Saturday, November 23, 2024
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मनीष कश्यप के हाथ में हथकड़ी, गमछे से चेहरा ढँका: कानून की कसौटी पर बिहार पुलिस का तरीका कितना सही?

सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ तौर पर कहा था कि पुलिस किसी व्यक्ति को हथकड़ी नहीं लगा सकती और अगर वह ऐसा करती है तो यह पूरी तरह से अवैधानिक होगा और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 22 का उल्लंघन होगा।

बिहार के चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप ने शनिवार (18 मार्च, 2023) को पुलिस के आगे आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस का आरोप है कि मनीष ने सोशल मीडिया के माध्यम से तमिलनाडु में बिहार के कुछ निवासियों के साथ हिंसक घटनाओं की भ्रामक खबर, फोटो और वीडियो के माध्यम से शेयर की थी। गिरफ्तारी के बाद बिहार पुलिस की कस्टडी में मनीष कश्यप की तस्वीरें वायरल हो रहीं हैं। इन तस्वीरों में मनीष कश्यप के हाथों में हथकड़ी लगी हुई है। इसी के साथ मनीष के चेहरे को भी एक गमछे से ढँका गया है। मनीष की इन तस्वीरों कई लोग सवाल खड़े कर रहे हैं।

पत्रकार सुधीर मिश्रा ने 19 मार्च, 2023 (रविवार) को अपने ट्विटर हैंडल ‘@Sudhir_Mish’ से मनीष कश्यप की इस तस्वीर को शेयर किया है। तस्वीर में मनीष को 4 लोगों ने घेर रखा है। ये चारों सादी वर्दी में बिहार पुलिस के जवान बताए जा रहे हैं। फोटो में नीली जींस और बैगनी शर्ट पहने मनीष के दोनों हाथों में हथकड़ी है। हथकड़ी लगे हाथों को मनीष ने जोड़ रखा है। इस हथकड़ी का रस्सा एक पुलिस वाले ने अपने हाथ में ले रखा है। तस्वीर किसी सड़क के सुनसान जगह की है। पीछे एक वाहन भी खड़ा दिखाई दे रहा है।

सुधीर ने फोटो के साथ कैप्शन में लिखा, “यह पत्रकार मनीष कश्यप है, कोई आतंकी नहीं। नीतीश और तेजस्वी को शर्म आती है या नहीं ? सुधीर मिश्रा के अलावा कई अन्य यूजर्स भी मनीष कश्यप की इसी तस्वीर को शेयर कर के बिहार शासन के खिलाफ अपनी नाराजगी दिखा रहे हैं। कुछ लोगों ने इसे पत्रकार को डराने की हरकत बताया तो कुछ ने तेजस्वी की योग्यता पर सवाल खड़े किए हैं।

ट्विटर पर लोग दे रहे तरह-तरह की प्रतिक्रिया

जानकारी के मुताबिक, मनीष कश्यप से सवाल-जवाब करने तमिलनाडु पुलिस भी पटना पहुँच चुकी है। इस बीच मनीष कश्यप का चेहरा ढँकने और हाथों में हथकड़ी लगाने की तस्वीरों पर कई लोग गुस्सा प्रकट कर रहे हैं। कुछ यूजर्स का कहना है कि ऐसा व्यवहार आतंकियों के साथ किया जाता है। हथकड़ी और गमछे का विरोध कर रहे उन लोगों ने शांडिल्य विजय भी शामिल हैं।

क्या है हथकड़ी पर सुप्रीम कोर्ट की नसीहत

मनीष कश्यप के हथकड़ी वाले फोटो पर कुछ यूजर्स बिहार पुलिस पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के उल्लंघन का आरोप लगा रहे हैं। @NITI_1111 ने अपने हैंडल से कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने किसी व्यक्ति को हथकड़ी लगाने को अवैधानिक कहा है। सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन (1978) 4 SSC 409 के केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि पुलिस किसी व्यक्ति को हथकड़ी नहीं लगा सकती।”

जब हमने इस दावे की पड़ताल की तो ‘लाइव लॉ’ द्वारा 15 अगस्त 2019 की रिपोर्ट सामने आई। इस रिपोर्ट में ‘दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (Criminal Procedure Code) 1973 (CrPC)’ की धारा 46 में गिरफ्तारी के नियमों का जिक्र किया गया है। इस नियमावली में 4 प्रावधान बताए गए हैं। पहले प्रावधान में कहा गया है कि गिरफ्तारी का विरोध कर रहे व्यक्ति के लिए ही पुलिस आवश्यक बल का प्रयोग कर सकती है।

इसी रिपोर्ट में सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन (1978) 4 SSC 409 के केस का हवाला दिया गया है। इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ तौर पर कहा था कि पुलिस किसी व्यक्ति को हथकड़ी नहीं लगा सकती और अगर वह ऐसा करती है तो यह पूरी तरह से अवैधानिक होगा और यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और अनुच्छेद 22 का उल्लंघन होगा। अनुच्छेद 21 किसी भी व्यक्ति को दैहिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है।

कुछ शर्तों के तहत लगाई जा सकती है हथकड़ी

इसी रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट में चले एक अन्य मामले का हवाला दिया गया है। यह मामला बिहार से था। अंजनी कुमार सिन्हा बनाम स्टेट ऑफ बिहार 1992 केस में बताया गया था हथकड़ी लगाना पकड़े गए आरोपित के चरित्र पर निर्भर करता है। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर आरोपित द्वारा कस्टडी से भागने या लोक शांति को भंग करने की आशंका तो तो वैसे हालात में उसे पुलिस द्वारा हथकड़ी लगाई जा सकती है। कुछ अन्य मामलों में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर पुलिस किसी को हथकड़ी लगाना चाहती है तो उसे तर्कसंगत वजह बताते हुए संबंधित अदालत न्यायालय से पहले अनुमति लेनी होगी।

हालाँकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि मनीष कश्यप को हथकड़ी लगाने वाली बिहार पुलिस ने कोर्ट से पहले परमिशन ली थी या नहीं।

चेहरे को गमछे से क्यों ढंका

मनीष के चेहरे को गमछे से ढंकने के मुद्दे पर ऑपइंडिया ने उत्तर प्रदेश पुलिस के रिटायर्ड डिप्टी एस पी अविनाश गौतम से बात की। उन्होंने हमें बताया कि सुरक्षा कारणों और जेल में भविष्य में संभावित गवाहों द्वारा पहचान वाली प्रक्रिया को निष्पक्षता से पूरा करने के लिए पुलिस कई बार आरोपितों का चेहरा ढँक देती है। चेहरा ढँकने के पीछे पुलिस द्वारा आरोपित को बदनामी से दूर रखने का भी अक्सर तर्क दिया जाता है।

हालाँकि, बिहार पुलिस द्वारा मनीष का चेहरा किस वजह से ढँका गया था ये सवाल अभी अनुत्तरित है। बिहार पुलिस की कस्टडी से मनीष की आई अलग-अलग तस्वीरों में किसी में चेहरे को खुला दिखाया गया है तो किसी में ढँका हुआ।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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