Sunday, December 22, 2024
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‘ये देश बहुसंख्यकों के अनुसार चलेगा… 4 बीवी-हलाला अस्वीकार्य’, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज ने मुस्लिमों की दकियानूसी पर उठाए प्रश्न: ओवैसी-महुआ गुस्साए

जस्टिस शेखर यादव के इस पूरे वक्तव्य पर अब लिबरल गैंग में खलबली मच गई है। तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद ने इस मामले में प्रश्न खड़े करते हुए CJI संजीव खन्ना से माँग की है कि वह इस मामले का स्वतः संज्ञान ले।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने कहा है कि मुस्लिमों की हलाला, तीन तलाक और 4 बीवियाँ रखने की प्रथाएँ अस्वीकार्य हैं। उन्होंने कहा है कि यह नहीं चलाने दिया जा सकता। जस्टिस शेखर यादव ने स्पष्ट किया है कि समान नागरिक संहिता (UCC) जल्द ही एक सच्चाई होगी। उन्होंने मुस्लिम समाज में चल रही रूढ़िवादिता और इस पर लोगों के ना बोलने पर प्रश्न खड़े किए हैं। जस्टिस शेखर यादव के इस संबोधन को लेकर लिबरल जमात हंगामा मचा रही है।

जस्टिस शेखर यादव ने यह वक्तव्य प्रयागराज में विश्व हिन्दू परिषद के एक कार्यक्रम में दिया है। यह कार्यक्रम VHP की लीगल सेल ने रविवार (8 दिसम्बर, 2024) को आयोजित करवाया था। जस्टिस शेखर यादव ने कहा, “मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि यह हिंदुस्तान है, यह देश हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यकों के अनुसार चलेगा। यही कानून है। आप यह नहीं कह सकते कि मैं हाईकोर्ट के जज होने के नाते ऐसा कह रहा हूँ। दरअसल, कानून ही बहुमत के हिसाब से काम करता है।”

जस्टिस शेखर यादव ने इसके बाद मुस्लिमों में फैली रूढ़िवादिता और दकियानूसी को लेकर प्रश्न खड़े किए। उन्होंने कहा, “हमारे हिंदू धर्म में बाल विवाह, सती प्रथा और बालिकाओं की हत्या जैसी कई सामाजिक कुरीतियाँ थीं, राम मोहन राय जैसे सुधारकों ने इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए संघर्ष किया। लेकिन जब मुस्लिम समुदाय में हलाला, तीन तलाक और गोद लेने से जुड़े मुद्दों जैसी सामाजिक कुरीतियों की बात आती है, तब उनके पास इनके खिलाफ खड़े होने की हिम्मत नहीं थी।”

VHP के कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि मुस्लिमों की तरफ से भी यह प्रथाएँ खत्म करने को लेकर कोई प्रयास नहीं किए गए। उन्होंने कहा, “आप उस महिला का अपमान नहीं कर सकते जिसे हमारे शास्त्रों और वेदों में देवी का दर्जा दिया गया है। आप 4 बीवियाँ रखने, हलाला करने या तीन तलाक़ का अधिकार नहीं रख सकते। आप कहते हैं, हमें ‘तीन तलाक’ कहने का अधिकार है, और महिलाओं को भरण-पोषण ना देने का अधिकार है।”

जस्टिस शेखर यादव ने कहा, ” इस तरह से कोई अधिकार नहीं चल पाएगा। UCC कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसकी वकालत VHP, RSS या हिंदू धर्म करता हो। देश का सुप्रीम कोर्ट भी ऐसी ही बात करता है…मैं शपथ ले रहा हूँ कि यह देश UCC कानून ज़रूर लाएगा, और बहुत जल्द लाएगा।” जस्टिस शेखर यादव ने इस बात को लेकर भी प्रश्न खड़े किए गए कि मुस्लिम तीन तलाक और हलाला जैसे मुद्दों को अपना पर्सनल लॉ बताते हैं और कानून से बचते हैं।

उन्होंने कहा, “अगर आप कहते हैं कि हमारा पर्सनल लॉ इसकी इजाजत देता है, तो ये अस्वीकार्य है। एक महिला को भरण-पोषण मिलेगा, दो विवाह की इजाजत नहीं होगी, और एक आदमी की सिर्फ़ एक पत्नी होगी, चार पत्नियाँ नहीं… अगर एक बहन को भरण-पोषण मिलता है और दूसरी को नहीं, तो इससे भेदभाव पैदा होता है, जो संविधान के खिलाफ है।” जस्टिस शेखर यादव ने इस दौरान कहा कि सिर्फ गंगा में डुबकी लगाने और माथे पर चंदन लगाने वाला ही हिन्दू नहीं है बल्कि भारतवर्ष को अपनी माँ मानने वाला भी हिन्दू है।

जस्टिस शेखर यादव के इस पूरे वक्तव्य पर अब लिबरल गैंग में खलबली मच गई है। तृणमूल कॉन्ग्रेस की सांसद ने इस मामले में प्रश्न खड़े करते हुए CJI संजीव खन्ना से माँग की है कि वह इस मामले का स्वतः संज्ञान ले।

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी भी उनके इस वक्तव्यों पर परेशान हैं। उन्होंने प्रश्न खड़े किए हैं कि आखिर इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक जज VHP के किसी कार्यक्रम में क्यों गया।

द हिन्दू और द कारवाँ जैसे वामपंथी संस्थानों के पत्रकारों ने भी शेखर यादव के खिलाफ एक्शन की माँग की।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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