ओडिशा के पुरी में स्थित गोवर्धन मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने ताजमहल को लेकर बड़ा दावा किया है। शंकराचार्य ने उत्तर प्रदेश के आगरा में यमुना नदी के किनारे स्थित मुगलिया इमारत के बारे में कहा कि ये प्राचीन काल में भगवान शिव का मंदिर था और इसका नाम ‘तेजो महालय’ था। उन्होंने कहा, “जिसे आजकल ताजमहल कहते हैं, उसका पुराना नाम तेजो महालय है। वहाँ शिवजी प्रतिष्ठित थे।“
शंकराचार्य ने कहा कि जयपुर राजपरिवार के पास ताजमहल का पूरा इतिहास सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि विदेशी यात्रियों ने भी अपनी यात्रा को लेकर जो संस्मरण लिखे हैं, उनसे ताजमहल का वास्तविक नाम ‘तेजो महालय’ ही सिद्ध होता है। उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपना ‘सुपरिचित’ बताते हुए कहा कि उन्हें इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए और इतिहास के नाम पर जो दूषित प्रचार किया गया है, उस पर पानी फेरने के अविलम्ब प्रयास करें।
ताजमहल के विषय पर @myogiadityanath ध्यान दें। pic.twitter.com/Gw8R3GmRBR
— Govardhan Math (@govardhanmath) September 21, 2020
शंकराचार्य का ये बयान गोवर्धन मठ के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से एक वीडियो के जरिए जारी किया गया है और योगी आदित्यनाथ को टैग भी किया गया है। शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के बयान के बाद सोशल मीडिया में ताजमहल को लेकर चर्चा फिर से शुरू हो गई। लोगों का मानना है कि ताजमहल को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है और भारत के सैकड़ों हिन्दू मंदिर कलाकारी और भव्यता में इससे खासे बढ़ कर हैं।
इससे पहले श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती ने आगरा को अग्रवन बताते हुए कहा था कि प्राचीन काल में जो स्थल हिन्दू नाम से जाने जाते थे, उनका नाम उन्हें वापस दिया जाना चाहिए। राजस्थान सरकार द्वारा लाल पत्थर के खनन पर रोक लगाए जाने के फैसले को लेकर उन्होंने कहा कि जल्द ही बातचीत के माध्यम से इसे सुलझाया जाएगा।
हाल ही में यूपी सीएम ने घोषणा की थी कि आगरा में निर्माणधीन म्यूज़ियम छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम स्थापित किया जाएगा। ताजमहल के पूर्व में बन रहे इस प्रोजेक्ट की लागत लगभग 150 करोड़ रुपए है। इससे पहले इसका नाम ‘मुग़ल म्यूजियम’ रखा गया था, जिसे सीएम योगी ने बदल दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि छत्रपति शिवाजी महाराज हमारे नायक हैं, मुग़ल किसी भी स्थिति में हमारे नायक नहीं हो सकते हैं।