Monday, November 18, 2024
Homeरिपोर्टराष्ट्रीय सुरक्षाPellet Guns कश्मीरी पत्थरबाज़ों के भले के लिए... लेकिन शेहला रशीद और The Wire...

Pellet Guns कश्मीरी पत्थरबाज़ों के भले के लिए… लेकिन शेहला रशीद और The Wire चला रहे प्रोपेगेंडा

The Wire और शेहला रशीद जैसे प्रोपेगेंडाबाजों से बचिए। ये धूर्त लोग घटना के बाद के समाधान (पैलेट गन पर रोक) सुझा कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं। आपको घटना से पहले का समाधान (जहाँ मुठभेड़ चल रही हो, वहाँ जाएँ ही नहीं) चाहिए।

‘द वायर’ ने कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले पैलेट गन को लेकर एक लेख लिखा है, जिसमें दावा किया गया है कि बिहार का एक लड़का इसका शिकार हो गया हो गया और इसीलिए इसे बैन किया जाना चाहिए। ‘द वायर’ के इस लेख में शेहला रशीद ने ट्विट करते हुए लिखा कि पैलेट गन का प्रयोग कश्मीर की आम जनता पर बुरा प्रभाव डाल रहा है और रोज़ लोग अंधे हो रहे हैं। किसी एक व्यक्ति की आपबीती सुना कर इमोशनल ब्लैकमेल की कोशिश में लगे मीडिया के प्रोपगंडाबाजों को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट का निर्णय भी पढ़ना चाहिए।

जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने पैलेट गन के प्रयोग को लेकर कहा था कि वो इस पर रोक नहीं लगा सकती। उन्होंने कहा था कि वे एक्सट्रीम स्थिति में सुरक्षा बलों द्वारा पैलेट गन के प्रयोग को प्रतिबंधित नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने भी पैलेट गन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। हालाँकि, भारत सरकार को पैलेट गन का विकल्प खोजने के लिए एक कमिटी गठित करने को ज़रूर कहा गया था लेकिन सुरक्षा बल मजबूरी में ही पैलेट गन का प्रयोग करते हैं, जब स्थिति बदतर हो जाती है। पैलेट गन को एक ‘Non-Lethal’ हथियार माना गया है, जिसे घातक बन्दूंकों की जगह प्रयोग किया जाता है।

असल में, पैलेट गन का प्रयोग ही इसीलिए किया जाता है ताकि सुरक्षा बलों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई में आम जनता की जान नहीं जाए। सोचिए, अगर सुरक्षा बल सीधा एके-47 का प्रयोग करने लगें तो क्या होगा? कश्मीर में पत्थरबाज़ी कर रहे लोग, जिन्हें शेहला रशीद के ब्रिगेड के लोग निर्दोष नागरिक बताते हैं, वे सभी मारे जाएँगे। पैलेट गन का प्रयोग भीड़ को तितर-बितर करने और पत्थरबाजों के लिए किया जाता है। मीडिया उनमें से किसी एक को ढूँढ कर लाता है और ऐसा नैरेटिव तैयार किया जाता है, जिससे यह लगे कि निर्दोष लोग इसका शिकार बन रहे हैं।

आमिर अली भट द्वारा लिखित ‘द वायर’ के इस लेख में कहा गया है कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसी संस्थाओं ने पैलेट गन को प्रतिबंधित करने की बात की है। अगर सुरक्षा बल पत्थरबाज़ी कर रही भीड़ पर ख़ुद के बचाव के लिए पैलेट गन का प्रयोग करती है तो उस भीड़ में अगर एक-दो ‘निर्दोष’ भी शामिल हैं तो उनके चोटिल होने की संभावना है ही – इसे गेहूँ के साथ घून पीसने वाली कहावत के तौर पर देखा जाना चाहिए।

समस्या यह है कि कश्मीर के लोग अपने बच्चों को ऐसी भीड़ से दूर रहने की सलाह नहीं देते। जिस राज्य में बच्चों से लेकर बूढ़ों तक को पत्थरबाज़ी करते देखा गया हो, वहाँ अपवादस्वरूप अगर कोई निर्दोष व्यक्ति घायल भी होता है तो इसे लेकर बड़ा हंगामा नहीं खड़ा करना चाहिए। आम जगहों पर माँ-बाप अपने बच्चों को बताते हैं कि जहाँ दंगा-फसाद होता है, वहाँ मत जाओ। कश्मीरी माँ-बाप को भी यह सीख अपने बच्चों को देनी चाहिए।

पैलेट गन का प्रयोग घातक हथियारों के विकल्प के रूप में किया जाता है क्योंकि सेना पत्थरबाज़ी कर के सुरक्षा बलों के जवानों को चोट पहुँचाने वाले नागरिकों को आतंकी नहीं मानती। अगर उन्हें आतंकी की तरह देखा जाता तो और भी घातक हथियार प्रयोग किए जा सकते थे। अगर पैलेट गन की बात होती है तो यह भी लिखा जाना चाहिए कि उसका प्रयोग किसके लिए किया जा रहा है, कब किया जाता है? सीआरपीएफ ने जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट को बताया था कि अगर पैलेट गन प्रतिबंधित किए जाते हैं तो सुरक्षा बल के जवान ऐसी परिस्थितियों में बंदूकों का इस्तेमाल करेंगे और इससे नुकसान और बढ़ जाएगा।

क्योंकि आतंकियों को मरना ही होगा – यही सत्य है। वो कश्मीर के हों या बिहार के या फिर केरल के – देश की सुरक्षा और निहत्थे नागरिकों की जान को गाजर-मूली समझने वाले इन आतंकियों को मरना ही होगा। जो इनके बचाव में ‘सुपर कमांडो ध्रुव’ बनकर पत्थरबाजी करेंगे, उन पर पैलेट गन का प्रयोग भी होगा – यह भी सत्य है। इसलिए सरकार के साथ-साथ सेना से पैलेट गन पर रोक लगाने के निवेदन से बेहतर है कि अपने बच्चों को हिंसा वाली संभावित जगहों से दूर रहने की सलाह दीजिए।

इसलिए कश्मीरी भाइयो-बहनो… द वायर और शेहला रशीद जैसे प्रोपेगेंडाबाजों से बचिए। ये धूर्त लोग आपको घटना के बाद के समाधान (पैलेट गन पर रोक) सुझा कर अपनी राजनीतिक रोटी सेंक रहे हैं। आपको घटना से पहले का समाधान (जहाँ मुठभेड़ चल रही हो, वहाँ जाएँ ही नहीं) चाहिए। पैलेट गन कश्मीर की जनता के भले के लिए है। यह उनके भले के लिए भी है, जो अपनी ही रक्षा करने वाले सुरक्षा बलों के जवानों को चोट पहुँचाते हैं, वरना अगर इसकी जगह अन्य हथियारों का प्रयोग किया जाए तो जैसा कि सीआरपीएफ ने अदालत में कहा, लोगों के मरने की संभावनाएँ बढ़ जाएँगी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -