केरल हाईकोर्ट ने आज 10 साल से ज्यादा पुराने मामले में सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि महज अश्लील तस्वीरें रखना ‘इनडिसेंट रिप्रजेंटेशन ऑफ वुमन’ कानून के तहत अपराध नहीं है। कोर्ट ने एक व्यक्ति और एक महिला के ख़िलाफ़ आपराधिक मुकदमे को निरस्त करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट ने हालाँकि यह भी स्पष्ट किया कि ऐसी किसी भी प्रकार की तस्वीरों का प्रकाशन या वितरण कानून के तहत दंडनीय है।
The high court gave its verdict on a petition seeking to quash the proceedings against the man and the woman, pending before a magistrate court in Kollam. https://t.co/qcBgoCfOlt
— The Indian Express (@IndianExpress) June 10, 2019
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश राजा विजयवर्गीय ने आदेश में कहा, “अगर किसी वयस्क व्यक्ति के पास अपनी कोई तस्वीर है जो अश्लील है तो 1986 के अधिनियम 60 के प्रावधान तब तक उस पर लागू नहीं होंगे, जब तक उसे किसी अन्य उद्देश्य या विज्ञापन के लिए वितरित या प्रकाशित न किया जाए।”
हाईकोर्ट ने अपना यह फैसला उस याचिका पर सुनाया है, जिसमें एक व्यक्ति और एक महिला के ख़िलाफ़ दर्ज मामले को रद्द करने की माँग की गई थी।
Mere possession of sexually explicit photos not punishable: Kerala High Courthttps://t.co/r7ht8v2Nn8 pic.twitter.com/PDa8UQfL8j
— Hindustan Times (@htTweets) June 10, 2019
इस मामले में था कि पुलिस ने कोल्लम में एक बस अड्डे पर तलाशी अभियान के दौरान दोनों लोगों के बैग की जाँच की थी। इस दौरान पुलिस को 2 कैमरे हाथ लगे थे। जाँच करने पर मालूम चला था उनके पास उनमें से एक की अश्लील तस्वीरें और वीडियो है। इस घटना के बाद उन्हें गिरफ्तार करके उनके कैमरों को जब्त कर लिया था।
कोल्लम का यह मामला साल 2008 में दर्ज किए जाने के बाद से मैजिस्ट्रेट अदालत में लंबित था।