आर्थिक मंदी की आहट के बीच वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान RBI की बैलेंस शीट में 13.42 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह अब 36.17 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 41 लाख करोड़ रुपए हो गई है। इस वृद्धि में निजी और विदेशी निवेशों का अहम योगदान है। भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा गुरुवार (29 अगस्त) को जारी की गई वार्षिक रिपोर्ट में यह इस जानकारी दी गई। वित्त वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के दौरान बैंक के बैलेंश शीट में वृद्धि दर्ज की गई। बता दें कि RBI का वित्त वर्ष जुलाई से जून तक होता है।
मंदी की आहट के बीच आई #RBI की रिपोर्ट, बैलेंस शीट में 41 लाख करोड़ रुपये की वृद्धिhttps://t.co/MBNxMiFBdV
— Zee News Hindi (@ZeeNewsHindi) August 29, 2019
RBI ने भारत सरकार के परामर्श से मौजूदा ईसीएफ (इकॉनमिक कैपिटल फ्रेमवर्क) की समीक्षा के लिए बिमल जालान की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इस समिति ने 526.37 अरब रुपए की आय को कंटिजेंसी फंड से वापस निकालने की सिफारिश की थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में चलन में मौजूद मुद्रा 17 फीसदी बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपए पहुँच गई है।
डिजिटल भुगतान के संदर्भ में केंद्रीय बैंक ने कहा कि देश में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के सरकार के कई प्रयासों के बावजूद अर्थव्यवस्था में चलन में आई मुद्रा मार्च, 2019 में 17 फीसदी की वृद्धि के साथ 21.10 लाख करोड़ रुपए हो गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया कि 500 रुपए के नोट की सबसे अधिक माँग है और वर्तमान मुद्रा व्यवस्था में प्रचलित नोटो में 500 रुपए के नोट की हिस्सेदारी 51 फीसदी है।
RBI की इस वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, “चूंकि रिज़र्व बैंक का वित्तीय लचीलापन वांछित सीमा के भीतर था, इसलिए 526.37 अरब रुपए के अतिरिक्त जोखिम प्रावधान को आकस्मिक निधि (सीएफ) से वापस लिया गया।”
इसके बाद RBI के पास कुल 1,234.14 अरब रुपए अधिशेष था, जिसे मिलाकर कुल 1,759.87 अरब रुपए वो केंद्र सरकार को हस्तांतरित करेगी, जिसमें से 280 अरब रुपए पहले ही दिए जा चुके हैं। हाल ही में, RBI ने सरकार को कुल 1.76 लाख करोड़ रुपए का अधिशेष देने की घोषणा की थी।
ग़ौरतलब है कि RBI द्वारा यह रिपोर्ट हर साल जारी की जाती है। इसमें केंद्रीय बैंक के कामकाज और संचालन के विश्लेषण के अलावा अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार के लिए सुझाव दिए जाते हैं। RBI के अनुसार, रिजर्व बैंक की घरेलू स्रोत से आय 30 जून, 2019 को समाप्त वित्त वर्ष में 132.07 फीसदी बढ़कर 1,18,078 करोड़ रुपए रही, जो इससे पूर्व वित्त वर्ष में 50,880 करोड़ रुपए रही थी। आय बढ़ने का मुख्य कारण ब्याज आय है। इसके अलावा, प्रतिभूतियों, तरलता समायोजन सुविधा/ सीमांत स्थायी सुविधा परिचालन के तहत शुद्ध ब्याज आय में वृद्धि हुई है।