राजस्थान के अलवर (Alwar, Rajasthan) स्थित राजगढ़ में मंदिर गिराने के दौरान कई ऐसे घरों एवं दुकानों को भी ढहा दिया गया, जिससे लोगों के परिवार का पेट पलता था। अब उनके सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। इसी बीच एक ऐसा मामला भी सामने आया है, जिसमें एक घर के आधे हिस्से को तोड़ दिया गया और उसमें रहने वाले लोगों को बाहर निकलने का मौका भी नहीं दिया गया। इस घर के दूसरे तले पर 90 साल की एक महिला पिछले 7 दिनों दिनों से फँसी हैं।
जिस घर के आधे हिस्से को तोड़ा गया है उसमें घर की सीढ़ियाँ भी टूट गई हैं। ऐसे में घर के दूसरे तले पर फँसी 90 साल की कस्तूरी देवी वहीं फँस कर रह गई हैं। उम्र के इस पड़ाव में उन्हें चलने-फिरने में भी दिक्कत हो रही है। पैरों में सूजन ने उनकी तकलीफ को और बढ़ा दी है। वह बिना सहारे के चल भी नहीं पातीं। ऐसे में वह घर से नीचे उतरने में असमर्थ हैं।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक, कस्तूरी देवी दूसरी मंजिल पर बिछी एक चारपाई पर लेटी रहती हैं। वह अपनी बेबसी पर और प्रशासन की क्रूरता पर क्रोधपूर्ण लाचार महसूस कर रही हैं। उनकी बेटियों ने बताया कि घर तोड़ने आए प्रशासन के लोगों ने उन्हें घर से बाहर निकलने तक का मौका तक नहीं दिया और घर के अगले हिस्से को ढहा दिया।
वहीं, चने-बिस्किट बेचकर भरण-पोषण करने वाले 50 वर्षीय भागचंद की भी एक दुकान थी। इस दुकान की साइज 10×10 थी। दुकान के ऊपर पर रहने का एक छोटा-सा कमरा था। अब दोनों को ही ढहा दिया गया है। भागचंद का परिवार अब किराए के मकान में रहने को बाध्य है। वहीं, परिवार पालने के लिए ठेला लगाना पड़ रहा है।
वहीं, योगेश गवारिया नाम के एक शख्स ने बताया कि उनका भी मकान और दुकान को ढहा दिया गया है। दुकान का सामान भी बाहर निकालने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि उनके चार बच्चे हैं, जिनमें से एक विकलांग है। ऐसे में परिवार पालना मुश्किल हो रहा है।
जिन लोगों के मकान और दुकान टूटे हैं, उनका कहना है कि मंदिर टूटने पर सभी बोल रहे हैं, लेकिन जो लोग बेघर हो गए उनके लिए कोई नहीं बोल रहा है।