भारत बायोटेक ने शनिवार (03 जुलाई) को स्वदेशी Covid-19 वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के तीसरे फेज के ट्रायल के बाद प्राप्त हुए डाटा के आधार पर वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावकारिता (Efficacy) की घोषणा की। देश में सबसे ज्यादा समय तक चलने वाले ट्रायल के डाटा के आधार पर भारत बायोटेक ने बताया कि भारत में निर्मित कोवैक्सीन ने लक्षण वाले Covid-19 संक्रमित मरीजों में लगभग 77.8% की प्रभावकारिता दिखाई है।
हैदराबाद स्थित बायोटेक कंपनी ने एनालिसिस में यह पाया कि कोवैक्सीन गंभीर लक्षण वाले Covid-19 मामलों में 93.4% प्रभावी रही है। इसके अलावा देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के जिम्मेदार रहे B.1.617.2 या डेल्टा स्ट्रेन के लिए भी कोवैक्सीन लगभग 65% प्रभावी है।
COVAXIN® Proven SAFE in India’s Largest Efficacy Trial. Final Phase-3 Pre-Print Data Published on https://t.co/JJh9n3aB6V pic.twitter.com/AhnEg56vFN
— BharatBiotech (@BharatBiotech) July 2, 2021
कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के परिणामों के बारे भारत बायोटेक ने बताया कि कोवैक्सीन बिना लक्षण वाले संक्रमित मरीजों के लिए 63.6% तक प्रभावी है। गौरतलब कि दूसरे फेज का ट्रायल वैक्सीन की सुरक्षा को परखने के लिए हुआ था जबकि तीसरे फेज का ट्रायल वैक्सीन की प्रभावकारिता पर आधारित था।
भारत बायोटेक के द्वारा कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के बाद जारी किए गए प्री-प्रिन्ट एनालिसिस के कुछ आँकड़े यहाँ बताए जा रहे हैं;
- बिना लक्षण वाले मामलों में : 63% efficacy (प्रभावकारिता)
- माइल्ड, मॉडरेट और गंभीर मामलों में : 78% efficacy
- गंभीर Covid-19 मामलों में : 93% efficacy
- डेल्टा वैरिएन्ट के खिलाफ : 65% efficacy
कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल का एनालिसिस डाटा medRxiv प्री-प्रिन्ट सर्वर पर पब्लिश किया गया। यह ट्रायल भारत के लगभग 25 अस्पतालों में हुआ।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार तीसरे फेज के ट्रायल के दौरान एक डबल-ब्लाइंड, रैंडमाइज्ड, मल्टी-सेंटर क्लिनिकल ट्रायल में स्पॉन्सर्ड सप्लाइड रैंडमाइजेशन स्कीम का उपयोग किया गया जहाँ वालेंटियर्स को चार सप्ताह की अवधि में Covid-19 वैक्सीन या एक प्लेसबो की दो इंट्रामस्क्युलर डोज दी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें 18 से 98 वर्ष के आयु वर्ग के 25,800 वालेंटियर्स शामिल थे।
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन इस समय भारत में लगाई जा रही तीन Covid-19 वैक्सीनों में से एक है। दो अन्य हैं सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की बनाई गई कोविशील्ड और रूस की स्पूतनिक V. कोवैक्सीन को जनवरी में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी प्रदान की गई थी।
भारत बायोटेक के द्वारा तीसरे फेज के ट्रायल का परिणाम ऐसे समय में घोषित किया गया है जब इसे अमेरिका की टॉप मेडिकल रिसर्च एजेंसी के द्वारा अच्छी-खासी प्रशंसा मिली। अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य शोध संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने बताया था कि भारत की स्वदेशी कंपनी भारत बॉयोटेक द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन (COVAXIN) कोविड-19 वायरस के अल्फा और डेल्टा वैरिएंट को प्रभावी तरीके से बेअसर करती है। एनआईएच (NIH) ने बताया कि दो शोधों के डाटा के आधार पर ये दावा किया जा रहा है।
संस्था ने कहा कि कोवैक्सीन लगवाने वाले लोगों के रक्त सीरम के दो अध्ययनों के परिणाम बताते हैं कि यह वैक्सीन ऐसे एंटीबॉडी विकसित करती है, जो कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) के बी.1.1.7 (अल्फा) और बी.1.617 (डेल्टा) स्वरूपों को प्रभावी तरीके से बेअसर करते हैं। ये स्वरूप सबसे पहले ब्रिटेन और भारत में पाए गए थे।