झारखंड के पश्चिम बंगाल के सीमाई इलाकों में बेतहाशा वोट वृद्धि की शिकायत मिली है। यह सामने आया है कि एक बूथ पर मतदाताओं की संख्या में 100% से अधिक बढ़ोतरी हुई है, जो असामान्य है। इसको लेकर राज्य चुनाव आयोग अब जाँच करवाने जा रहा है। इन बूथ पर बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम जुड़ने का शक है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चुनाव आयोग जल्द ही एक टीम साहेबगंज जिले की राजमहल विधानसभा क्षेत्र में भेजने जा रहा है। यह टीम यहाँ वोटों की संख्या में वृद्धि की जाँच करेगी। राजमहल विधानसभा का बड़ा इलाका पश्चिम बंगाल की सीमा से सटा हुआ है।
यहाँ एक बूथ पर तो वोट 2019 के मुकाबले दोगुने हो गए हैं। राजमहल प्रखंड बूथ पर 117% की वृद्धि देखने को मिली है। 2019 में इस बूथ पर मतदाताओं की सँख्या 689 थी जो 2024 में बढ़ कर 1400 के पार पहुँच गई है। जिन बूथ पर बढ़ोतरी हुई है, उनमें से अधिकाँश गंगा के पार दियारा क्षेत्र में स्थित हैं और इनकी सीमा पश्चिम बंगाल से सटी हुई है।
राजमहल विधानसभा में वोटरों की संख्या में एकाएक बढ़ोतरी को लेकर स्थानीय भाजपा विधायक अनंत ओझा ने राज्य के चुनाव आयोग से शिकायत की है। विधायक अनंत ओझा ने ऑपइंडिया ने इस मामले में जानकारी भी साझा की है।
विधायक ओझा ने बताया कि 2014 से 2019 के बीच जिन इलाकों में 9000 वोट बढ़ा था वहाँ 2019 से 2024 के बीच 24000 वोट बढ़ गया, जो कि आशंकित करता है। ओझा ने बताया कि उनकी विधानसभा में जहाँ पश्चिम बंगाल के सीमाई इलाकों में वोट बेतहाशा बढ़े हैं, वहीं हिन्दू बहुल बूथ पर यह वोट कम हो गए हैं।
उन्होंने ऑपइंडिया को बताया कि 17 ऐसे बूथ हैं, जहाँ हिन्दुओं के वोट पिछले पाँच वर्ष में घट गए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि 2024 लोकसभा चुनाव में कई ऐसे हिन्दू वोटर थे, जिनके पास वैध मतदाता पहचान पत्र होने के बाद भी उन्हें वोट नहीं डालने का मौका मिला। उनका नाम लिस्ट से गायब था।
विधायक ओझा ने बताया कि ऐसे वोट ना डाल पाने वाले मामले बड़ी संख्या में हैं और इनमें ऐसे लोग भी शामिल हैं जो खुद उपमुखिया हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले को लेकर हमने राज्य चुनाव आयोग से शिकायत की है। चुनाव आयोग से 73 ऐसे बूथ की शिकायत की गई है।
अब चुनाव आयोग इस विषय में जाँच करने जा रहा है। मतदाताओं के भौतिक सत्यापन के कयास भी इस मामले में लगाए जा रहे हैं। यह शक जताया जा रहा है कि कहीं बांग्लादेशी अवैध घुसपैठिये तो इस इलाके में बंगाल के रास्ते आकर कब्ज़ा कर रहे हैं। इसी को लेकर चिंताएँ और बढ़ गई हैं।
इस मामले में राज्य सरकार के कर्मचारियों पर भी प्रश्न उठे हैं। विधायक अनंत ओझा ने कहा है कि स्थानीय कर्मचारियों ने इस मामले में लापरवाही बरती है, अगर वह ऐसा ना करते तो ना ही वोट बेतहाशा बढ़ते और ना ही हिन्दू वोटर वो न डाल पाने की शिकायतें करते।
अगरतला में पकड़े गए 11 बांग्लादेशी घुसपैठिए
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में 11 बांग्लादेशी घुसपैठिए गिरफ्तार किए गए हैं। इनमें 6 पुरुष जबकि 5 महिलाएँ हैं। यह सभी अगरतला रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार हुए हैं। इन्हें RPF और GRP के संयुक्त ऑपरेशन में पकड़ा गया है। यह सभी अगरतला से बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई समेत अलग-अलग हिस्सों में जाने की फिराक में थे।
इन घुसपैठियों की पहचान सुजान राणा (20), अजीजुल शेख (30), लिमोन (19), नरगिस अख्तर (34), मोहम्मद यूसुफ अली (35), मोहम्मद साहिदुल इस्लाम (26), निपा मंडल (27), अखे बेगम (35), ओमी अख्तर (35), साजिब अली (19) और अस्मा बिस्वास (36) के रूप में हुई है। अगरतला GRP ने इस संबंध में मामला दर्ज किया है और अब इनके खिलाफ कार्रवाई चालू की जाएगी। पुलिस इस मामले में मानव तस्करी के एंगल से भी जाँच कर रही है। इनमे से कोई भी वैध कागज दिखने में सफल नहीं हुआ है।
यह पहला मौका नहीं है जब बांग्लादेशी घुसपैठियों को यहाँ से पकड़ा गया हो। जानकारी के अनुसार, पिछले दो महीने से भी कम समय में त्रिपुरा से 72 बांग्लादेशी नागरिक पकड़े गए हैं, जिनमें से ज़्यादातर महिलाएँ हैं। यह सभी घुसपैठिए देश के अलग-अलग हिस्सों में काम की तलाश में अवैध तरीकों से भारत में घुसे थे।