Saturday, November 2, 2024
Homeविविध विषयविज्ञान और प्रौद्योगिकीCovaxin गंभीर केस में 93% और माइल्ड केस में 77.8% तक प्रभावी: भारत बायोटेक...

Covaxin गंभीर केस में 93% और माइल्ड केस में 77.8% तक प्रभावी: भारत बायोटेक ने जारी किया फेज 3 ट्रायल डाटा

कोवैक्सीन गंभीर लक्षण वाले Covid-19 मामलों में 93.4% प्रभावी रही है। इसके अलावा देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के जिम्मेदार रहे B.1.617.2 या डेल्टा स्ट्रेन के लिए भी कोवैक्सीन लगभग 65% प्रभावी है।

भारत बायोटेक ने शनिवार (03 जुलाई) को स्वदेशी Covid-19 वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ के तीसरे फेज के ट्रायल के बाद प्राप्त हुए डाटा के आधार पर वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावकारिता (Efficacy) की घोषणा की। देश में सबसे ज्यादा समय तक चलने वाले ट्रायल के डाटा के आधार पर भारत बायोटेक ने बताया कि भारत में निर्मित कोवैक्सीन ने लक्षण वाले Covid-19 संक्रमित मरीजों में लगभग 77.8% की प्रभावकारिता दिखाई है। 

हैदराबाद स्थित बायोटेक कंपनी ने एनालिसिस में यह पाया कि कोवैक्सीन गंभीर लक्षण वाले Covid-19 मामलों में 93.4% प्रभावी रही है। इसके अलावा देश में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के जिम्मेदार रहे B.1.617.2 या डेल्टा स्ट्रेन के लिए भी कोवैक्सीन लगभग 65% प्रभावी है।

कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के परिणामों के बारे भारत बायोटेक ने बताया कि कोवैक्सीन बिना लक्षण वाले संक्रमित मरीजों के लिए 63.6% तक प्रभावी है। गौरतलब कि दूसरे फेज का ट्रायल वैक्सीन की सुरक्षा को परखने के लिए हुआ था जबकि तीसरे फेज का ट्रायल वैक्सीन की प्रभावकारिता पर आधारित था।

भारत बायोटेक के द्वारा कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल के बाद जारी किए गए प्री-प्रिन्ट एनालिसिस के कुछ आँकड़े यहाँ बताए जा रहे हैं;

  1. बिना लक्षण वाले मामलों में : 63% efficacy (प्रभावकारिता)
  2. माइल्ड, मॉडरेट और गंभीर मामलों में : 78% efficacy
  3. गंभीर Covid-19 मामलों में : 93% efficacy
  4. डेल्टा वैरिएन्ट के खिलाफ : 65% efficacy    

कोवैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल का एनालिसिस डाटा medRxiv प्री-प्रिन्ट सर्वर पर पब्लिश किया गया। यह ट्रायल भारत के लगभग 25 अस्पतालों में हुआ।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार तीसरे फेज के ट्रायल के दौरान एक डबल-ब्लाइंड, रैंडमाइज्ड, मल्टी-सेंटर क्लिनिकल ट्रायल में स्पॉन्सर्ड सप्लाइड रैंडमाइजेशन स्कीम का उपयोग किया गया जहाँ वालेंटियर्स को चार सप्ताह की अवधि में Covid-19 वैक्सीन या एक प्लेसबो की दो इंट्रामस्क्युलर डोज दी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें 18 से 98 वर्ष के आयु वर्ग के 25,800 वालेंटियर्स शामिल थे।

भारत बायोटेक की कोवैक्सीन इस समय भारत में लगाई जा रही तीन Covid-19 वैक्सीनों में से एक है। दो अन्य हैं सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की बनाई गई कोविशील्ड और रूस की स्पूतनिक V. कोवैक्सीन को जनवरी में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी प्रदान की गई थी।

भारत बायोटेक के द्वारा तीसरे फेज के ट्रायल का परिणाम ऐसे समय में घोषित किया गया है जब इसे अमेरिका की टॉप मेडिकल रिसर्च एजेंसी के द्वारा अच्छी-खासी प्रशंसा मिली। अमेरिका के शीर्ष स्वास्थ्य शोध संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने बताया था कि भारत की स्वदेशी कंपनी भारत बॉयोटेक द्वारा बनाई गई कोवैक्सीन (COVAXIN) कोविड-19 वायरस के अल्फा और डेल्टा वैरिएंट को प्रभावी तरीके से बेअसर करती है। एनआईएच (NIH) ने बताया कि दो शोधों के डाटा के आधार पर ये दावा किया जा रहा है।

संस्था ने कहा कि कोवैक्सीन लगवाने वाले लोगों के रक्त सीरम के दो अध्ययनों के परिणाम बताते हैं कि यह वैक्सीन ऐसे एंटीबॉडी विकसित करती है, जो कोरोना वायरस (SARS-CoV-2) के बी.1.1.7 (अल्फा) और बी.1.617 (डेल्टा) स्वरूपों को प्रभावी तरीके से बेअसर करते हैं। ये स्वरूप सबसे पहले ब्रिटेन और भारत में पाए गए थे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘औरतों की आवाज इबादत के वक्त भी सुनाई न पड़े’ : अफगान महिलाओं के लिए तालिबान का फरमान, अल्लाह-हु-अकबर और सुभानाल्लाह कहने की भी...

तालिबान ने एक फरमान जारी कर कहा है कि महिलाएँ इबादत करते समय इतनी तेज आवाज में नहीं बोल सकतीं कि कोई दूसरी महिला भी सुन ले।

पत्थरबाजी, मारपीट, फिर गाड़ियों में आग… इंदौर में हिंदू बच्चों के पटाखा जलाने पर दो पक्षों में भड़का विवाद, सड़कों पर तोड़फोड़ और नारेबाजी

इंदौर में पटाखा जलाने पर "समुदाय विशेष" के कुछ लोग नाराज़ हो गए और गुस्से में आकर सड़क पर खड़ी गाड़ियों के शीशे तोड़ दिए और नुकसान पहुँचाया।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -