दिल्ली सीएए विरोधी दंगों की फंडिंग को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। पता चला है कि कॉन्ग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहाँ, एक्टिविस्ट खालिद सैफी, आम आदमी पार्टी के पार्षद रहे ताहिर हुसैन, जामिया मिल्लिया इस्लामिया एलुमनाई एसोसिएशन के अध्यक्ष शिफा उर रहमान और जामिया के ही मीरान हैदर को हिन्दू-विरोधी दंगों के लिए 1.61 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली थी। दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में ये खुलासा हुआ है।
नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुए दंगों को लेकर पुलिस ने 15 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है, जिन्होंने इस पूरे वारदात की साजिश रची। दिसंबर 10, 2019 को ही इशरत जहाँ के बैंक अकाउंट में एक कॉर्पोरेशन बैंक अकाउंट से 4 लाख रुपए पहुँच गए थे। जाँच में पता चला कि ये अकाउंट मूल रूप से महाराष्ट्र के महादेव विजय कस्ते के नाम से रजिस्टर्ड है। महादेव को इस बारे में कुछ पता नहीं था। वो समीर अब्दुल साई नामक व्यक्ति के पास बतौर ड्राइवर कार्यरत थे।
महादेव ने बताया कि उन्होंने समीर अब्दुल साई के कहने पर आईसीआईसीआई बैंक से 4.137 लाख का गोल्ड लोन लिया और बैंक द्वारा इतनी ही रकम उनके कॉर्पोरेशन बैंक अकाउंट में डाली गई। इसके बाद साई ने उसमें से 4 लाख रुपए इशरत जहाँ को भेजे। साई ने पूछताछ में खुलासा किया कि गाजियाबाद का इमरान सिद्दीकी उसका बिजनेस पार्टनर है। दिसंबर 2019 में उसने इशरत जहाँ, गुलजार अली और बिलाल अहमद के बैंक अकाउंट डिटेल्स देकर उनमें तुरंत 10-10 लाख रुपए ट्रांसफर करने को कहा था।
जब साई ने इतनी रकम भेजने में असमर्थता जताई तो फिर उसने इशरत जहाँ के अकाउंट में 5 लाख रुपए तुरंत डालने को कहा। वहीं इमरान रिश्ते में इशरत का देवर लगता है और उसने इशरत से 4 लाख रुपए लिए थे। उसने दावा किया कि ये रकम उसने बिजनेस के लिए ली थी। हालाँकि, उसे अपने आईटी रिटर्न में न सिर्फ ये बातें छिपाई, बल्कि पूछताछ में उन रुपयों के खर्च का हिसाब-किताब भी नहीं दे पाया।
वहीं जाँच में आगे पता चला कि इशरत जहाँ ने जनवरी 10, 2020 को खुद ही अपने बैंक अकाउंट से 4.609 लाख रुपए की निकासी कैश के रूप में की थी। जाँच में पता चला कि इस रकम का इस्तेमाल उसने अपने परिचित अब्दुल खालिद के माध्यम से हथियार खरीदने और सीएए विरोधी प्रदर्शनों की फंडिंग में की थी। इन हथियारों का दंगों में इस्तेमाल हुआ। दिसंबर 1, 2019 से फ़रवरी 26, 2020 तक ताहिर हुसैन से जुड़े एक बैंक अकाउंट से भी 17.25 लाख रुपए निकाले गए।
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— LatestLY (@latestly) September 22, 2020
साथ ही ‘श्री साई ट्रेडर्स’ को आरटीजीएस के जरिए जनवरी 7 को 20 लाख रुपए, जनवरी 13 को 10 लाख रुपए और जनवरी 14 को 14 लाख रुपए और फिर उसी दिन 16 लाख रुपए ट्रांसफर किए गए थे। ताहिर हुसैन ने 60 लाख रुपए को कैश में बदलने के लिए ये सब किया और इसके लिए उसने कमीशन चैनल का सहारा लिया। ताहिर हुसैन ने लोगों को दंगों के लिए जुटाने, हथियार व अन्य चीजों की व्यवस्था करने और विरोध प्रदर्शनों को संचालित करने में बड़ी रकम खर्च की।
जामिया मिल्लिया इस्मालिया के एलुमनाई असोसिएशन ने इसमें बड़ा किरदार अदा किया। AAJMI के दो बैंक एकाउंट्स थे। ऊपर दी गई अवधि में इनमें से एक बैंक अकाउंट में 87.5 हजार रुपए डाले गए। शिफा उर रहमान ने सीएए विरोधी प्रदर्शनों के प्रबंधन के लिए 70,000 रुपए निकाले थे। AAJMI को इन कार्यों के लिए कुल 7.6 लाख रुपए मिले थे। इनमें से 5.55 लाख रुपए विदेश में कार्यरत जामिया के पूर्व छात्रों ने भेजे।
इस मामले में और जाँच जारी है लेकिन इतना खुलासा हुआ है कि इस फंडिंग को छिपाने के लिए अलग-अलग खर्चों का फेक बिल भी तैयार किया गया था। सऊदी, यूएई, ओमान और क़तर से जामिया के पूर्व छात्रों ने रुपए भेजे थे। मीरान हैदर के अकाउंट में भी इस अवधि में 86,644 रुपए ट्रांसफर हुए थे। उसके पास से मिले रजिस्टर के हिसाब से उसे दंगों को भड़काने के लिए 4.825 लाख रुपए प्राप्त हुए थे। इससे साफ़ है कि दिल्ली दंगों की फंडिंग के लिए ताहिर और इशरत सहित इन पाँचों ने जम पर फंडिंग का जुगाड़ किया था।