अयोध्या में राम मंदिर बनने पर हर जगह उत्साह है। लोग तैयारी में जुटे में हैं कि 22 जनवरी को जब प्रभु श्रीराम अपने धाम लौटेंगे तो घर-घर दीवाली मनेगी। लेकिन क्या आप जानते हैं प्रभु श्रीराम को उनका सही स्थान मिलना या उनका मंदिर बनना इतनी आसान बात नहीं थी। ये संभव हो पाया है सिर्फ कारसेवकों के बलिदान से।
कारसेवकों के साथ आज से 32 साल पहले कितनी वीभत्सता हुई होगी इसका हम लोग अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। मीडिया रिपोर्टों में कई बातें प्रकाशित हैं जिन्हें पढ़कर उस समय का अंदाजा लगा सकते हैं लेकिन बर्बरता के बारे में यदि जानना है तो फिर प्रत्यक्षदर्शियों से पूछिए या फिर कारसेवकों के परिवारों से।
*वीडियो देख कर रोंगटे खड़े हो जाएंगे*
— I LOVE BHARAT (@SunilsahuLko) January 17, 2024
समाजवादी सरकार ने अयोध्या में अनगिनत *कारसेवकों को गोली मार कर, मृत शरीर में रेत की बोरी बांध कर सरयू नदी में प्रवाहित कर दिया था* … बाद में लोगों ने अनेक शव निकाल कर अंतिम संस्कार किया था।
लेकिन और कितने अभागे थे, जिन्हे चिता की अग्नि pic.twitter.com/I5TakePU33
पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक वीडियो बहुत वायरल है। इसमें दिखाया जा रहा है कि अयोध्या में कारसेवकों को गोलियों से छलनी कर करके सरयू नदी में बहा दिया गया था। बाद में उनका शव बड़ी मशक्कत के बाद निकला। कुछ शव पहचान आ रहे थे और कुछ इतने गल गए थे कि पता तक नहीं लग पा रहा था। वो एक कंकाल हो चुके थे। शेयर होती वीडियो बेहद डरावनी है और मन में सवाल छोड़ती है कि आखिर उन कारसेवकों के साथ हुआ क्या होगा।
करोड़ों हिंदू आज राम मंदिर बनता देख खुश हैं लेकिन करोड़ों हिंदुओं के बीच ही राम मंदिर के लिए संघर्ष करनेवाले योद्धाओं के साथ जो क्रूरता हुई वो कितनों को पता है?
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) January 17, 2024
युवा पीढ़ी तो जानती भी नहीं पूरा सच।
आज पाठशाला नें सच देखिए भी और दूसरों को दिखाइए भी। pic.twitter.com/O54n65Aac1
राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी साध्वी ऋतंभरा ने हाल ही में इस संबंध में सुशांत सिन्हा के साक्षात्कार में खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि ये मंदिर सामान्य मंदिर नहीं है। 500 साल तक लगातार हिंदुओं ने एक जगह माथा टेका, वहाँ परिक्रमा की, मंदिर के लिए संकल्प लिए। ये भारतीयों के खंडित स्वाभिमान की पुन: स्थापना है।
उनसे जब पूछा गया कि जब कारसेवकों पर गोली चली तो क्या नहीं लगा कि ये तो चरम हो गया। इस पर साध्वी ऋतंभरा कहती हैं कि उनके सीने पर गोली उतारी गई थी। रेत की बोरियाँ भरकर उनके सरयू में डुबोया गया। गुरू भाई को उठाकर ले गए उसमें उन्होंने रुई बाँधी और फिर तेल डालकर उन्हें जला डाला गया, बेटियों के छाती में छल्ले दागे गए थे। साध्वी ऋतंभरा कहती हैं कि उन निहत्थों के साथ ऐसा नहीं होना चाहिए था। घर के चिराग जब घर को आग लगाते तब बहुत बुरा लगता है।
इसी तरह राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तारीख जैसे जैसे नजदीक आ रही है वैसे वैसे उन सभी लोगों के बयान प्रासंगित हो गए हैं जिन्होंने उस नरसंहार को करीब से देखा। राम मंदिर आंदोलन को करीब से रिपोर्ट करने वाले महेंद्र त्रिपाठी उन्हीं लोगों में से एक हैं। वो आज भी कारसेवकों की तस्वीर देखते-दिखाते रोने लगते हैं।
लल्लनटॉप से की बातचीत की एक छोटी क्लिप में वो कारसेवकों के साथ हुई बर्बरता की तस्वीरें दिखाकर कहते हैं- “मैंने ये सब खुद फोटो खींची थीं। सरदार परम सिंह भुल्लर को मैंने लिखा है- कारसेवकों का हत्यारा। जब मुझे किसी ने इसके बारे में बताया तो मैंने फोटो के साथ ये लिखकर रखा ताकि लोगों को पता रहे गोली कौन चलवाया।”
महेंद्र कहते हैं, “आज 32 वर्ष बीत गए हैं लेकिन जब-जब मैं ये बातें याद करता हूँ तो मेरे रौंगते खड़े हो जाते हैं। कई दिनों तक मैं सो नहीं पाता था। मुझे लगता था कारसेवकों को मेरे आगे गोली चल रही है। मैं उन्हें बचा रहा हूँ।” इतना कहकर वो फफक पड़ते हैं।
This is the journalist who captured the firing from the
— Aadi Cash (@kash_aadi) January 14, 2024
closest . It was Sardar Parmjeet Singh Bhullar,who was the crpf commandant, when kothari brothers nd other karsewaks where murdered….nd @MrSinha_ 's boss gave Mulayam Padma Vibhushan pic.twitter.com/OgxROcAI1J
मालूम रहे कि राम मंदिर वाकई कोई सामान्य मंदिर नहीं है। ये एक कई पूरी पीढ़ी का संघर्ष है जिसे आज चरितार्थ होते देखा जा रहा है। कारसेवकों का बलिदान है जिन्हें 32 वर्ष बाद जाकर सम्मान मिला है। उन परिवारों के आँसुओं का हिसाब है जो इस मंदिर के लिए लोगों ने बहाये। ऑपइंडिया उन लोगों के दर्द पर ग्राउंड रिपोर्ट्स भी कर रहा है। आप इस लिंक पर क्लिक कर उसे पढ़ सकते हैं।