दूध उत्पादन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश अब देश में पहले स्थान पर है। दूध का कारोबार करने वाली बड़ी-बड़ी कंपनियाँ यूपी में डेयरी स्थापित करने में रुचि दिखा रही हैं। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बीते चार वर्षों के प्रयासों से सूबे में दूध के कारोबार में तेजी आई है।
अमूल सहित 6 निवेशकों ने प्रदेश में अपने डेयरी प्लांट स्थापित करने के लिए 172 करोड़ रुपए निवेश किए हैं। वहीं, सात डेयरी प्लांट लगाए जाने की प्रक्रिया चल रही है, जबकि 15 निवेशकों ने अपनी यूनिट लगाने के लिए प्रस्ताव दिया है। दूध उत्पादन के क्षेत्र में बड़े निवेशकों द्वारा लगाए जा रहे उद्यमों के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार मिला है। अब गाँव-गाँव में गाय तथा भैंस पालकर दूध का कारोबार करने वाले ग्रामीणों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। यूपी में दूध का कारोबार ग्रामीणों को रोजगार मुहैया करा रहा है।
यूपी का भारत के कुल दूध उत्पादन में 17 प्रतिशत से ज्यादा की हिस्सेदारी है। प्रदेश सरकार के प्रयासों से दुग्ध उत्पादन में यूपी पूरे देश में अव्वल है। वर्ष 2016-17 में यूपी में 277.697 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन हुआ था, जो 2020-21 में बढ़कर 318.630 लाख मीट्रिक टन तक पहुँच गया है। दूध उत्पादन में हुआ यह इजाफा सरकार की नीतियों का परिणाम है एवं इसमें और बढ़ोतरी के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
दुग्ध विकास विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने ग्रीनफील्ड डेयरियों की स्थापना करने की शुरुआत की है। ग्रीन फील्ड डेयरी कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, बरेली, कन्नौज, गोरखपुर, फिरोजाबाद, अयोध्या और मुरादाबाद में स्थापित की जा रही हैं। इस योजना को सहयोग देने के लिए झाँसी, नोएडा, अलीगढ़ और प्रयागराज की चार पुरानी डेयरी के उन्नयन का कार्य भी किया जा रहा है।
सरकार के ऐसे प्रयासों के बीच ही देश के बड़े निवेशकों ने राज्य में अपनी डेयरी यूनिट लगाने की पहल की। देखते-ही-देखते गाजीपुर में पूर्वांचल अग्रिको, बिजनौर में श्रेष्ठा फूड, मेरठ में देसी डेयरी, गोंडा में न्यू अमित फूड, बुलंदशहर में क्रीमी फूड और लखनऊ में सीपी मिल्क फूड की डेयरी यूनिट लगाई जा रही हैं।
दूसरी तरफ, राज्य में दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार गोवंश संरक्षण केंद्र एवं गोवंश वन्य विहार का निर्माण करा रही है। इनमें से 118 केंद्रों का निर्माण कार्य पूरा भी हो चुका है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री निराश्रित गोवंश सहभागिता योजना के अंतर्गत 66 हजार से अधिक गोवंश को इच्छुक पशुपालकों को दिए गए हैं।
गोवंश पालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार ने गोकुल पुरस्कार और नंदबाबा पुरस्कार की घोषणा की है। ये पुरस्कार उन उत्पादकों को दिए जाएँगे जो देशी गाय से सर्वाधिक दूध का उत्पादन करेंगे। ग्रामीणों को दूध के कारोबार से जोड़ने के लिए 12 लाख से अधिक पंजीकृत दुग्ध किसानों को क्रेडिट कार्ड दे चुकी है। सरकार के इन प्रयासों के चलते राज्य में दुधारू पशुओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।