उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गुरुवार (7 जुलाई, 2022) को पूरे हरिद्वार जिले को “स्लॉटर-मुक्त क्षेत्र” घोषित करते हुए पुष्कर सिंह धामी सरकार की तरफ से जारी रखे गए बूचड़खानों पर लगाई गई पाबंदी को हटा दिया है। हरिद्वार में बूचड़खानों को पूर्ण रूप से बंद करने के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट ने हरिद्वार जिले के मैंगलोर इलाके में मुस्लिम समुदाय को बकरीद पर जानवरों कुर्बानी देने की इजाजत दे दी है। हालाँकि, सुनवाई के चलते अदालत ने मैंगलोर नगर पालिका एवं याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि बकरीद पर कुर्बानी केवल बूचड़खाने में ही की जाएगी।
BIG BREAKING: Uttarakhand High Court allows animal slaughter in Haridwar on July 10 for Eid. HC stays the State Govt orders declaring all of Haridwar district as a slaughter-free area. HC clarifies that slaughter will be carried out only in legally compliant slaughter houses.
— Nalini (@nalinisharma_) July 7, 2022
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले की सुनावाई करते हुए चीफ जस्टिस विपिन सांघी एवं जस्टिस आरसी खुल्बे की बेंच ने निर्देश दिया कि 10 जुलाई को ईद-उल-अजहा अर्थात बकरीद केवल मंगलौर में ही मुस्लिम समुदाय के लोग जानवरों की कुर्बानी दे सकेंगे। ये भी स्पष्ट किया कि पशुओं की बलि मान्यता प्राप्त बूचड़खाने में ही की जाएगी, न कि गलियों और मोहल्लों में।
बता दें कि बीजेपी की उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल 3 मार्च 2021 को हरिद्वार के सभी क्षेत्रों को बूचड़खाना मुक्त घोषित कर दिया गया था। सरकार की तरफ से ये आदेश कुंभ को लेकर दिया गया था। उस समय हरिद्वार जिले के बीजेपी विधायकों ने तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को पत्र लिखकर यह माँग की थी कि हरिद्वार जैसे धार्मिक शहर में बूचड़खानों की अनुमति नहीं दी जाए। तत्पश्चात, राज्य सरकार ने जिले के दो नगर निगमों, दो नगर पालिकाओं एवं पाँच नगर पंचायतों में चल रहे बूचड़खानों को जारी एनओसी को कैंसिल कर दिया था।
हरिद्वार के फैसल हुसैन ने दी थी चुनौती
गौरतलब है कि इस मामले में हरिद्वार निवासी फैसल हुसैन ने उत्तराखंड हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए कहा कि जानवरों का कुर्बानी इस्लाम में एक आवश्यक मजहबी प्रथा है और ईद अल-अजहा (बकरीद) त्योहार के लिए, मंगलौर के बूचड़खाने में जानवरों की कुर्बानी की अनुमति दी जानी चाहिए, जिसका निर्माण पिछले दिनों किया गया था। लेकिन पिछले वर्ष जिले में जानवरों की कुर्बानी पर पूर्ण प्रतिबंध होने के कारण कार्य आगे नहीं बढ़ा।
वहीं याचिकाकर्ताओं की तरफ से बकरीद को देखते हुए प्रदेश सरकार के आदेश पर प्रतिबंध लगाने की माँग की गई थी। याचिका में ये कहा गया था कि मंगलौर में लगभग 90 फीसदी मुस्लिम समुदाय के लोग रहते हैं, इसलिए बकरीद पर मंगलौर में मुस्लिम समुदाय को कुर्बानी की अनुमति प्राप्त हो।