Friday, November 15, 2024
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हाई कोर्ट 1- नाबालिग बीवी से सेक्स मतलब रेप, हाई कोर्ट 2- नाबालिग हिंदू लड़की के अपहरण-रेप के आरोपित जावेद को बेल: कानून में इतना कंन्फ्यूजन क्यों?

बता दें कि जिस 12 नवंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट को नाबालिग लड़की के अपहरण और शारीरिक संबंध बनाने के आरोपित को वैवाहिक कर्तव्य पूरा करने के लिए जमानत दे रहा था, उसी दिन बॉम्बे हाई कोर्ट एक अलग निर्णय दे रहा था। बॉ़म्बे हाई कोर्ट एक मामले के फैसले में कहा कि यदि कोई पुरुष 18 साल से कम उम्र की अपनी पत्नी के साथ सहमति से भी यौन संबंध बनाता है तो उस पर बलात्कार का मामला दर्ज किया जा सकता है।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू नाबालिग लड़की का अपहरण करके उसके साथ रेप करने के आरोपित जावेद आलम नामक व्यक्ति को जमानत दे दी। ये आरोप बजरंग दल के एक सदस्य ने लगाए थे और जावेद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। बजरंग दल के उस सदस्य ने आरोपित जावेद को पकड़कर पुलिस के हवाले किया था। जिस समय यह हुई उस समय लड़की की उम्र करीब 17 साल थी।

न्यायमूर्ति समीर जैन की पीठ ने कहा कि CrPC की धारा 161 और 164 के बयान में पीड़ित लड़की ने कहा कि जब प्राथमिकी दर्ज की गई थी तब उसकी उम्र 17 वर्ष से अधिक थी। अपने बयान में उसने यह भी कहा कि वह आरोपित जावेद आलम के साथ विवाह किया है और अपनी इच्छा से आरोपित के साथ गई थी। पीड़िता ने अपने हलफनामा में आरोपित को अपना शौहर बताया है।

पीड़िता की उम्र अब 18 साल से अधिक है। पीड़िता के वकील ने इस दलील पर विचार किया कि अगर आवेदक को जमानत पर रिहा किया जाता है तो उसे कोई आपत्ति नहीं है। अदालत ने आरोपित को जमानत देते हुए कहा, “…यह दर्शाता है कि पीड़िता आवेदक की कंपनी में शामिल होने और अपने वैवाहिक कर्तव्यों को निभाने के लिए इच्छुक है।” आरोपित जावेद मई 2023 से जेल में था।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंदू संगठन के सदस्य ने आरोपित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 363, 366, 506, 323, 376 और POCSO अधिनियम की धारा 3/4 के साथ-साथ और उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम 2021 की धारा 3/5 (1) के तहत भी मामला दर्ज किया गया था।।

एफआईआर में आरोप लगाया गया कि आवेदक ने 10वीं कक्षा की एक हिंदू नाबालिग लड़की का ट्रेन में अपहरण कर लिया। वहाँ वह रोती हुई पाई गई थी। प्राथमिकी में आगे कहा गया है कि लगभग आठ महीने पहले आरोपित ने लड़की को बहला-फुसला लिया, उसका धर्म बदल दिया और उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित करना शुरू कर दिया।

इस मामले में जमानत की माँग करते हुए आवेदक के वकील ने कहा कि आरोपित पर केवल इस कारण से झूठा मामला दर्ज किया गया क्योंकि वह मुस्लिम समुदाय से है, जबकि लड़की हिंदू समुदाय से है। वकील ने यह भी कहा कि उस समय लड़की की उम्र 18 साल से अधिक थी। वहीं, पीड़िता के वकील ने भी कहा कि आरोपित को जमानत दी जाए, ताकि वे वैवाहिक कर्तव्यों को पूरा कर सकें।

नाबालिग बीवी से सहमति से संबंध भी रेप: बॉम्बे हाई कोर्ट

बता दें कि जिस 12 नवंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट नाबालिग लड़की के अपहरण और शारीरिक संबंध बनाने के आरोपित को वैवाहिक कर्तव्य पूरा करने के लिए जमानत दे रहा था, उसी दिन बॉम्बे हाई कोर्ट एक अलग निर्णय दे रहा था। बॉ़म्बे हाई कोर्ट एक मामले के फैसले में कहा कि यदि कोई पुरुष 18 साल से कम उम्र की अपनी पत्नी के साथ सहमति से भी यौन संबंध बनाता है तो उस पर बलात्कार का मामला दर्ज किया जा सकता है।

बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर पीठ के सिंगल बेंच जज गोविंद सनप ने 12 नवंबर को पारित आदेश में कहा, “सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून कि पत्नी होने के नाते संभोग को बलात्कार नहीं माना जाएगा, स्वीकार नहीं किया जा सकता है। इस मामले में यह कहने की जरूरत है कि 18 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध बलात्कार है, भले ही वह शादीशुदा हो या नहीं।”

कोर्ट ने कहा, “18 वर्ष से कम उम्र की पत्नी के साथ संभोग बलात्कार है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर मौजूदा मामले में पत्नी के साथ सहमति से यौन संबंध बनाने के बचाव को स्वीकार नहीं किया जा सकता। यहाँ तक ​​कि अगर उनके बीच तथाकथित विवाह हुआ था, फिर भी पीड़िता द्वारा लगाए गए आरोपों के मद्देनजर कि यह उसकी सहमति के खिलाफ यौन संबंध बनाया गया था, बलात्कार होगा।” 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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