नए कृषि कानूनों के खिलाफ तथाकथित किसानों द्वारा जारी विरोध के बीच अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति (AIKCC) से जुड़े दस किसान नेताओं ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की और संसद में पारित तीन नए कृषि कानूनों को अपना समर्थन दिया। अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति (AIKCC) किसानों का चौथा समूह है, जिन्होंने पिछले दो सप्ताह में कृषि कानूनों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है।
किसानों संगठनों के ये प्रतिनिधि उत्तर प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा जैसे कई राज्यों से केंद्रीय कृषि मंत्री से मिलने और तीन कृषि कानूनों को अपना समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय राजधानी पहुँचे। नई दिल्ली में उन्होंने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री को अपना ज्ञापन सौंपा।
10 organisations from various states like Uttar Pradesh, Kerala, Tamil Nadu, Telangana, Bihar and Haryana, associated with All India Kisan Coordination committee, are meeting Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar, to extend their support on 3 Farm Bills. pic.twitter.com/FMnzpoO2c1
— ANI (@ANI) December 14, 2020
ज्ञापन में खास तौर पर उन अराजत तत्वों को लताड़ा गया है, जो नए कानूनों के खिलाफ किसानों को गलत जानकारी देने और उन्हें भड़काने की कोशिश कर रहे थे। उनके अनुसार, किसानों के विरोध में शामिल कुछ अराजक तत्व प्रदर्शनकारियों के बीच कृषि कानूनों के बारे में गलत धारणा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।
कुछ लोग कानून के खिलाफ भड़का कर उन्हें वापस काल कोठरी में भेजना चाहते हैं: AIKCC
किसान नेताओं ने उल्लेख किया कि पिछले तीन दशकों में किसानों का शोषण करने वाले कानूनों के खिलाफ एआईसीसी ने हमेशा आवाज उठाई है और आगे भी ऐसा करना जारी रखेगा। नए कानूनों को अपना समर्थन देने के पीछे की वजह बताते हुए संगठन ने कहा कि नए कृषि कानून किसानों के लिए एक नई शुरुआत होगी। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन में शामिल अराजक तत्व किसानों को मोदी सरकार द्वारा लाए गए कानूनों के खिलाफ भड़का कर उन्हें वापस काल कोठरी में धकेलने की कोशिश कर रहे हैं।
उनका तर्क था कि किसानों को एपीएमसी का पालन करने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा, किसानों के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि अगर केंद्र कृषि कानूनों को रद्द करती है तो वे सड़कों पर उतरेंगे। ज्ञापन में किसानों को आधुनिक तकनीक की उपलब्धता, कृषि उपकरणों और उर्वरकों पर जीएसटी में कमी और आवश्यक वस्तु अधिनियम के पूर्ण निरसन जैसी अन्य माँगों को भी सूचीबद्ध किया गया।
अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति ने केंद्र सरकार का जताया आभार
अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति (AIKCC) से जुड़े किसान नेताओं ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह नए कृषि कानूनों को लागू करने के अपने फैसले पर अड़े रहें और प्रदर्शनकारी किसानों की त्रुटिपूर्ण माँगों को न मानें। उन्होंने कहा कि वे देश के विभिन्न हिस्सों से एकजुट होकर केंद्र सरकार के प्रति अपना आभार व्यक्त करने के लिए आए हैं, जिन्होंने ऐसा कानून लाया है, जो किसान की किस्मत बदल देगा।
इस बीच, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर 40 किसान यूनियनों के साथ खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश के साथ बातचीत का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमने किसानों और किसान यूनियनों के नेताओं को समझाने की कोशिश की। हमारी इच्छा है कि वे क्लाउज-बाइ-क्लाउज चर्चा के लिए आएँ। यदि वे क्लाउज-बाइ-क्लाउज अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए तैयार हैं, तो हम चर्चा के लिए तैयार हैं।”
गौरतलब है कि विपक्षी दलों, खालिस्तानी कट्टरपंथियों और वामपंथियों के हाथों ‘किसान आंदोलन’ के हाइजैक होने के बाद अब किसान संगठनों में भी आपस में लड़ाई शुरू हो गई है। कोई वार्ता के पक्ष में है तो कोई तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बगैर बातचीत नहीं करना चाहता।
भारतीय किसान यूनियन (BKU) के ‘एकता उगराहा’ गुट ने सोमवार (दिसंबर 14, 2020) को आयोजित उपवास से खुद को अलग कर लिया। बीकेयू (भानु) के तीन नेताओं ने इस्तीफा दे दिया। वहीं कॉन्ग्रेस नेता और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के प्रमुख सरदार वीएम सिंह आंदोलन में पंजाब के किसानों के दबदबे से नाराज बताए जा रहे हैं।