उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में 13 अक्टूबर 2024 को मुस्लिम भीड़ द्वारा हुई रामगोपाल मिश्रा की हत्या के बाद हालात सामान्य हो रहे हैं। पीड़ितों के घरों की तरफ वाले रास्तों पर अभी भी पुलिस का पहरा है। सरकार ने महराजगंज बाजार के कई घरों और दुकानों पर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई का नोटिस चिपका दिया है, जिस पर फिलहाल कोर्ट ने रोक लगा दी है।
ऑपइंडिया की टीम उन दुकानों और मकानों में पहुँची, जहाँ ये नोटिसें लगाई गईं हैं। इन दुकानों के अंदर तमाम मज़हबी बातें लिखी हुई हैं। ऑपइंडिया से बात करते हुए स्थानीय हिन्दुओं ने महराजगंज बाजार को इस्लामी गतिविधियों का सेंटर बताया है। यहाँ अक्सर संदिग्ध बाहरी लोग नजर आते हैं। कुछ मौलाना-मौलवी भी दिखते हैं।
मस्जिद कैम्पस में शेर ए खुदा अली मौला वाली दुकान
प्रशासन की तरफ से जिन दुकानों को नोटिस मिली है, उनमें से कई दुकानें मस्जिद के कैम्पस में बनी हुई हैं। मस्जिद का एक छोटा-सा गेट है, जिसके दाईं और बाईं ओर कई दुकानें हैं। इनमें बाइक रिपेयर, मेडिकल स्टोर और किराने आदि की दुकानें शामिल हैं। इनमें से अधिकतर ऐसी दुकानें हैं, जो खाली हो चुकी हैं।
यहाँ स्थित एक दुकान के अंदर अरबी भाषा में कुछ शब्दों को बब्बर शेर की शक्ल दे दी गई थी। इसी के ऊपर ‘शेर-ए-खुदा अली मौला’ लिखा हुआ है। नीचे अरबी भाषा में कुछ लिखा पन्ना था। हालाँकि, ये क्या लिखा है, ये स्पष्ट नहीं हो पाया है। यह दुकान मुकर्रम अली के बेटे मेराज की है।
जन्नती औरत की निशानियाँ
नोटिस मिले एक अन्य मकान में उन औरतों की निशानियाँ लिखी हुईं हैं, जिन्हें इस्लाम के मुताबिक जन्नत में दाखिल होना है। एस आलम के प्रिंटिंग प्रेस में छापे गए कागज के इस पोस्टर में खुर्शीद और जावेद सोनार ने फरमान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि जो औरतें इन बातों को मानेंगी, वो जन्नत में किसी दरवाजे से जा सकती हैं।
इस कागज के मुताबिक, वही मुस्लिम महिलाएँ जन्नत यानी स्वर्ग जा सकती हैं जो 5 वक्त की नमाज़ी हो, रमज़ान की रोज़ेदार हो, अपनी इफ्फत (पवित्रता) और इस्मत (शील) की हिफाज़त करती हैं और शौहर का फरमान मानती हैं। नसीहत के तौर पर मुस्नद अहमद की दलील दी गई है।
इसी कागज में एक शायरी भी लिखी है। शायरी में कहा गया है कि ‘कुदरत को नापसंद हैं सख्ती जबान में। रखती नहीं इसलिए हड्डी जबान में’। इसी मकान में अकरम भाई नाम से किसी उर्स हशमती और रज़वी का भी प्रचार किया गया है। यह उर्स बरेली और पीलीभीत में होना था, जिसके लिए बस निकलने आदि का समय लिखा हुआ है। उर्स की तारीख पिछले साल 9 सितंबर लिखी हुई थी।
सुन्नी, हनफ़ी और बरेलवी मुस्लिमों को नसीहत
नोटिस मिले कुछ घरों में मौलाना राफे मोहम्मद बहराइची का फरमान भी चिपका हुआ है। इस फरमान में उन्होंने देवबंदी विचारधारा वालों को अनदेखा करते हुए बरेलवी, सुन्नी और हनफ़ी मुस्लिमों को नसीहत दी गई है। इस नसीहत को उन्होंने जरूरी एलान का नाम दिया है। जरूरी एलान में बताया गया है कि जकात, फ़ितरह, अतिया और सदका आदि माध्यमों से जुटाए गए पैसों का सही जगह इस्तेमाल नहीं हो रहा है।
हजरत खानकाह नाम की कोई जगह बताते हुए पोस्टर में अपील की गई है कि जकात आदि के पैसे वहाँ दिए जाएँ। हजरत खानकाह के पते के तौर पर महराजगंज बाजार के ही जलालिया अशरफिया करीमिया रजविया का जिक्र किया गया है। इसी के साथ कई मोबाइल नंबर भी लिखे हुए हैं। पोस्टर में ऊपर LOGO के तौर पर किसी मज़हबी किताब को छापा गया है। इस पोस्टर को छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस का नाम नहीं लिखा है।
महराजगंज ही इस्लामी गतिविधियों का सेंटर
ऑपइंडिया ने हिंसा के चश्मदीद मारुति नंदन त्रिपाठी से बात की। मारुति नंदन त्रिपाठी ने कहा कि महराजगंज बाजार आसपास होने वाली तमाम इस्लामी गतिविधियों का सेंटर है। इसी जगह से लगभग 10 किलोमीटर की परिधि में होने वाले जलसे, उर्स, तकरीरें और जुलूस आदि को यहीं से ऑपरेट किया जाता है।
मारुति नंदन त्रिपाठी के अनुसार, किस जुलूस में कितने लोग शामिल होंगे और कहाँ DJ आदि में क्या बजेगा, यह सब महराजगंज से ही तय किया जाता है। कई अन्य पीड़ित हिन्दुओं ने भी यही बताया कि महराजगंज में अक्सर बाहर से मौलवी और मौलाना के रूप में अनजान लोग आते रहते हैं।