महाराष्ट्र के अस्पतालों में इस साल की शुरुआत से आग लगने की घटनाएँ लगातार सुर्खियों में छाई रही हैं। आँकड़ों की बात करें तो जनवरी से लेकर नवंबर 2021 तक यहाँ के अस्पतालों में कम से कम 6 दुर्घटनाएँ हुई हैं, जिसमें 70 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इन दुर्घटनाओं से राज्य में लचर स्वास्थ्य सेवा की कलई खुल गई है। आइए आपको बताते हैं इस वर्ष महाराष्ट्र में होने वाली घटनाओं के बारे में, जब अस्पताल में सिस्टम सोता रहा और कई जिंदगियाँ काल के गाल में समा गईं।
9 जनवरी – भंडारा जिला अस्पताल, 10 नवजात की मौत
महाराष्ट्र के भंडारा जिला अस्पताल में इस साल 9 जनवरी को आग लगने से 10 नवजात बच्चों की आग में झुलसने से मौत हो गई। अस्पताल की न्यूबॉर्न केयर यूनिट में 17 नवजात बच्चे थे, जिनमें 10 की मौत हो गई थी। इन सभी की उम्र 1 से 2 महीने के बीच थी।
26 मार्च – भांडुप में सनराइज अस्पताल, 10 की मौत
इसी वर्ष मार्च (26 मार्च 2021) में मुंबई के भांडुप क्षेत्र में सनराइज अस्पताल के टॉप फ्लोर पर आग लगने से 10 मरीजों की मौत हो गई थी। यह दुर्घटना उस वक्त हुई, जब वहाँ 76 मरीज इलाज करवा रहे थे। सनराइज अस्पताल एक मॉल में चलाया जा रहा था।
21 अप्रैल – जाकिर हुसैन अस्पताल, 24 की मौत
21 अप्रैल 2021 को नासिक के डॉ. जाकिर हुसैन अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर लीक होने से 24 लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ी थी। शुरुआत में यह आँकड़ा 22 था, जो बाद में बढ़कर 24 हो गया। इसी लीकेज के चलते वेंटिलेटर पर रखे गए मरीजों को लगभग आधे घंटे तक ऑक्सीजन नहीं मिल पाई थी।
24 अप्रैल – विरार अस्पताल, 13 की मौत
महाराष्ट्र में मुंबई के पालघर जिले के पश्चिम विरार स्थित विजय वल्लभ कोविड केयर सेंटर के आईसीयू में 24 अप्रैल को तड़के 3 बजे भीषण आग से लगने से 13 मरीजों की मौत हो गई थी। COVID-19 मरीजों की मौत जहरीले धुएँ के साँस लेने से हुई थी।
28 अप्रैल – मुम्ब्रा का प्राइम क्रिटिकेयर अस्पताल, 4 मरीजों की मौत
28 अप्रैल 2021 को मुम्ब्रा के प्राइम क्रिटिकेयर अस्पताल में अचानक आग लगने से 4 मरीजों की मौत हो गई थी। घटना के समय वहाँ 20 मरीज भर्ती थे। आग की वजह शार्ट सर्किट बताया गया था।
6 नवंबर – अहमदनगर जिला अस्पताल, 11 मरीजों की मौत
महाराष्ट्र में 6 नवंबर 2021 को अहमदनगर जिला अस्पताल के आग की चपेट में आने से कम से कम 11 मरीजों की मौत हो गई, जबकि 6 अन्य मरीज झुलस गए। ये सभी मरीज कोरोना का इलाज करवा रहे थे।
ऐसे में सवाल यह उठता है कि महाराष्ट्र के जो अस्पताल खुद सुरक्षित नहीं हैं, वहाँ इलाज कराने वाले मरीज कितने सुरक्षित होंगे। इसे सरकार की लापरवाही ही कहेंगे, जिन्होंने इन दुर्घटनाओं को गंभीरता से नहीं लिया। यही कारण है कि यहाँ के अस्पतालों में एक के बाद एक दुर्घटनाएँ सामने आई हैं।