असम में सीएए के विरोध में ‘सरबतमक हड़ताल’ का ऐलान किया गया है। इसका शाब्दिक अर्थ है ‘संपूर्ण बंद।’ सड़क से लेकर जमीन तक, रेल से लेकर हाईवे तक रोकने का आह्वान विपक्षी दलों ने किया है। साल 2019 में हुए सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शनों को देखते हुए असम सरकार ने सख्त रवैया अपनाया है। एक तरफ तो मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा चेतावनी दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ गुवाहाटी पुलिस ने कानूनी नोटिस जारी कर ऐसे विरोध प्रदर्शनों को वापस लेने की सलाह दी है। साथ ही कहा है कि इस तरह के विरोध प्रदर्शन और हड़ताल से अगर किसी को शारीरिक या संपत्ति का नुकसान होता है, तो प्रदर्शनकारियों और बवालियों से ही नुकसान की भरपाई कराई जाएगी।
दऱअसल, सीएए के विरोध में भी कई पार्टियों के बयान सामने आ रहे हैं और प्रदर्शन का ऐलान हो रहा है। इस बीच सीएए के विरोध में असम में कई राजनीतिक दलों ने ‘सरबतमक हड़ताल (संपूर्ण बंद या हड़ताल)’ का ऐलान किया है। असम में 16 दलों के संयुक्त विपक्षी मंच-असम (यूओएफए) ने मंगलवार (12 मार्च 2024) को पूरे राज्य में हड़ताल की घोषणा की है। इन दलों की कोशिश इस विरोध प्रदर्शन को चरण बद्ध तरीके से लंबे समय तक चलाने की है। बता दें कि साल 2019 में इस कानून को लाए जाने के बाद लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन और हिंसा का दौर चला था। इस बार ऐसा न हो, इसके लिए सुरक्षा एजेंसियाँ व्यापक कदम उठा रही हैं।
गुवाहाटी पुलिस की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि हड़ताल के कारण रेलवे और राष्ट्रीय राजमार्ग संपत्तियों सहित सार्वजनिक/निजी संपत्ति को कोई नुकसान या किसी भी नागरिक को चोट लगने पर भारतीय दंड संहिता और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम, 1984 सहित कानून के उचित प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी। नोटिस में कहा गया है कि आपके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जाएगी और सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान की कुल लागत आपसे और आपके संगठन से वसूली जाएगी।
Guwahati police gave a legal notice to the Political parties who have called for a 'Sarbatmak Hartal' in Assam to protest against the CAA.
— ANI (@ANI) March 12, 2024
"Any damage to public/ private property including Railway and National Highway properties or injury to any citizen caused due to 'Sarbatmak… pic.twitter.com/vnO6uin76t
बता दें कि केंद्र सरकार ने सोमवार (11 मार्च) को देश में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) को लागू कर दिया। इस बिल को साल 2019 में ही संसद से पास करवा लिया गया था लेकिन इसके लागू होने में काफी लंबा समय लगा। सीएए के माध्यम से केंद्र सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों, जिसमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देगी। सरकार ने साफ कर दिया है कि सीएए किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं, बल्कि धार्मिक पीड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का कानून है।
गृह मंत्रालय ने आवेदकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल तैयार किया है और पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। एक अधिकारी ने बताया कि आवेदकों को घोषित करना होगा कि वे किस वर्ष बिना यात्रा दस्तावेजों के भारत में आए थे। आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। कानून के अनुसार सीएए के तहत तीनों पड़ोसी देशों के बिना दस्तावेज वाले अल्पसंख्यकों को लाभ मिलेगा।