प्रयागराज में अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के बाद सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा हुई तमाम मुठभेड़ों की जाँच की माँग की गई है। इस माँग की एक याचिका वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई है। याचिका में विशाल तिवारी ने साल 2017 से अब तक हुए 183 एनकाउंटर की स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति से जाँच की अपील की है। इस याचिका में अतीक और अशरफ की हत्या की जाँच की माँग भी शामिल है जो फिलहाल UP पुलिस कर रही है। इसी याचिका में एडवोकेट तिवारी ने UP पुलिस को ‘डेयरडेविल्स’ कहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक याचिकाकर्ता विशाल तिवारी सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। उन्होंने इस जनहित याचिका के माध्यम से उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा की जा रही मुठभेड़ों पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश पुलिस अपने आपको खतरों का खिलाड़ी (डेयरडेविल्स) बनाने की कोशिश कर रही है। ये जनहित याचिका कानून के नियम के उल्लंघन और पुलिस बर्बरता के खिलाफ आर्टिकल 32 के अंतर्गत दायर की जा रही है।”
इस याचिका में विकास दुबे एनकाउंटर की जाँच की माँग है। साथ ही अतीक-अशरफ अहमद की हत्या की जाँच की माँग है। याचिका में कहा गया कि इस तरह की कार्रवाई लोकतंत्र और कानून के विधान पर खतरा हैं। एनकाउंटर की निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए वरना ऐसी हरकतों से अराजकता फैलती है और राज्य में पुलिस तंत्र की स्थापना होती है।
याचिका में विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट से साल 2017 के बाद उत्तर प्रदेश में हुई सभी 183 मुठभेड़ों की एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति से जाँच कराए जाने की उम्मीद जताई है। उन्होंने इस समिति का अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के ही किसी पूर्व न्यायाधीश को बनाने की माँग की है। याचिकाकर्ता ने अपनी PIL (जनहित याचिका) को दमन और बर्बरता के खिलाफ बताया है।
Plea filed in Supreme Court seeks an independent SIT headed by former #SupremeCourt judge to enquire into 183 encounter killings by @Uppolice since 2017 and also investigate the killing of #AtiqAhmed and Ashraf
— Bar & Bench (@barandbench) April 17, 2023
Plea by Adv Vishal Tiwari @VISHALT12039545 pic.twitter.com/OjdUkWzwE5
मुस्लिमों ने ही खड़े किए सवाल
विशाल तिवारी की इस जनहित याचिका को मुस्लिम समाज में शक की नजर से देखा जा रहा है। कई लोगों का कहना है कि विशाल तिवारी की यह याचिका एक साजिश भी हो सकती है कमजोर दलीलें देकर सुप्रीम कोर्ट से मामले को रफा-दफा कराने की। इस मामले पर भारत सरकार के केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के पूर्व सदस्य और फिलहाल में ‘वालेंटियर्स अगेंस्ट हेट’ नामक संगठन से जुड़े डॉ मेराज हुसैन ने लिखा, “ये विशाल तिवारी कौन है ? कई बार ऐसा होता है कि कमजोर सा केस फाइल करके उसे रिजेक्ट करा दो कि कोई और मूव न कर पाए। ये उसी गैंग का मेंबर तो नहीं ?’
मोहम्मद सोहैल ने भी डॉ मेराज हुसैन की हाँ में हाँ मिलाई है। नसरत खान ने विशाल तिवारी को देशद्रोही बताया है। इसके अलावा इरफ़ान अहमद ने लिखा, “ये इसलिए दायर की गई है कि बयान या जवाबदारी न देना पड़े। सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन बता कर चुप रहने के लिए।” इन सभी के अलावा कई अन्य यूजर्स ने भी विशाल तिवारी की मंशा पर शंका जाहिर की।
अतीक और अशरफ पर वकील उमेश पाल की हत्या का आरोप है। गौरतलब है कि साल 2012 में जब अतीक अहमद जेल में बंद था तब UP में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उसने जमानत अर्जी दाखिल की थी। इस सुनवाई से 10 जजों ने खुद को अलग कर लिया था। आख़िरकार 11 वें जज ने अतीक का केस सुना था और उसे जमानत दे दी थी।