पश्चिम बंगाल में मालदा ज़िले के बैशनभनगर और कलियाचक क्षेत्र में तनाव का महौल है। ख़बर है कि रविवार (30 जून) को एक युवक को इतनी बुरी तरह से पीटा कि उसकी मौत हो गई। उस युवक पर शक़ था कि वो बाइक चोरी में शामिल था।
ख़बर के अनुसार, मृतक की पहचान 24 वर्षीय शैनुल शेख के रूप में हुई है। इलाक़े में प्रदर्शन उस समय शुरू हुआ जब शैनुल के शव को उसके गृहनगर बैशनभनगर लाया गया। जानकारी के अनुसार, शेख को निजी अंगों, आँखों और कानों में गंभीर चोटें आई हुईं थी। उसे मालदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के एसएसकेएम अस्पताल में भेजा गया था, जहाँ उसकी मौत हो गई।
शैनुल शेख के परिवार में उसकी माँ और पत्नी के अलावा एक छ: महीने की बेटी भी है। शेख की माँ सूफ़िया ने बताया:
“वो परिवार में अकेला कमाने वाला शख़्स था। वो ईंट के भट्टे पर काम करता था। बुधवार (25 जून) को कुछ लोगों ने उसे बाहर बुलाया और बाद में हमें पता चला कि उसकी बुरी तरह से पिटाई की गई है।”
इसके अलावा शेख की पिटाई किए जाने का एक वीडियो भी सामने आया है, इसे देखने के बाद लोगों में ग़ुस्सा और बढ़ गया। हत्या के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 34 को जाम कर दिया और कलियाचक में दुकानों और अन्य प्रतिष्ठानों में जमकर तोड़-फोड़ की। इसके अलावा यह भी पता चला है कि प्रदर्शनकारियों ने सरकारी बसों में भी तोड़-फोड़ की है। हालात इतने विकट हो गए कि पुलिस को स्थिति पर क़ाबू पाने के लिए हवाई फायरिंग तक करनी पड़ गई। पुलिस ने इस बात की जानकारी दी कि इस घटना के संबंध में एक शख़्स को गिरफ़्तार किया गया है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया:
“अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले प्रदर्शनकारयों ने कलियाचक क्षेत्र में NH 34 पर प्रदर्शन किया। वो एक युवक की मौत के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे थे। क्षेत्र में भारी मात्रा में पुलिस बलों को तैनात किया गया है। राज्य की स्थिति फ़िलहाल शांतिपूर्ण है।”
कॉन्ग्रेस नेता और सुजापुर के विधायक इशा ख़ान चौधरी ने शैनुल शेख के परिवार वालों से मुलाक़ात की और शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा:
“परिवार के सदस्य और निवासी बैशनभनगर पुलिस स्टेशन पर प्रदर्शन के लिए शव को ले जाना चाहते हैं। मैंने उन्हें अंतिम संस्कार के लिए मनाया है और प्रदर्शन बंद करने के लिए कहा। हम चाहते हैं कि शेख को मारने वाले लोगों को गिरफ्तार किया जाए। मैंने पुलिस से कहा है कि इस बात की जाँच की जाए कि यह सामुदायिक हिंसा थी या नहीं।”