भारत में इस समय बिक रहे 99.2% स्मार्टफोन ‘मेड इन इंडिया’ हैं। बीते 9 साल में देश में स्मार्टफोन का प्रोडक्शन करीब 9 गुना बढ़ा है। मोबाइल फोन प्रोडक्शन इंडस्ट्री 44 बिलियन डॉलर (करीब 3.5 लाख करोड़ रुपए) तक पहुँच चुकी है। यह जानकारी केंद्रीय आईटी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी है।
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने बताया है कि भारत ने 2025-26 तक 300 बिलियन डॉलर की इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री बनाने का लक्ष्य तय कर रखा है। उनका कहना है कि भारत की तरक्की और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में निर्यात का बड़ा योगदान हो सकता है।
गौरतलब है कि भारत में बीते एक दशक में स्मार्टफोन निर्माण में काफी तेजी आई है। बीते 9 साल में भारत के स्मार्टफोन उत्पादन में 20 गुना वृद्धि देखी गई है। वर्ष 2014-15 में यह मार्केट लगभग ₹19,000 करोड़ का ही था। अब यह बढ़ कर ₹3.5 लाख करोड़ से ऊपर जा चुकी है।
ऐसा नहीं है कि भारत में बने हुए स्मार्टफोन केवल भारत के ही बाजार में बेचे जा रहे हैं। भारत लगभग 11 बिलियन डॉलर के स्मार्टफोन निर्यात भी कर रहा है। स्मार्टफोन निर्माता कम्पनी एप्पल भी भारत में लगातार अपने फोन का निर्माण बढ़ा रही है। भारत अब विश्व में दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता है।
एक रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2022-23 में एप्पल ने 5 बिलियन डॉलर से अधिक इलेक्ट्रॉनिक भारत में निर्मित करके बाहर निर्यात किए। यह सिलसिला लगातार जारी है। जितना निर्यात एप्पल ने 2022-23 के पूरे वर्ष में किया था, उससे अधिक 2023-24 के पहले सात महीनों में ही कर चुका है।
एप्पल भारत से 2023-24 के पहले 7 माह में 5 बिलियन डॉलर से अधिक का निर्यात कर चुका है। भारत के स्मार्टफोन निर्यात में एप्पल का लगभग 62% हिस्सा है। एप्पल के अलावा अब कोरियन स्मार्टफोन निर्माता कम्पनी सैमसंग भी भारत के निर्यात में बड़ी हिस्सेदार है। सैमसंग ने 2022-23 के दौरान 4 बिलियन डॉलर से अधिक के स्मार्टफोन निर्यात किए।
Met Mobile industry to review progress.
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) November 25, 2023
📱Industry has grown 20 times in 9 years.
👉2014: 78% import dependent
👉2023: 99.2% of all mobiles sold in India are ‘Made In India’. pic.twitter.com/SxUeDwNjsn
अब गूगल भी अपना स्मार्टफ़ोन पिक्सल भारत में बनाने की योजना पर काम कर रहा है। एप्पल अपनी क्षमता को बढ़ा रहा है। एप्पल, ताईवानी कम्पनी फॉक्सकॉन और पेगाट्रोन के साथ मिलकर भारत में अभी आईफोन बना रही है। एप्पल आने वाले दिनों में टाटा के साथ मिलकर आइफोन भी बनाने जा रहा है। इसके लिए फैक्ट्री बन रही है।
इनके अलावा भारत के बाजार में बड़ा हिस्सा रखने वाली शाओमी, ओप्पो और वनप्लस जैसे ब्रांड भी भारत में ही निर्माण कर रहे हैं। पहले यह सभी ब्रांड भारत में चीन से मँगाकर स्मार्टफ़ोन बेचते थे। प्रोडक्शन के क्षेत्र में आए इस बदलाव का एक बड़ा कारण केंद्र सरकार की नीतियाँ भी रही हैं।
केंद्र सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम भारत में स्मार्टफोन बनाने वाली कम्पनियों को कई रियायतें देने के लिए बनाई गई है। यह स्कीम स्मार्टफ़ोन के अलावा भारत में पूरे इलेक्ट्रॉनिक निर्माण क्षेत्र के लिए लाई गई है। इसका असर भी दिखा है।
जिन राज्यों में स्मार्टफोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं को बनाने की फैक्ट्रियाँ लग रही हैं, वहाँ की राज्य सरकारें भी इन्हें जमीन और बिजली में रियायतों जैसी सुविधाएँ दे रही हैं। भारत में बनने वाले स्मार्टफोन में विदेशी कंपोनेंट भी कम हो रहे हैं और भारतीय कंपोनेंट का प्रतिशत बढ़ रहा है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, PLI के तहत केंद्र सरकार भारत में मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों की बढ़ती हुई सेल के हिसाब से उन्हें सब्सिडी देगी। यह सब्सिडी अलग-अलग कैटेगरी के लिए अलग-अलग रखी गई है। PLI के अलावा कई राज्यों ने अपने श्रम कानूनों में बदलाव करना चालू कर दिया है, जिससे कम्पनियों को सस्ती और स्किल्ड लेबर मिल सके।
वर्ष 2018-19 में देश से जहाँ ₹61,090 करोड़ के इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात हुआ था, वहीं 2022-23 में ₹1.9 लाख करोड़ के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का निर्यात हुआ। यह पाँच वर्षों में लगभग 3 गुना की वृद्धि है। वर्ष 2023-24 में इसके और भी अधिक होने की संभावना है।