उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण से निपटने में योगी सरकार को ‘अर्ली, अग्रेसिव, ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट’ अभियान से सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इस अभियान के चलते मात्र 10 दिन में राज्य में 85000 से अधिक सक्रिय मामलों में कमी आई है। WHO ने भी राज्य सरकार की इस कदम की तारीफ की है।
योगी सरकार के इस प्रयास को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सराहते हुए इसकी तुलना पोलियो अभियान से की। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में COVID-19 के मद्देनजर हाउस टू हाउस एक्टिव केस फाइंडिंग शुरू की है। इस प्रक्रिया में उन्हें आइसोलेट किया गया जिनमें कोविड के लक्षण थे।
In #India‘s 🇮🇳 most populous state Uttar Pradesh, the state gov. has initiated house-to-house active case finding of #COVID19 in rural areas to contain transmission by testing people with symptoms for rapid isolation, disease management & contact tracing
— World Health Organization (WHO) (@WHO) May 10, 2021
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WHO ने 7 मई की अपनी रिपोर्ट में बताया था कि राज्य में सरकार की टीमें 5 दिनों में 75 जिलों के 97,941 गाँवों में जाएँगी। अभियान की शुरुआत 5 मई को हुई थी। हर मॉनिटरिंग टीम में दो सदस्य रखे गए थे। इनका काम रैपिड एंटीजन टेस्ट (आरएटी) किटों का उपयोग कर उन लोगों का टेस्ट करना था जिनमें लक्षण दिख रहे थे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस दौरान जो लोग भी पॉजिटिव मिल रहे थे उन्हें जल्दी से आइसोलेट कर एक मेडिसिन किट दिया जाना था। पॉजिटिव पाए गए लोगों के संपर्क में आए लोगों की भी RT-PCR जाँच होनी थी।
Monitoring teams visit homes in 97,941 villages to test everyone with #COVID19 symptoms. Those who tested positive are:
— World Health Organization (WHO) (@WHO) May 10, 2021
✅isolated
✅given a medicine kit with advice on disease management
All contacts of those who tested positive are quarantined & tested.https://t.co/pbDi98UByQ pic.twitter.com/h313FVqBvf
इसके अलावा इस अभियान के तहत सभी जिलों के हर ब्लॉक में दो मोबाइल वैन आवंटित की गई हैं। इसके अलावा भी नियमित रूप से और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर टेस्टिंग और सैंपलिंग जारी है। रिपोर्ट बताती है कि राज्य सरकार ने इस काम पर 1,41, 610 टीमों को लगाया था। इनमें 21 हजार 242 सुपरवाइजर थे, जिनका काम यह सुनिश्चित करना था कि हर ग्रामीण इलाका कवर हुआ या नहीं।
WHO ने भी इस काम में राज्य सरकार की मदद की। इसके लिए फील्ड ऑफिसर तैनात किए गए जो ग्राउंड पर सरकार से शेयर किया जा रहा रियल टाइम फीडबैक मॉनिटर कर रहे थे। इसका मकसद गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल सुधारात्मक कदम उठाना था।