पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने इस्लामी टीवी चैनल शुरू करने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि इस्लाम को लेकर लोगों के बीच ग़लत धारणाएँ हैं, इसे दूर करने के लिए पाकिस्तान, तुर्की और मेलेशिया ने मिलकर अंग्रेज़ी भाषी इस्लामी टीवी चैनल शुरू करने का निर्णय लिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र में शामिल होने न्यू यॉर्क पहुँचे इमरान ख़ान ने कहा कि दुनिया को इस्लामी इतिहास से अवगत कराने के लिए टीवी चैनल पर मजहब से जुड़े कार्यक्रम और फ़िल्में दिखाई जाएँगी।
President Erdogan, PM Mahatir and myself had a meeting today in which we decided our 3 countries would jointly start an English language channel dedicated to confronting the challenges posed by Islamophobia and setting the record straight on our great religion – Islam.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) September 25, 2019
अपने एक ट्वीट में इमरान खान ने लिखा, “राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन, प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद और मैंने आज बैठक की। इस बैठक में इस्लाम को लेकर बनी ग़लत धारणाओं को दूर करने और हमारे महान धर्म इस्लाम के बारे में एक अंग्रेज़ी चैनल शुरू करने का फ़ैसला किया गया।” इसके आगे उन्होंने कहा कि मुस्लिमों के ख़िलाफ़ ग़लतफ़हमी को दूर किया जाएगा और ईशनिंदा से जुड़ी बातों को सही अर्थों में प्रस्तुत किया जाएगा।
Misperceptions which bring people together against Muslims would be corrected; issue of blasphemy would be properly contextualized; series & films would be produced on Muslim history to educate/inform our own people & the world; Muslims would be given a dedicated media presence.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) September 25, 2019
पाक पीएम इमरान ख़ान ने कहा, “अपने लोगों को शिक्षित, अवगत कराने के लिए मुस्लिम इतिहास पर सीरीज और फिल्मों का निर्माण किया जाएगा।”
ख़बर के अनुसार, पाकिस्तान, तुर्की की सह-मेज़बानी में नफ़रती भाषणों के प्रतिकार विषय पर हुई चर्चा में इमरान ख़ान ने भी शिरक़त की।
इस दौरान ख़ान ने अपने संबोधन में नफ़रत भरे भाषणों का प्रतिकार और इस्लाम को लेकर ग़लत धारणाओं को ख़त्म करने के ठोस उपायों पर ज़ोर देने के लिए कहा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी समुदाय के हाशिए पर जाने से कट्टरता बढ़ सकती है। वहीं, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने घृणात्मक भाषणों को इंसानियत के ख़िलाफ़ सबसे जघन्य अपराध बताया।