Sunday, November 17, 2024
Homeदेश-समाजदिन में 5 बार लाउडस्पीकर से नमाज ध्वनि प्रदूषण नहीं: गुजरात हाईकोर्ट, कहा -...

दिन में 5 बार लाउडस्पीकर से नमाज ध्वनि प्रदूषण नहीं: गुजरात हाईकोर्ट, कहा – मंदिर में आरती के घंटे से भी आती है आवाज

गुजरात हाईकोर्ट ने मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगाने की माँग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट का कहना है कि दिन में पाँच-दस मिनट होने वाली अज़ान से जनता के स्वास्थ्य को कोई फर्क नहीं पड़ता।

मस्जिदों में लाउडस्पीकर लगा होता है। इस लाउडस्पीकर से हर दिन पाँच बार नमाज सबको सुनाई जाती है। नमाज से लेकिन किसी प्रकार का ध्वनि प्रदूषण नहीं होता है, ऐसा गुजरात हाईकोर्ट का मानना है। गुजरात हाईकोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए यह मानने से इंकार किया कि दिन में पाँच बार नमाज से ध्वनि प्रदूषण होता है। कोर्ट ने तर्क दिया कि मंदिर में आरती के समय बजने वाले घंटे-घड़ियालों की आवाज भी बाहर जाती है।

सामाजिक कार्यकर्ता शक्ति सिंह झाला की तरफ से लगाई गई इस जनहित याचिका में माँग की गई थी कि मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर पर प्रतिबन्ध लगाया जाए। याचिकाकर्ता का कहना था कि इससे जनता और विशेषकर बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ होती हैं। इस मामले की सुनवाई गुजरात हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायधीश अनिरुद्ध पी मायी कर रहे थे।

मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने कहा, “दिन में कितने मिनट तक नमाज होती है? 5 मिनट से भी कम, इसमें ध्वनि प्रदूषण कहाँ से आया। हमें डेसिबल (ध्वनि प्रदूषण मापने का मानक) बताइए? तकनीकी रूप से कितने डेसिबल अजान से बढ़ते हैं?”

मुख्य न्यायाधीश ने इसके बाद मंदिरों में होने वाली आरती की तुलना मस्जिदों में होने वाली नमाज से कर दी। जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि अज़ान दिन में भी हो रही है और यहाँ तक कि सुबह भी हो रही है। इस पर उन्होंने कहा, “मंदिरों में भी आरती सुबह संगीत के साथ चालू हो जाती है। उससे किसी प्रकार का ध्वनि प्रदूषण नहीं होता? क्या आप कह सकते हैं कि घंटे-घड़ियालों की आवाज मंदिरों में ही रहती है। यह मंदिर परिसर के बाहर नहीं जाती?”

इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने मस्जिदों में होने वाली अज़ान के समय को लेकर बात की। उनका कहना है कि यदि कोई व्यक्ति 10 मिनट में अज़ान कर रहा है तो इससे कितना ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है, इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे बढ़ने वाले ध्वनि प्रदूषण को मापा नहीं गया, इसलिए इस पर बहस नहीं हो सकती।

कोर्ट ने इसके बाद मस्जिदों में लगे लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध ना लगाने के पक्ष में और भी तर्क दिए। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने कहा, “हम यह नहीं समझ पा रहे हैं कि लाउडस्पीकर में अज़ान करने वाले व्यक्ति की आवाज ध्वनि प्रदूषण के उस स्तर पर पहुँच सकती है, जिससे स्वास्थ्य को नुकसान हो।”

कोर्ट ने यह सब तर्क देते हुए अज़ान के लिए लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध की माँग करने वाली इस याचिका को ख़ारिज कर दिया। गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि वो इस तरह की याचिका की सुनवाई नहीं कर सकते हैं।

गौरतलब है कि हाल ही में उत्तर प्रदेश में धार्मिक स्थलों से उन लाउडस्पीकरों को उतारा जा रहा है, जो शोर मचा रहे थे। उत्तर प्रदेश में पुलिस और प्रशासन ने इसके लिए विशेष अभियान चलाया हुआ है। अब तक लगभग 3,200 स्थानों से लाउडस्पीकर उतारे जा चुके हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -