अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर मंगलवार (अगस्त 07, 2019) से सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई शुरू हो गई है। इस दौरान कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा से रामजन्मभूमि पर अपना अधिकार साबित करने के लिए दस्तावेज माँगे। इस पर अखाड़ा ने कहा कि 1982 में वहाँ डकैती हुई, जिसमें सारे दस्तावेज गायब हो गए।
ये इस अंतिम सुनवाई का दूसरा दिन है। मंगलवार को निर्मोही अखाड़ा ने पूरी विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर अपने नियंत्रण की माँग की थी दूसरे दिन भी निर्मोही अखाड़ा अपनी दलीलें अदालत के सामने रख रहा है। अखाड़ा इस वक्त मामले का इतिहास अदालत को समझा रहा है।
Ayodhya land case: SC asks Nirmohi Akhara for documentary evidence to prove its possession, says,’Do you have oral or documentary proof, revenue records, of possession of Ramjanmabhoomi before attachment. Akhara in reply to Court,’ a dacoity happened in 1982&they lost records.’ https://t.co/mDIbQcO2Iz
— ANI (@ANI) August 7, 2019
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में 5 जजों की पीठ इस मामले को सुन रही है। आज एक बार फिर ये सुनवाई आगे बढ़ रही है। मंगलवार को निर्मोही अखाड़े की तरफ से दलीलें रखी गईं और जमीन पर मालिकाना हक माँगा था। हालाँकि, अभी दूसरे पक्ष की ओर से दलीलें रखना बाकी है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जजों ने निर्मोही अखाड़ा से पूछा कि क्या आपके पास इस बात को कोई सबूत हैं जिससे आप साबित कर सके कि राम जन्मभूमि की जमीन पर आपका कब्जा है? इसके जवाब में निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि 1982 में एक डकैती हुई थी, जिसमें उनके कागजात खो गए। इसके बाद जजों ने निर्मोही अखाड़ा से अन्य सबूत पेश करने को कहा।
निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि इस मामले में वे असहाय हैं। वर्ष 1982 में अखाड़े में एक डकैती में उन्होंने उस समय पैसे के साथ उक्त दस्तावेजों को भी खो दिया था। इस पर चीफ जस्टिस (CJI) ने पूछा- क्या अन्य सबूत जुटाने के लिए केस से जुड़े दस्तावेजों में फेरबदल किया गया था?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप बिना मालिकाना हक के पूजा-अर्चना कर सकते हैं, लेकिन पूजा करना और मालिकाना हक जताना अलग-अलग बात है। निर्मोही अखाड़ा की तरफ से वकील ने कहा कि सूट फाइल करने का मकसद ये था कि हम अंदर के कोर्टयार्ड में अपना हक जता सकें।