Friday, November 15, 2024
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68 साल बाद फिर से टाटा की एयर इंडिया: जानिए मीडिया रिपोर्टों पर सरकार ने क्या कहा

मीडिया रिपोर्टों को वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाली डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) ने गलत बताया है। साथ ही कहा है कि जब इस संबंध में फैसला होगा मीडिया को उसकी जानकारी दी जाएगी।

कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया किसकी होगी यह जानने के लिए फिलहाल इंतजार करना होगा। टाटा संस द्वारा नीलामी प्रक्रिया जीत लेने की खबरों का सरकार ने खंडन किया है। मीडिया रिपोर्टों को वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाली डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM) ने गलत बताया है। साथ ही कहा है कि जब इस संबंध में फैसला होगा मीडिया को उसकी जानकारी दी जाएगी।

इससे पहले मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया था किएयर इंडिया को टाटा संस खरीदने जा रही है। टाटा संस की बोली को केंद्र सरकार ने मँजूरी दे दी है। रिपोर्ट में कहा गया था टाटा ग्रुप ने स्पाइस जेट से ज्यादा की बोली लगाई थी। इसके बाद से 68 साल बाद एयर इंडिया की घर वापसी की ख़बरों ने जोड़ पकड़ लिया था। एयर इंडिया की शुरुआत 1932 में जेआरडी टाटा ने की थी। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान इसकी सेवाएँ बंद की गई थी। दोबारा 1946 में जब इसकी सेवा बहाल हुई तो नाम टाटा एयरलाइंस से बदलकर एयर इंडिया लिमिटेड हो गया। देश स्वतंत्र होने के बाद एयर इंडिया की 49 फीसदी भागीदारी सरकार ने ले ली थी। इसके बाद 1953 में इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया गया।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की पत्रकार अनुराधा शुक्ल ने ट्वीट कर कहा था कि वित्त मंत्रालय के सूत्रों का दावा है कि एयर इंडिया के लिए बोली टाटा ने जीती है। गृह मंत्रालय की अगुवाई वाले पैनल ने इसको मँजूरी दे दी है। अब इसकी आधिकारिक पुष्टि का इंतजार है।

आपको बता दें कि एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस में सरकार अपनी पूरी हिस्सेदारी बेच रही है। एयर इंडिया की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी AISATS में भी 50 फीसदी हिस्सेदारी बेची जा रही है। टाटा के अलावा इसके लिए स्पाइसजेट के अजय सिंह ने भी बोली लगाई थी।

मोदी सरकार के निजीकरण कार्यक्रम में एयर इंडिया हमेशा से सबसे ऊपर रहा है। इससे पहले 2018 में सरकार ने एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी। लेकिन तब इसके अपेक्षित परिणाम नहीं मिले थे। एयर इंडिया पर 38 हजार करोड़ से ज्यादा का कर्ज है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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