जब मीडिया का एक बड़ा वर्ग दंगाई मजहबी भीड़ के महिमामंडन में लगा है और हिन्दुओं को बदनाम कर रहा है, हम आपका ध्यान ‘स्वराज्य मैग’ की स्वाति गोयल शर्मा के एक ट्वीट थ्रेड पर दिलाना चाहेंगे, जो वामपंथी मीडिया के प्रोपेगेंडा को सबूतों के साथ काट रहा है। स्वाति द्वारा ट्वीट किए गए वीडियोज में पहला वीडियो तब का है, जब आईबी में कार्यरत अंकित शर्मा की हत्या नहीं हुई थी। उनके गायब होने से 1 दिन पहले के वीडियो में दिख रहा है कि शोभराम नामक एक दलित के घर को आग के हवाले कर दिया गया है। उसी इमारत में सबसे नीचे एक रिक्शावाला और एक फर्नीचर दुकान का गार्ड रहता था, जिसके घर को जला डाला गया।
नीचे संलग्न किए गए वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे ग़रीबों के घर धू-धू कर जल रहे हैं और ताहिर हुसैन के घर से निकले गुंडों का इसमें हाथ है। वो गुंडे गेट के पास दिख रहे हैं। दलित शोभराम रोते हुए पूछते हैं कि आखिर उनका कसूर क्या था कि न सिर्फ़ उनके सामान बल्कि सारे कागज़ात भी जला डाले गए। वो कहते हैं कि ‘उनलोगों’ ने काग़ज़-कागज़ की रट लगा रखी है लेकिन उनके तो सारे कागज़ ‘उन्हीं लोगों’ ने जला दिए। देखें वीडियो और ट्वीट:
The poor man had been working and living here with family for 30 years
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) March 3, 2020
I asked for his bank account details and caste certificate for possible help. All burnt.
“Wo kaagaz kaagaz kar rahe hain. Mere kaagaz kyun jalaaye,” he said. https://t.co/U2DPo4L1Ig
शोभराम कहते हैं कि उनके घर में कुछ भी नहीं बचा, कपड़े तक भी जल गए। जब आग लगी, तब घर में 2 साल की एक बच्ची भी थी। लगभग सारे समान जल गए। टीवी, कूलर और संदूकों से लेकर गैस चूल्हे तक जल गए। आग काफ़ी दे तक लगी रही। बाद में उन्होंने बुझाया। दलित शोभराम बताते हैं कि ये वही घर था, जहाँ वो पिछले 30 वर्षों से रह रहे हैं। घर के दरवाजे तक जल गए। उस इमारत के बारे में लोगों ने कहा कि वो कभी भी गिर सकती है। वो कहते हैं कि अब एक ग़रीब आदमी इतना सब कुछ कैसे झेलेगा?
जब उनके घर में आग लगी हुई थी, तब आम आदमी पार्टी के निगम पार्षद (अब निलंबित) ताहिर हुसैन के गुंडे लगातार पत्थरबाजी कर रहे थे। आग लगाने के बाद भी उनका जी नहीं भरा था और उस तरफ़ से लगातार हमले होते रहे। नीचे संलग्न किए गए वीडियो में दंगाइयों की गुंडागर्दी का दृश्य देखें:
Another video of the building on fire. Look at the crowds pelting stones. Scary pic.twitter.com/aSptevCDub
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) March 3, 2020
उसी मोहल्ले में रहने वाले शोभराम और बिजेंद्र के घरों के बीच में मंदिर है। बिजेंद्र ने बताया कि दंगाई भीड़ ने उनके घर की छत को ही हमले के लिए बेस बना लिया और वहाँ कब्ज़ा कर लिया। बिजेंद्र का घर मंदिर से सटा हुआ ही है। मंदिर पर बुरी तरह पथराव किया गया। पुजारी जी अपने परिवार को लेकर घर में बंद होने को मजबूर हो गए थे। बिजेंद्र ने बताया कि छत पर क़रीब 90 आदमी थे। पत्थर ढो-ढो कर लाए जा रहे थे। हालाँकि, न्यूज़लॉन्ड्री ने दंगाइयों को बचाने के लिए दावा कर दिया कि मंदिर पर हमले ही नहीं हुए।
चश्मदीद बिजेंद्र बताते हैं कि मंदिर पर पूरे 6 घंटे तक हमले किए गए लेकिन वामपंथी मीडिया (ख़ासकर न्यूज़लॉन्ड्री) वैसे ही उन दंगाइयों को बचाने में लगा हुआ है, जैसे हिन्दुओं का दमन करने वाले औरंगज़ेब और अल्लाउद्दीन खिलजी जैसे राजाओं का महिमामंडन किया जाता है। क्या मंदिर पर 6 घंटे तक लगातार पत्थरबाजी करना, उसकी छत पर चढ़ जाना और नुकसान पहुँचाना हमला नहीं कहलाता है? हमला तभी कहलाएगा या न्यूज़लॉन्ड्री के दिल को तसल्ली तभी मिलेगी, जब मंदिर को वहाँ से उखाड़ कर वहाँ बाबरी जैसा कोई ढाँचा खड़ा कर दिया जाए?
और शोभराम जैसे पीड़ितों को तो सरकारी सहायता या राहत तक नहीं मिलती। ऐसे कई पीड़ित हैं, जिन्हें सरकार तक नहीं पूछती। समाज के लोग ही आपस में मिलजुल कर उनकी मदद करते हैं। खाने-पीने के भी लाले पड़े हैं, राशन के लाले पड़े हैं। मोहल्ले से राशन और खाने-पीने की गाड़ियाँ गुजरती हैं लेकिन सारी व्यवस्था सिर्फ़ समुदाय विशेष के लिए है, ऐसा शोभराम व स्थानीय लोगों ने बताया। अब चूँकि न्यूज़लॉन्ड्री ये कहता है कि हमारी रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के नाम लिए बिना उनके हवाले से कुछ भी लिख दिया जाता है, हम उसे सलाह देंगे कि नीचे संलग्न किए गए वीडियो को बार-बार प्ले कर के देखे:
Last video in the series.
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) March 3, 2020
At a time when distrust and friction between communities is high, Shobharam says that he is not benefitting from charities working in the area. Communities are helping their own. pic.twitter.com/gzo7Q3KsQq
यहाँ स्थानीय लोगों के नाम भी हैं, पीड़ितों के बयान भी हैं, वीडियो भी है, ऑडियो भी है, दंगाई मजहबी भीड़ की क्रूरता के दृश्य भी हैं, हिन्दुओं के पीड़ित होने के सबूत भी हैं, सरकारी पक्षपात के गवाह भी हैं, मंदिर पर हमले की बात भी है, पत्थरबाजी और आगजनी की घटनाओं के विज़ुअल्स भी हैं और साथ ही न्यूज़लॉन्ड्री को लताड़ती हुई हर वो चीज है, जो दंगाइयों से सहानुभूति रखने वाले उस नक्सली पोर्टल को सच का आइना दिखाती है।
हम शब्दों की संख्या पर ध्यान नहीं देते। अगर हमारे पास वो वीडियो है, जिसमें ताहिर हुसैन के गुंडे एक दलित के घर को जलाते दिख रहे हैं तो फिर उस वीडियो के साथ 100 शब्द ही क्यों न हों, वो मायने रखते हैं। अगर आपको सिर्फ़ गालियाँ बकनी हैं और संपादक द्वारा दिए गए टास्क को कुछ भी कर के धूर्ततापूर्वक पूरा करना है तो फिर आप 10000 शब्द लिख कर भी झूठ परोसने में लगे रहें क्योंकि आपके पास न सबूत हैं और न ही तथ्य हैं। अगर हैं तो आप उसे फ़िल्टर कर के उसमें से वही चीजें दिखाएँगे जो आपके मतलब की हो, वो भी तोड़-मरोड़ कर। पत्रकारिता की ‘कुछ ज्यादा ही पढ़ाई’ करने का दावा करने वाले अब ये तय करने में लगे हैं कि ग्राउंड रिपोर्ट में कितने शब्द होने चाहिए, कितनी मात्राएँ होनी चाहिए और कितनी बार अनुस्वार और चंद्रबिंदु का प्रयोग किया जाना चाहिए।
नीचे हम वो वीडियो भी संलग्न कर रहे हैं, जिसमें हिन्दू देवी-देवताओं को गालियाँ बकते हुए जम कर पत्थरबाजी की जा रही है। ‘शिव मंदिर’ पर हमले किए जा रहे हैं। ये सब न्यूज़लॉन्ड्री को नहीं दिखेगा। जब ऑपइंडिया ने दिल्ली के हिन्दू-विरोधी दंगों की ग्राउंड रिपोर्टिंग का बीड़ा उठाया तब उसने ये नहीं देखा कि कौन सा मंदिर किस देशांतर और अक्षांस रेखाओं के संयोग पर खड़ा है या फिर भूमध्य रेखा से कितनी दूरी पर कौन सा पीड़ित किस दिशा में खड़ा होकर बयान दे रहा है। हमारा जोर था पीड़ितों के ‘डर’ और ‘दर्द’ को आप तक पहुँचाना, दंगा के आरोपितों की पोल खोलना। हमने शब्दों की संख्या और मंदिर-मस्जिद का लोकेशन से ज्यादा प्रायॉरिटी पीड़ितों की दबी हुई आवाज़ को दी।
ये सब छोटी-छोटी चीजें हैं। खजुरी खास या फिर मौजपुर में किस घर की चौहद्दी क्या है और किस मंदिर के तरफ कितनी पुलिया, नदी, पहाड़ और पठार हैं- ये सब सेकेंडरी चीजें थीं हमारे लिए। लेकिन, जब न्यूज़लॉन्ड्री ने दंगाइयों को महान साबित करने के लिए हमें ये इन सब चीजों पर घेरने की कोशिश की है तो हमने इस रिपोर्ट में उन चीजों को मेंशन किया है। पत्थरबाजी करते हुए हमारे देवी-देवताओं को गाली देने वाले कौन? दलितों का घर जलाने वाले ताहिर हुसैन के गुंडे कौन? वो कहाँ खड़े थे ये मायने रखता है या फिर वो क्या कर और कह रहे थे ये सूचना आप तक पहुँचानी ज़्यादा आवश्यक है?
मंदिर की छत देखिए। छत का एक-एक कोना देखिए। हमला कर के, पत्थरबाजी कर के इसे कैसा बना दिया गया है। न्यूज़लॉन्ड्री वालों को आँखें फाड़-फाड़ कर देखना चाहिए कि भगवान के मंदिर को लेकर कैसे उसने झूठ फैलाया है। चीजें अस्त-व्यस्त हैं, छत पर बड़ी-बड़ी ईंटों के टुकड़े पड़े हुए हैं लेकिन नहीं, न्यूज़लॉन्ड्री के अनुसार मंदिर को तो किसी ने छुआ भी नहीं! मंदिर ने अपने आप आसपास के सारे ईंट-पत्थर अपनी ओर खिंच लिए। मंदिर में दंगाई मजहबी भीड़ ने ईंट-पत्थर फेंक कर पूजा अर्चना की। कल को न्यूज़लॉन्ड्री ऐसी दलीलें दे सकता है, इसीलिए हैरान मत होइए। फ़िलहाल आप ख़ुद वीडियो देखें:
And this is what the temple rooftop looked like after the incessant stone pelting. Video shared by temple priest’s son. pic.twitter.com/6AVwqUUa4x
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) March 8, 2020
नीचे देखिए, एक स्थानीय व्यक्ति क्या कह रहा है। हमें इससे ज्यादा मतलब होना चाहिए कि वो स्थानीय है, या फिर इससे कि उसने कौन से रंग की शॉल ओढ़ी हुई है या फिर उसके सिर में कितनी संख्या में बाल हैं? अरे, कल को न्यूज़लॉन्ड्री ये लिख दे तो आश्चर्य नहीं कि स्थानीय लोगों के बयान तो लिए ऑपइंडिया ने लेकिन उन चश्मदीदों के सिर के बाल तो गिने ही नहीं। फिर प्रोपेगेंडा पोर्टल “मैं नहीं खेलूँगा, गोल हो गया” कह कर बिल में घुस सकता है। नीचे जो स्थानीय व्यक्ति हैं, वो स्पष्ट कह रहे हैं कि मंदिर पर बाहर से हमला हुआ, अटैक हुआ, बाकी मीडिया वाले जो भी लिखें।
मंदिर की छत पर ईंट-पत्थर मिले, ऐसा कहना है स्थानीय लोगों का। एक नहीं, कई लोग इस वीडियो में मौजूद हैं, जो ये कह रहे हैं। उन सबने बताया कि मंदिर के चारों तरफ़ से पथराव हुआ, चीजें जला दी गईं, तोड़फोड़ की गईं और छत पर ऊपर से पथराव हुआ। ऊपर चढ़ने के लिए मंदिर पर सीढ़ियाँ लगाई गईं। मंदिर की छत पर, परिसर में चीजों को तबाह करने और पत्थरबाजी व आगजनी करने को मंदिर पर हमला नहीं माना जाएगा क्या? देखें वीडियो, जो न्यूज़लॉन्ड्री के दावों की पोल खोलता है:
I personally didn’t report abt the temple. I instead did a report on the poor dalit rickshawwala whose adjoining house was burnt. But when I asked the residents if reporta denying an attack on temple is true, this is what they said (the man in blue jacket is priest’s son) pic.twitter.com/Ip2Yq4uCpl
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) March 8, 2020
सारे वीडियो को देखिए और अंदाज़ा लगाइए कि किस कदर मीडिया के ये गैंग विशेष आपको न सिर्फ़ सबूतों से दूर कर रहा है बल्कि पूरे मुद्दे को मीडिया का झगड़ा बनाना चाह रहा है ताकि आपका ध्यान इन हिन्दू विरोधी दंगों में हुई मजहबी दंगाई भीड़ की क्रूरता से हट जाए। भारत की जनता है, थोड़ा इधर-उधर की बातें करने पर अपने ऊपर हुए सभी अत्याचार भूल जाएगी- इसी फिलॉसफी पर काम कर रहे हैं न्यूज़लॉन्ड्री व ऐसे ही अन्य नक्सल मीडिया संस्थान। हिन्दुओं को बेरहमी से मारा गया, उनके देवी-देवताओं को गालियाँ दी गईं लेकिन फिर भी अपराधी उन्हें ही ठहराया जा रहा है। और जो दोषी हैं, दंगाई हैं? उन्हें महान बताने के लिए झूठ और प्रोपेगेंडा का सहारा लिया जा रहा है।
यही कारण है कि न्यूज़लॉन्ड्री को मृत दिनेश कुमार खटीक के भाई सुरेश का वो बयान नहीं दिखता, जिसमें वो सभी मदरसों और मस्जिदों पर पुलिस की छापेमारी की वकालत करते हैं क्योंकि उनका मानना है कि वहीं सारे हथियार छिपा कर रखे जाते हैं। दिलबर नेगी के हाथ-पाँव काट कर उन्हें ज़िंदा आग में झोंक दिया गया। उसी दुकान की आग में, जिसमें वो काम करते थे। लेकिन नहीं, मीडिया का गिरोह विशेष तो कहता है कि वो ‘जलने से हुए घाव से मरे’। अभी तो कुछ ही दिन बीते हैं, कुछ साल बाद यही मीडिया वाले कहेंगे कि दिल्ली दंगों में एक भी हिन्दू नहीं मरा, जो मरे उन्होंने आत्महत्या की होगी!