हमेशा सुर्खियों में रहने वाले योग गुरु बाबा रामदेव (Baba Ramdev) ने एक बार कोरोना वैक्सीन के माध्यम से मॉडर्न मेडिकल साइंस पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि बूस्टर डोज लगने के बाद भी अगर किसी को कोरोना होता है तो यह मेडिकल साइंस की असफलता है।
बाबा रामदेव ने कहा कि मेडिकल साइंस अभी अपने शैशवावस्था में है, इसीलिए बूस्टर डोज लगवाने के बाद भी लोगों को कोरोना हो रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों प्राकृतिक जीवन-पद्धति अपनाना होगा।
बाबा रामदेव ने कहा कि बदलते समय के साथ ही दुनिया फिर से जड़ी-बूटियों की ओर लौटेगी। गिलॉय के ऊपर रिसर्च की जाए और दवाइयाँ बनाई जाएँ तो भारत विश्व में सबसे बड़ी इकॉनोमी बन सकता है।
पारम्परिक भारतीय चिकित्सा का आधुनिकीकरण, लोक स्वास्थ्य एवं ओद्यौगिक परिप्रेक्ष्य विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि प्रकृति से ही संस्कृति की पहचान होती है। इसी से समृद्धि व स्वास्थ्य भी मिलता है।
वहीं, आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कटोच ने कहा कि कोरोना के दौरान आयुष विधा का योगदान संपूर्ण विश्व ने देखा। उन्होंने कहा कि इस दौरान आयुष संजीवनी ऐप पर आए 1.47 करोड़ लोगों में 89 प्रतिशत लोगों ने आयुष का इस्तेमाल किया।
इससे पहले भी बाबा रामदेव ने कोविड वैक्सीन पर सवाल उठाए थे। उन्होंने ऐलान कहा था कि वे संक्रमण से बचने के लिए वैक्सीन नहीं लगवाएँगे। उन्होंने कहा था कि ‘योग’ और ‘आयुर्वेद’ उन्हें सुरक्षा कवच देगा हुए।
उन्होंने कहा था कि वे वर्षों से योगाभ्यास करते हैं, इसलिए उन्हें कोरोना का खतरा नहीं है। हालाँकि, हर तरफ से आलोचना होने के बाद वे बैकफुट पर आ गए थे और उन्होंने वैक्सीन लगवाने की बात कही थी।