गुजरात में अमरेली की अदालत ने बुधवार (13 मार्च 2024) को भाजपा नेता एवं उनके भाई की हत्या के मामले में 9 आरोपितों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा दी है। दरअसल, साल 2013 में पैसे के विवाद में भाजपा नेता अजीत खुमाण (32) और उनके छोटे भाई एवं विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अधिकारी भरत खुमाण (26) की अमरेली जिले के गुंडारन गाँव में हत्या कर दी गई थी।
जिले के सावरकुंडला शहर में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र श्रीवास्तव की अदालत ने यह नौ दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जिन दोषियों को यह सजा मिली है, उनके नाम हैं- मामड डाल, उसके बेटे खालिद डाल, रिश्तेदार सलीम डाल, हकीम डाल, दीनमुहम्मद डाल, सुमर डाल, उस्मान डाल, यूनुस लखापोटा और उसके बेटे इलियास उर्फ मुन्नो लखापोटा शामिल हैं।
इस हत्याकांड में मामड के बड़े बेटे इमरान डाल पर भी हत्या का मुकदमा चल रहा था, लेकिन साल 2017 में उसकी मृत्यु हो गई। इसके बाद उसके खिलाफ मामला समाप्त कर दिया गया था। दोनों भाइयों की 30 नवंबर 2013 को आरोपियों ने हत्या कर दी थी। जिस समय यह घटना हुई थी, उस समय दोनों भाई गुंडारन में एक गोदाम के निर्माण कार्य की देखरेख कर रहे थे।
घटना के समय अजीत भाजपा की लिलिया तालुका इकाई के अध्यक्ष थे। वहीं, उनके छोटे भाई भरत लिलिया तालुका के गुंडारन गाँव के सरपंच और वीएचपी की लिलिया तालुका इकाई के अध्यक्ष थे। कहा जाता है कि भरत और अजीत ने मामड डाल से कुछ रुपए उधार लिए थे। इसी लेकर यह विवाद हुआ था और इसमें दोनों की हत्या कर दी गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, भरत खुमाण का शव गोदाम की नींव में पाया गया था, जबकि अजीत का शव 50-60 फीट दूर बाजार में बरामद किया गया था। घटना के दौरान 10 आरोपितों ने दोनों भाइयों पर खंजर, कुल्हाड़ी और तलवार समेत अनेक घातक हथियारों से हमला किया था। आरोपितों ने पीड़ित की आँखें भी निकाल ली थीं। तनाव को देखते हुए भारी पुलिस की मौजूदगी में अंतिम संस्कार किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस को विशेष लोक अभियोजक अनिल देसाई ने बताया, “चश्मदीदों ने हमारे मामले का समर्थन किया और वैज्ञानिक सबूतों ने भी, जिसमें आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए और बाद में पुलिस द्वारा बरामद किए गए हथियारों पर खून के धब्बे भी शामिल थे। चार आरोपियों ने दावा किया कि उन्हें मामले में फँसाया जा रहा है।”
देसाई ने आगे बताया, “उनके इनकार करने के बाद अदालत से उनका ब्रेन मैपिंग परीक्षण कराने का अनुरोध किया गया। परीक्षणों से पता चला कि चारों अपराध में अपनी संलिप्तता का विवरण छिपा रहे थे। इस प्रकार हमारा मामला मजबूत हुआ। अदालत ने इन सबको ध्यान में रखा और सभी नौ आरोपियों को दोषी ठहराया।”
देसाई ने कहा कि न्यायिक हिरासत में बंद नौ लोग पहले ही विचाराधीन कैदी के रूप में औसतन 10 साल जेल में काट चुके हैं। उन्हें हत्या, गैरकानूनी सभा, दंगा, सबूतों को नष्ट करने के साथ-साथ शस्त्र अधिनियम के खिलाफ दोषी ठहराया गया है। अदालत ने प्रत्येक आरोपित पर 21,500 रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
दोषी भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत सुनाई गई सजा एक साथ काटेंगे। अदालत ने दोषियों द्वारा जमा किए गए जुर्माने में से अजीत और भरत के परिजनों को 51,000 रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया। मुआवजे की राशि जमा नहीं करने पर तीन महीने की अतिरिक्त साधारण कैद काटनी होगी।