हरियाणा के गृह- स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज शनिवार (5 दिसंबर, 2020) को कोरोना संक्रमित हो गए हैं। उन्होंने खुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है। फिलहाल सिविल अस्पताल अंबाला कैंट में उनका इलाज चल रहा है।
I have been tested Corona positive. I am admitted in Civil Hospital Ambala Cantt. All those who have come in close contact to me are advised to get themselves tested for corona.
— ANIL VIJ MINISTER HARYANA (@anilvijminister) December 5, 2020
अनिल विज ने ट्वीट करते हुए कहा, “मैं कोरोना संक्रमित पाया गया हूँ। मैं सिविल अस्पताल अंबाला कैंट में भर्ती हूँ। जो लोग भी मेरे संपर्क में आए हैं उन्हें यह सलाह दी जाती है कि वे कोरोना की जाँच कराएँ।”
बड़ी बात यह है कि 15 दिन पहले यानी 20 नवंबर को अनिल विज ने कोवैक्सीन परीक्षण के तीसरे चरण के परीक्षण के लिए वालंटियर के तौर पर खुद को टीका लगवाया था। बावजूद इसके वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं।
बता दें कि कोरोना वायरस महामारी के बचाव के लिए भारत बायोटेक और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की दवा कोवैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है। पहले और दूसरे चरण के ह्यूमन ट्रायल में करीब एक हजार वॉलंटियर्स को यह वैक्सीन दी गई थी। 16 नवंबर को इस वैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण भारत में 25 केंद्रों में 26,000 लोगों के साथ किए जाने की घोषणा की गई थी। ये भारत में कोविड-19 वैक्सीन के लिए आयोजित होने वाला सबसे बड़ा ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल है।
हरियाणा के मंत्री अनिल विज के कोरोनाक्सिन वैक्सीन ट्रेल्स के तीसरे चरण के परीक्षणों के लिए स्वेच्छा से परीक्षण करने के बाद भी कोरोनोवायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण की रिपोर्ट ने देश के नागरिकों में दहशत पैदा कर दी है।
वहीं विज की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आना सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद लोग इस वैक्सीन के असर को लेकर शक जाहिर कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग इसके पीछे वैक्सीन को भी जिम्मेदार ठहरा रहे है।
हालाँकि, कोवैक्सीन ट्रायल के संबंध में जनता में सीमित जानकारी है। साथ ही यह दावा करना पूरी तरह से भ्रामक है कि हरियाणा के मंत्री वैक्सीन के इंजेक्शन लगाने के बाद कोरोनावायरस से संक्रमित हुए।
गौरतलब है कि भारत बायोटेक ने कोविड-19 वैक्सीन कोवाक्सिन के लिए भारत के पहले चरण में 3 प्रभावकारिता अध्ययन किया। अनिल विज सहित अन्य वालंटियर्स को ट्रायल के दौरान, 28 दिनों के अंतराल पर दो इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन दिया जाना था। इन प्रतिभागियों को कोवैक्सीन या ‘प्लेसबो’ (डमी ड्रग) दिया जाना था जिसका कोई प्रभाव नहीं होता है।
बता दें हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री को Covaxin की पहली डोज 20 नवंबर को दी गई थी। वहीं पहली डोज के 28 दिन बाद उन्हें Covaxin के फेज 3 ट्रायल प्रोटोकॉल के अनुसार, 0.5mg की दो डोज वालंटियर के तौर पर दी जानी थी। लेकिन इस डोज से पहले ही वे कोरोना संक्रमित हो गए। डॉक्टर्स के अनुसार जब तक वैक्सीन की दोनों डोज नहीं लगतीं, तब तक यह शरीर में कोविड से लड़ने की इम्युनिटी को नहीं बढ़ाता है।
Covaxin का ट्रायल रैंडमाइज्ड, डबल ब्लाइंड था। ऐसा भी हो सकता है कि विज को वैक्सीन के बजाय प्लेसीबो मिला हो। विज के संक्रमित होने की यही वजह नजर आती है, हालाँकि, एक्सपर्ट अभी इसकी जाँच कर रहे है।
बता दें प्लेसबो एक साधारण सेलाइन सॉल्यूशन है जिसका आमतौर पर टीका परीक्षणों के दौरान उपयोग किया जाता है। नई दवा या वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभावकारिता के मूल्यांकन के लिए यादृच्छिक, प्लेसबो-नियंत्रित परीक्षणों को सुरक्षित और-गोल्ड स्टैंडर्ड माना जाता है। इन परीक्षणों में वालंटियर्स को जाँच के तहत या तो सेलाइन इंजेक्शन जैसे प्लेसबो देने के लिए यादृच्छिक (रैंडमाइज़ेशन) किया जाता है।
कुछ मामलों में परीक्षण के तहत कुछ व्यक्ति में, जिसे प्लेसबो के साथ इंजेक्शन लगाया गया है, प्रतिक्रियाएँ दिखा सकता है। उदाहरण के लिए, उसमें सुधार भी हो सकता है या व्यक्ति में उपचार से कुछ दुष्प्रभाव भी देखा जा सकता है। इन प्रतिक्रियाओं को “प्लेसबो प्रभाव” के रूप में जाना जाता है।
टीकों के संबंध में एक और महत्वपूर्ण बात यह भी है कि वे लगाए जाने के तुरंत बाद काम करना शुरू नहीं करते हैं। कोरोनावायरस के टीके के मामले में टीकाकरण के बाद शरीर को टी-लिम्फोसाइट्स और बी-लिम्फोसाइट्स का उत्पादन करने में कुछ सप्ताह लगते हैं। इसलिए, दोनों खुराक प्राप्त करने के बाद भी, अगर कोई व्यक्ति वायरस के संपर्क में आता है तो भी शरीर के इम्युनिटी के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमित हो सकता है।
वहीं जल्दबाजी में टीके को लेकर कोई भी राय बनाना सही नहीं होगा। किसी भी दावा का असर तभी दिखाई पड़ता है जब उसकी पूरी डोज व्यक्ति को दी गई हो। इस वक्त करीब 28 हजार वॉलंटियर्स देशभर में Covaxin के फेज 3 ट्रायल से गुजर रहे है। ट्रायल पूरा होने के बाद, जब डेटा आएगा तभी वैक्सीन के असर पर स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकेगा।
इसीलिए वर्तमान में कोवाक्सिन वैक्सीन की प्रभावकारिता से घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि अनिल विज को वास्तविक परीक्षण वैक्सीन या प्लेसबो के अधीन किया गया था या नहीं। वहीं यह बात भी नजरअंदाज नहीं की जानी चाहिए कि उन्हें आवश्यक दो खुराकों में से केवल एक ही दिया गया था। उम्मीद है कि भारत बायोटेक को हाल के घटनाक्रमों के मद्देनजर जल्द ही अपना बयान जारी करेगा।