इसके बाद महमूद गेवान ने स्वयं कहा था कि महमूद शाह ने काफिरों (ब्राह्मणों) को अपने हाथों से मार डाला था।

तारिख-ए-फ़रिश्ता के मुताबिक, महमूद शाह की सूची में मारने वाले लोगों में ब्राह्मणों का पहला स्थान था। हालाँकि, दक्कन के कई लोगों को पहले से ही इसका आभास हो गया था कि यह कुकृत्य घातक साबित होगा। उनका मानना था कि इससे बहमनी साम्राज्य का पतन होगा। जल्द ही यह सब हो गया।

मुगलकालीन साहित्य तारिख-ए-फ़रिश्ता खंड II का अंश

विशेष रूप से, इस स्मारक को सीताराम गोयल की पुस्तक ‘Hindu Temples: What Happened To Them’ में स्थान मिला। पुस्तक के खंड I में, बीदर जिले में हिंदू मंदिर को नष्ट कर उसके स्थान पर बने मदरसे को एक स्मारक के रूप में नामित किया गया है।

सीताराम गोयल की पुस्तक Hindu Temples: What Happened To Them के खंड- I का अंश

हिंदू यहाँ सदियों से पूजा करते आ रहे

बता दें कि इस मंदिर को नष्ट कर उसके स्थान पर एक मदरसा बना दिया गया था। इसके बावजूद इस क्षेत्र के हिंदुओं ने इस मंदिर में कभी भी पूजा-अर्चना करना नहीं छोड़ा। इस मामले में पुलिस का कहना है कि सदियों से यहाँ दशहरे के मौके पर पूजा करने की परंपरा चलती आ रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया है कि असदुद्दीन ओवैसी जैसे मुस्लिम नेता जो दावा कर रहे हैं, वह बेबुनियाद है। किसी ने भी मस्जिद में अवैध रूप से प्रवेश नहीं किया और ना ही ताला तोड़ने का प्रयास किया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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