ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने समान नागरिक संहिता (UCC) के मुद्दे पर भारतीय विधि आयोग (Law Commission) को पत्र भेजकर आपत्ति जाहिर की है। बीते शुक्रवार (23 जून 2023) को AIMPLB ने कॉमन सिविल कोड को पूर्व में हुई जाँच का हवाला देते हुए गैर-जरूरी बताया। साथ ही जनता से माँगी गई राय की समय सीमा काफी कम बताते हुए इसे कम-से-कम 6 महीने के लिए बढ़ाने की अपील की।
बुधवार (28 जून 2023) को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भारतीय विधि आयोग को भेजा गया अपना पत्र शेयर किया है। AIMPLB ने खुद को भारत में मुस्लिमों का सबसे बड़ा मज़हबी संगठन बताया है। इस पत्र में विधि आयोग द्वारा जारी नोटिस को बेहद सामान्य और अस्पष्ट बताया गया है। बोर्ड ने सवाल किया है कि माँगे गए सुझाव की शर्तें क्या-क्या हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आयोग से पूछा है कि यह मुद्दा इतना महत्वपूर्ण कैसे हो गया जबकि इसे पहले हुई जाँच में गैर-जरूरी बताया जा चुका है।
Important letter from the Secretary General of @AIMPLB to the Secretary of the Law Commission of India.@MLJ_GoI#UCC pic.twitter.com/x61j5HwvZC
— All India Muslim Personal Law Board (@AIMPLB_Official) June 28, 2023
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुताबिक, भारतीय विधि आयोग द्वारा कॉमन सिविल कोड के मुद्दे पर माँगे गए सुझाव के लिए दिया गया समय काफी कम है। बोर्ड ने इस समय सीमा को कम से कम 6 माह के लिए बढ़ाने की अपील की है। साथ ही यह भी पूछा कि यह मुद्दा अचानक इतना महत्वपूर्ण कैसे हो गया। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मोहम्मद फजलुर रहीम मुजद्देदी के मुताबिक, AIMPLB अपना जवाब दाखिल करने की तैयारी कर रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (27 जून 2023) को कॉमन सिविल कोड की जोरदार पैरवी की थी। इसके बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जल्दबाजी में देर रात एक इमर्जेंसी मीटिंग की थी। करीब 3 घंटे चली इस मीटिंग में देश भर के मुस्लिम धर्मगुरुओं और प्रबुद्ध व्यक्तियों को ऑनलाइन जोड़ा गया था। मीटिंग में तय किया गया कि UCC के मुद्दे पर लॉ कमीशन को एक ड्राफ्ट तैयार करके भेजा जाएगा। इस ड्राफ्ट को अंतिम रूप दिया गया। साथ ही UCC के विरोध करने की रणनीति पर चर्चा हुई।
गौरतलब है कि भारतीय विधि आयोग ने 14 जून 2023 को एक नोटिस जारी करके समान नागरिक संहिता के बारे में मान्यता प्राप्त धार्मिक संगठनों के विचारों को जानने के लिए फिर से निर्णय लिया। आयोग ने कहा था कि जिन लोगों को इसमें रुचि है और अपनी राय देना चाहते हैं, वे राय दे सकते हैं। नोटिस पर राय या सुझाव देने के लिए 30 दिनों का समय दिया गया है। अपनी राय को भारत सरकार के विधि आयोग की ई-मेल [email protected] पर भी भेजा जा सकता है।