हर किताब को पढ़ते समय हर अनजान शब्द का अर्थ समझना बहुत जरूरी होता है। तभी किताब पढ़ने से हमें पूरा ज्ञान मिल पाता है। मान लीजिए ‘माँ’ शब्द है। यह तो हम अच्छी तरह जानते हैं कि माँ क्या होती है। अम्मा, मम्मी, मैया, माता लिखा है तो भी कोई मुश्किल नहीं होती।
ये शब्द हम बचपन से ही जानते हैं। लेकिन कहीं ‘जननी’ लिखा होगा तो हम में से शायद कुछ को उस के मायने पता नहीं होते। तब हम ‘जननी’ शब्द किसी कोश में खोजते हैं। वहाँ लिखा होता है- जन्म देने वाली, माँ, माता। इसे ही शब्दकोश कहा जाता है। जिसे अंग्रेजी में हम ‘डिक्शनरी’ कहते हैं।
डिक्शनरी में सबसे अधिक प्रचलित है- ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी (Oxford English Dictionary)। जब भी हम किसी शब्द में उलझते हैं तो इसकी सहायता लेते हैं और उस शब्द के बारे में सारी जानकारी हासिल करते हैं। डिक्शनरी में हर शब्द के बाद बताया जाता है कि वह शब्द संज्ञा है या सर्वनाम या क्रिया आदि।
इस जानकारी के बाद उस का अर्थ लिखा जाता है। शब्द का अर्थ समझाने के लिए उस की परिभाषा भी होती है। कई बार यह भी बताया जाता है कि वह शब्द कैसे बना। हमारी अपनी भाषा का शब्द है या किसी और भाषा से आया है।
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी का पहला वॉल्यूम 1 फरवरी 1884 में पब्लिश हुआ था। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के पहले संस्करण को संकलित करने में लगभग 70 साल लग गए और उन वर्षों में दो लोगों में काफी समानता देखी गई। हालाँकि वो देखने में एक जैसे थे, लेकिन दोनों की जिंदगी एक-दूसरे से काफी अलग थी।
ये दो नाम हैं- सर जेम्स ऑगस्टस हेनरी मुरे (Sir James Augustus Henry Murray) और डॉ. विलियम चेस्टर माइनर (Dr. William Chester Minor)। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के इतिहास में इन दोनों की कहानी काफी दिलचस्प और रोचक है। ऑक्सफोर्ड का इतिहास इनकी स्कॉलरशिप, हिंसा, पागलपन, गरीबी और शब्दों के लिए समर्पण की दमदार कहानी को दर्शाता है।
ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी (OED) में जिस तरह से शब्द के हर रुप को सुसज्जित और व्यवस्थित किया गया है, उसे देखकर क्या कोई यह सोच भी सकता है कि इसे तैयार करने में एक पागल व्यक्ति का अहम योगदान हो सकता है! भले ही सर जेम्स ऑगस्टस हेनरी मुरे ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के लेखक हैं, लेकिन इसके सबसे उल्लेखनीय और शानदार योगदानकर्ता थे- डॉ. विलियम चेस्टर माइनर नामक एक अमेरिकी सर्जन। उन्होंने ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी को 10,000 से ज्यादा शब्द दिए।
अमेरिकी गृह युद्ध में लड़ने वाले माइनर सेना में सर्जन थे। लेकिन सेना में रहने के दौरान उन्हें एक आयरिश सैनिक के चेहरे पर ‘Deserter’ के लिए ‘D’ अक्षर आग में गर्म करके दागना था। इस घटना ने उन्हें काफी प्रभावित किया। उन्होंने इससे उबरने के लिए युद्ध खत्म होने के बाद लंदन का रुख किया, लेकिन वहाँ उनकी किस्मत ने उन्हें पागलखाने पहुँचा दिया। दरअसल यहाँ पर उन्होंने राह चलते एक राहगीर पर गोली चला दी थी। जिसके बाद कोर्ट ने मानसिक रुप से विक्षिप्त होने के कारण उन्हें सजा न देकर पागलखाने में रखने का आदेश दिया।
यहीं पर माइनर को मुरे द्वारा दिए गए विज्ञापन के बारे में पता चला। इसके बाद उन्होंने किताबें मँगवाई और हजारों शब्दों का पूर्ण विवरण लिख कर मुरे को भेजने लगे। हर किताब पढ़ने के बाद उनके दिमाग में एक कोटेशन आता था। जिसे माइनर ने पर्ची पर नोट कर वर्णमाला के क्रम (Alphabetical Order) में व्यवस्थित किया। इस तरह की पर्ची माइनर 20 साल तक हर हफ्ते जेम्स मुरे को भेजते रहे।
इस बीच मुरे को इसका तनिक भी भान नहीं था कि माइनर मानसिक रुप से विक्षिप्त हैं और शरणार्थी सेल में हैं। जब मुरे 1891 में माइनर से उनके शरणार्थी सेल में मिले तो उन्हें एहसास हुआ कि माइनर के योगदान के बिना, ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी को अपने रोस्टर से गायब हुए शब्द-उत्पत्ति के चार शताब्दियों से अधिक का समय हो चुका होता।
माइनर ने जो शब्द दिए, उसमें से अधिकतर शब्द उनके पढ़ने की सनकपन की वजह से आया। राजनीतिक दर्शन की किताबों से उन्होंने ‘countenance’ जैसे शब्दों की व्युत्पत्ति की, जिसका आज हम धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। यात्रा साहित्य को पढ़ने से, विशेष रूप से भारत के बारे में पढ़ने पर उन्होंने ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी को ‘guz’ (गज) जैसा शब्द दिया, जो मूल रूप से भारत में लंबाई का एक मापक ईकाई है।
माइनर के अच्छे आचरण के बावजूद, अधिकारियों ने माइनर को ब्रॉडमूर से बाहर जाने से मना कर दिया। 1800 के दशक के दौरान जेम्स मुरे ने सरकार को दर्जनों पत्र भेजे और व्यक्तिगत रूप से कानून के प्रमुख अधिकारियों को माइनर को जाने देने के लिए याचिका दी।
1900 की शुरुआत में, माइनर की हालत खराब हो गई। उन्हें बुरे सपने आने लगे। उन्हें पुराने दृश्य याद आने लगे, जिसने उन्हें विचलित कर दिया। उन्हें खुद से घृणा होने लगी और फिर उन्होंने अपना लिंग काट कर खुद को घायल कर लिया। 1910 में मुरे की याचिकाएँ सफल हुईं, जब विंस्टन चर्चिल नाम का एक युवा गृह सचिव के पास पहुँचा। इसके बाद माइनर को वहाँ से जाने दिया गया और 1922 में उनके घर पर उनकी मृत्यु हो गई।
ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के पीछे की यह दिलचस्प कहानी ब्रिटिश लेखक सिमॉन विनचेस्टर (Simon Winchester) की किताब The Surgeon of Crowthorne: A Tale of Murder, Madness and the Love of Words में प्रकाशित हुई। यह गैर-फिक्शन हिस्ट्री बुक पहली बार इंग्लैंड में 1998 में प्रकाशित हुआ। इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में The Professor and the Madman: A Tale of Murder, Insanity, and the Making of the Oxford English Dictionary टाइटल से पब्लिश हुई।
जब हम ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी के पन्नों को पलटते हैं, जो कि हमारे घरों में और इंटरनेट पर अब आम है, तो इतिहास के उन विभिन्न धागों पर ध्यान देना असंभव सा होता है, जो एक साथ बँधे हुए प्रतीत होते हैं। और इन्हीं पन्नों के बीच में कहीं अभी भी इन दो उल्लेखनीय पुरुषों, एक प्रोफेसर और एक पागल व्यक्ति की गूँज बसती है।