IFFI गोवा में इजरायल के वामपंथी फिल्ममेकर नादव लापिड द्वारा द कश्मीर फाइल्स पर की गई टिप्पणी के बाद विवाद बढ़ रहा है। उन्होंने इस फिल्म को भद्दी और प्रोपेगेंडा बताया है। अब इस मुद्दे पर विवेक अग्निहोत्री की टिप्पणी आई है। उन्होंने कहा है कि अगर उनकी फिल्म में दिखाया एक भी सीन फर्जी निकला तो वह फिल्में बनाना छोड़ देंगें।
IFFI जूरी हेड नादव के बयान के बाद विवेक अग्निहोत्री ने कहा, “इफ्पी जूरी हेड ने इस फिल्म को भद्दी और प्रोपगेंडा बताया है। मेरे लिए ये कोई नई बात नहीं है। इस तरह की बातें तो सारे आतंकी संगठन, अर्बन नक्सल और भारत के टुकड़े-टुकड़े गैंग करते हैं। लेकिन मेरे लिए जो सबसे हैरानी की बात हुई है वो ये कि भारत सरकार द्वारा आयोजित कार्यक्रम के मंच में भारत को कश्मीर से अलग करने वाले आतंकियों के नैरेटिव को समर्थन किया गया और कुछ भारतीयों ने ही इसका इस्तेमाल किया। आखिर ये लोग कौन हैं?”
विवेक कहते हैं, “ये वही लोग हैं जो 4 साल पहले जब मैंने फिल्म पर रिसर्च शुरू किया था तब से फिल्म को प्रोपगेंडा बताते हैं। 700 लोगों के साक्षात्कार के बाद ये फिल्म बनी है। क्या वो 700 लोग जिनके भाई-बहनों को काट दिया गया, गैंगरेप किया गया, 2 टुकड़ों में बाँट दिया गया, क्या वो लोग प्रोपेगेंडा और अश्लील बातें कर रहे थे।”
उन्होंने सवाल किया कि जो कश्मीर कभी पूर्ण रूप से हिंदू सरजमीं थी वहाँ आज भी हिंदुओं को चुन चुनकर मारा जाता है क्या यह प्रोपेगेंडा और अश्लील बात है। उन्होंने यासीन मलिक का जिक्र कर कहा कि जब उसने अपने गुनाह कबूल किए और वो जेल में सड़ रहा है तो क्या ये प्रोपेगेंडा और अश्लील बात है।
फिल्म के निर्माता ने वीडियो में आगे कहा, “ये सवाल हमेशा से उठता है कि ये फिल्म एक प्रोपेगेंडा फिल्म है। मतलब वहाँ कभी हिंदू नरसंहार हुआ ही नहीं। तो मैं आज विश्व के सभी बुद्धिजीवियों को, अर्बन नक्सलियों को चुनौती देता हूँ। इन इजरायल के महान फिल्ममेकर को भी चैलेंज करता हूँ कि कश्मीर फाइल्स का एक शॉट भी कोई साबित कर दे कि ये झूठा है तो मैं फिल्में बनाना ही छोड़ दूँगा।”
उन्होंने कहा कि ये जो लोग भारत के खिलाफ खड़े होते हैं ये वही लोग हैं जिन्होंने मोपला नरसंहार का सत्या किसी के सामने नहीं आने दिया, जिन्हें डायरेक्ट एक्शन डे का सत्य सामने नहीं आने दिया, कश्मीर का सत्य नहीं सामने आने दिया। ये वही लोग है जो कोविड के समय जलती चिताओं को चंद डॉलरों में बेच रहे थे और आज जब वो द वैक्सीन वॉर फिल्म बना रहे हैं तो वो इसके खिलाफ खड़े हो गए हैं।
बता दें कि IFFI गोवा में जूरी हेड के तौर पर बुलाए गए इजरायली फिल्ममेकर ने फिल्म को भद्दी और प्रोपेगेंडा बताया था जिसके बाद भारत के कई वामपंथियों ने उनका समर्थन किया और हिंदू नरसंहार पर सवाल उठाए थे।