अयोध्या मामले में जल्द फैसला आने की उम्मीदें बुधवार को और मजबूत हुईं। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अक्टूबर तक इस मामले की सुनवाई पूरी होने की उम्मीद जताई है। मंगलवार को शीर्ष अदालत ने मामले के सभी पक्षकारों से पूछा था कि वे दलील पूरा करने में कितना वक्त लेंगे।
दोनों पक्षों का जवाब मिलने के बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुआई वाली पॉंच सदस्यीय पीठ ने इस मामले में 18 अक्टूबर तक दलीलें पूरी करने की समय सीमा तय कर दी है। सीजेआई गोगोई ने कहा कि यदि दलीलें पूरी करने के लिए समय कम रहेगा तो वह शनिवार को भी सुनवाई करने के लिए तैयार हैं।
साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अयोध्या मामले की सुनवाई बहुत आगे पहुॅंच गई है। रोजाना के आधार पर कार्यवाही जारी रहेगी। यदि पक्ष मध्यस्थता के जरिए अयोध्या मामला सुलझाने के इच्छुक हैं, तो वे ऐसा कर सकते हैं। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एफएमआई कलीफुल्ला की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय मध्यस्थता पैनल के समक्ष हो रही सुनवाई गोपनीय रहेगी।
इस बीच, सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने मामले में सुब्रह्मण्यम स्वामी के हस्तक्षेप को लेकर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि इससे कई अन्य लोगों को भी इस मामले में दखल देने का मौक़ा मिल जाएगा और याचिकाओं की बाढ़ आ जाएगी।
मंगलवार को सुनवाई के दौरान राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से शुक्रवार को ब्रेक देने का आग्रह किया था। इसके जवाब में अदालत ने उनसे पूछा था कि क्या ये नहीं हो सकता कि आप शुक्रवार को ब्रेक लें और आपकी जगह कोई और अपनी दलील पेश करे। आपको पता है कि कितना वक्त बचा है। जवाब में धवन ने कहा, “जिस स्पीड से सुनवाई चल रही है उसका अंदाजा हमें है। मैं नहीं चाहता कि मेरी दलील का लय टूटे।” इसके बाद मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सभी वकीलों से पूछा था कि वे जिरह पूरा करने में कितना वक्त लेंगे।
#RamMandir – #BabriMasjid: Mediation can continue simultaneously, parties free to resort to mediation to settle the dispute, orders Supreme Court.
— Bar & Bench (@barandbench) September 18, 2019
इससे पहले राजीव धवन ने अदालत को बताया था कि उन्हें जिरह के लिए कम से कम 20 दिन चाहिए। उन्होंने जन्मस्थान को कानूनी व्यक्ति मानने पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि ऐसा मुस्लिम पक्ष के दावे को कमजोर करने के लिए किया गया है।
गौरतलब है कि अयोध्या विवाद की हर सप्ताह पॉंच दिन सुनवाई हो रही है। यह पहला मामला है जब संविधान बेंच किसी एक मामले की रोजाना सुनवाई तीन के बजाए 5 दिन कर रही है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का कार्यकाल भी 17 नवंबर को ख़त्म हो रहा है। ऐसे में रोजाना सुनवाई शुरू होने के बाद से ही क़यास लगाए जा रहे हैं कि राम मंदिर मामले में फ़ैसला उनके रिटायर होने से पहले आ जाएगा। माना जा रहा है कि अदालत ने जिरह पूरी होने में लगने वाले समय को लेकर सभी पक्षों से जवाब भी इसी बात को ध्यान में रखकर मॉंगा था।
अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई छह सितंबर से शुरू हुई थी। पहले निर्मोही अखाड़ा की तरफ से दलीलें दी गई। उसके बाद राम लाल और राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने दलीलें रखी। हिंदू पक्षकारों की दलीलें पूरी हो जाने क बाद मुस्लिम पक्षों की तरफ से दलीलें शुरू हुई हैं।