पटना हाईकोर्ट के 7 जजों ने बिहार सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन सभी का आरोप है कि इनके GPF खातों को बंद कर दिया गया है। अपनी याचिका में न्यायाधीशों ने जल्द सुनवाई की माँग की थी। जजों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार (24 फरवरी, 2023) को सुनवाई करेगा। यह सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की बेंच में होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन जजों ने अपने GPF खाते बंद होने का आरोप लगाया है उनके नाम जस्टिस आलोक कुमार पांडे, जस्टिस चंद्र शेखर झा, जस्टिस सुनील दत्ता मिश्रा, जस्टिस शैलेंद्र सिंह, जस्टिस जितेंद्र कुमार, जस्टिस अरुण कुमार झा और जस्टिस चंद्र प्रकाश सिंह हैं। इन न्यायाधीशों के वकील प्रेम प्रकाश हैं। इन न्यायाधीशों की ‘सुपीरियर जुडिशियल सर्विस ऑफ़ बिहार’ से सीधी भर्ती सेशन जज के तौर पर अप्रैल 2010 में हुई थी। बाद में लगभग 12 वर्षों के बाद साल 2022 ये ये सभी पटना हाईकोर्ट के न्यायाधीश बने थे।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में जजों ने बताया है कि साल 2010 में अपनी नियुक्ति के दौरान वो ‘राष्ट्रीय पेंशन योजना’ का हिस्सा थे। तब उनके GPF खाते चल रहे थे। इस दौरान साल 2016 में बिहार सरकार ने नई पेंशन योजना की घोषणा की थी। तब बताया गया था कि इस योजना ने पुरानी पेंशन स्कीम में जाने वाले लोगों को उनके NPS योगदान वापस किए जाएँगे। यह वापसी या तो उनके बैंक खातों में होगी या उनके GPF खातों में पैसे जमा हो जाएंगे।
बताया गया है कि हाईकोर्ट में नियुक्ति के बाद इन जजों को GPF खाते दिए गए। इन जजों ने इस खाते में अपने NPS को निकाल कर जमा कर दिया। नवम्बर 2022 में बिहार सरकार के लेखाकार और वहाँ के कानून व न्याय मंत्रालय ने इन जजों से उनके NPS योगदान को उनके GPF खातों में ट्रांसफर करने की वैधता पर नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण की माँग की थी। अब इन 7 जजों का आरोप है कि बिहार सरकार द्वारा उनके GPF खातों को बंद कर दिया गया है।