बिहार के बेगूसराय के बछवारा पुलिस थाने के अंतर्गत भिखम चक गाँव से गत 26 जुलाई को एक नाबालिग हिंदू लड़की को बंदूक की नोक पर उस समय अगवा कर लिया गया था, जब वह अपने पिता के साथ बाजार से लौट रही थी।
नाबालिग लड़की के पिता दिनेश ने आरोप लगाया था कि जब वह बेगूसराय जिले के मंसूरचक ब्लॉक में बेहरामपुर में पंचायत भवन को पार कर रहे थे, उसी वक्त मुख्य आरोपित नजमुल और एक महिला सहित सात लोगों ने एक बोलेरो कार में उसकी बेटी को जबरन बंदूक की नोक पर अगवा कर ले गए।
इस घटना को घटित हुए 17 दिन हो गए हैं। लेकिन अभी तक माता-पिता के पास अपनी बेटी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। ऑपइंडिया से बात करते हुए, लड़की के पिता दिनेश ने कहा कि उनकी बेटी अभी भी लापता है। पिता ने आरोप लगाया कि पुलिस उसकी तलाश के लिए कुछ नहीं कर रही है।
दिनेश कुमार पंडित ने मुख्य आरोपित इज़मुल खान उर्फ नजमुल उर्फ आर्यन और उसके साथी, मोहम्मद नरूल अंसारी, मोहम्मद मुनफ़र अंजुम अंसारी अलार चंद, फ़रत और अन्य लोगों के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई थी। वहीं, दिनेश ने यह भी बताया था कि पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) 2 अगस्त को उनसे मिलने आए थे और उन्हें धमकाया।
घटना के बारे में बात करते हुए, दिनेश ने कहा कि पुलिस उनकी शिकायतों पर विश्वास नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बेगूसराय के डीएसपी ने उनकी बातों को बेतुका करार दिया है। इसके अलावा उन्होंने घटना को एक मनगढंत कहानी भी बताया है।
पुलिस ने दिनेश से सबूत माँगा
बेटी के अपहरण के मामले में पुलिस की उदासीनता के बारे में बताते हुए, दिनेश ने कहा कि उनके परिवार के सदस्य नियमित रूप से मुख्य आरोपित नजमुल के भाई को पड़ोस के गाँव में उनके घर में देखते हैं। वह 10 अगस्त को भी वहीं था, लेकिन जब भी वे पुलिस से पूछते हैं कि वे उसे गिरफ्तार क्यों नहीं कर रहे हैं, तो पुलिस यह दावा करते है कि जब भी वे नजमुल के घर पर छापा मारते हैं तो कोई भी वहाँ मौजूद नहीं होता है।
नाबालिक लड़की के पिता ने कहा- “पुलिस ने मुझे कुछ सुराग देने के लिए कहा। मैं एक गरीब और असहाय आदमी हूँ, मैं कहाँ से सुबूत इकट्ठा करके उन्हें दूँगा?”
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने पुलिस को सूचित किया कि उनके परिवार के सदस्यों ने कल भी नजमुल के भाई को देखा था? दिनेश ने जवाब दिया कि पुलिस को सूचित किया गया था, लेकिन उन्हें इस बारे में नहीं पता है कि जानकारी प्राप्त करने के बाद में क्या कार्रवाई हुई।
बातचीत के दौरान, दिनेश ने यह भी पुष्टि की कि उन्हें इस घटना के बाद उनकी बेटी या अपहरणकर्ताओं की तरफ से कोई कॉल नहीं आया है। किसी भी लड़की के पिता के लिए इससे अधिक चुनौतीपूर्ण कुछ भी नहीं हो सकता है कि उसकी नाबालिग बेटी 17 दिन से से गायब है और उन्हें नहीं पता कि किस तरह वह अपनी बेटी को सुरक्षित वापस लाएँ।
दिनेश ने बताया कि बेटी के अगवा होने के बाद उसकी माँ की हालत बहुत ही खराब है। पूरा परिवार बेहद निराश है। दिनेश ने कहा कि अपनी बेटी को ढूँढने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी है। और सभी बड़े और प्रभावशाली लोगों से संपर्क करने की भी कोशिश की, जिनसे वो परिचित था। सभी ने आश्वासन दिया कि वे इस मामले को देखेंगे, लेकिन किसी को परवाह नहीं है। पीड़िता के पिता दिनेश का कहना है कि किसी ने भी उनके मामले में कोई दिलचस्पी नहीं ली।
हमनें सुना था कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं, लेकिन ये सब किताबी बातें हैं: नाबालिक लड़की के पिता
दिनेश ने ऑपइंडिया को बताया कि उन्होंने बेगूसराय के पूर्व विधायक और बिहार कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के राज्य कार्यकारिणी के सदस्य अवधेश कुमार राय से संपर्क किया और उनसे अनुरोध किया कि वह पुलिस को मामले में कुछ ठोस कार्रवाई करने का निर्देश दें। दिनेश ने बताया कि, आश्वासन के बावजूद, सीपीआई सदस्य अवधेश ने पुलिस से संपर्क नहीं किया। उन्होंने आगे कहा, “चाहे पंचायत सरपंच हो या मुखिया, मैंने सभी के दरवाजे खटखटाए हैं, लेकिन बदले में मुझे सिर्फ निराशा ही हाथ लगी।”
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने कॉन्ग्रेस के स्थानीय विधायक रामदेव राय से संपर्क किया? इस पर दिनेश ने पुष्टि की कि हालाँकि उन्होंने सीधे उनसे संपर्क नहीं किया था, लेकिन उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी के ब्लॉक प्रतिनिधि से बात की थी। वो शुरू में पुलिस अधिकारियों से मिले क्योंकि कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता ने कहा कि यह उनके लिए फायदेमंद होगा और उनके मामले को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। उस दिन के बाद ब्लॉक प्रतिनिधि ने भी उनसे संपर्क नहीं किया है। न ही इस मामले में कोई आगे की कार्रवाई की।
लड़की के पिता ने आगे कहा, “अमिय कश्यप सहित कुछ ही भाजपा सदस्य सांत्वना देने और हमें फिर से आश्वासन देने के लिए हमारे पास आते रहते हैं, अन्यथा कोई भी हमारे पास नहीं आता है। किसी भी मीडिया ने हमसे संपर्क नहीं किया।”
यह कहते हुए कि उनका परिवार अब अपनी बेटी को वापस पाने की उम्मीद और न्यायिक प्रणाली में अपने विश्वास को खो रहा है, नाबालिग लड़की के निराश पिता ने कहा – “हमनें सुना था कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं, लेकिन ये सब किताबी बातें हैं। गरीब आदमी को कोई देखने वाला नहीं है इस हिंदुस्तान में।”
दिनेश से बात करने और पुलिस और न्यायपालिका के साथ उनकी शिकायतों को सुनने के बाद, ऑपइंडिया ने बेगूसराय के डीएसपी ओम प्रकाश से इस घटना का संस्करण जानने के लिए संपर्क किया।
यह सब प्यार मोहब्बत का चक्कर है, किडनैपिंग की कहानी गलत है: बेगूसराय डीएसपी ओम प्रकाश
जैसे ही हमने उनसे बताया कि किस घटना के बारे में हम उससे बात करना चाहते हैं, डीएसपी ने कहा, “आपको गलत जानकारी दी गई है। किसी भी नाबालिग लड़की का अपहरण नहीं हुआ। लड़की का लड़के के साथ प्रेम संबंध था।”
बेगूसराय डीएसपी ने कहा कि पहले दो बार (हिंदू नाबालिग लड़की और संप्रदाय विशेष का लड़का, नजमुल) दो बार पकड़े गए हैं। लड़की के पिता की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पंचायत सदस्यों ने डेढ़ साल पहले लड़के को तब पीटा भी था, जब वह लड़की को प्रेमपत्र देते हुए पकड़ा गया था। वहीं, पहले भी 2 बार लड़की के पिता ने उसका मोबाइल फोन उस समय तोड़ दिया, जब वह नजमुल से बात करते हुए पकड़ी गई थी। डीएसपी ने दावा किया कि यह चीजें बहुत लंबे समय तक गाँव में छुपी नहीं रह सकती हैं।
डीएसपी ने कहा कि इस बार भी दिनेश ने 26 जुलाई की देर शाम तक बेटी के वापस न आने पर ग्राम पंचायत से संपर्क किया था। उन्होंने अपनी बेटी को वापस पाने के लिए पंचायत सदस्यों से आग्रह किया। यह पंचायत की बैठक ग्राम पंचायत के प्रमुखों, सरपंच, लड़की के परिवार के सदस्यों और लड़के के भाई की उपस्थिति में आयोजित की गई थी। जिस दौरान दिनेश ने सदस्यों से नजमुल के भाई से नजमुल के संपर्क विवरण देने के लिए कहा था। लेकिन लड़के के भाई ने कहा कि उसे कुछ पता नहीं है और उसके पास नजमुल का कॉन्टेक्ट डिटेल नहीं है।
‘आप सोचिए, यहाँ दिन दहाड़े कोई भी बंदूक की नोक पर क्या ऐसे किसी को उठा के ले जा सकते हैं?’ बेगूसराय डीएसपी ने यह सवाल पूछते हुए कहा कि पीड़िता का पिता दिनेश झूठ बोल रहा था।
डीसीपी ने आगे कहा, पंचायत सदस्यों ने इससे आगे हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, क्योंकि यह पहली बार नहीं था। जब दोनों ने दोनों शादी के करने के लिए भाग गए थे। तब दिनेश ने इसे काल्पनिक कहानी बना कर इस घटना को धर्म का एंगल दे दिया।
बिहार चुनाव के चलते इस घटना पर हो रही राजनीति: डीसीपी
डीएसपी ने कहा- “यह बिहार है। यहाँ बहुत भ्रष्टाचार है। लोग गंदी राजनीति करते हैं। और अब जब चुनाव दिन आसपास हैं, संयोग से यह विशेष मामला एक हिंदू लड़की और संप्रदाय विशेष के एक लड़के से संबंधित है, कुछ भाजपा नेता दिनेश और इस घटना का उपयोग राजनीतिक लाभ के लिए कर रहे हैं। यही वजह है कि दिनेश ने इस घटना को सांप्रदायिक मोड़ देते हुए एफआईआर दर्ज की है।”
हालाँकि, बातचीत के दौरान डीएसपी की आवाज बीच में स्पष्ट रूप से सुनी नहीं गई, लेकिन उन्हें ‘पाकिस्तान एंगल’ का उल्लेख करते हुए भी सुना जाता है, जिसके द्वारा हम मानते हैं कि वह दिनेश द्वारा दिए गए बयान के बारे में बात कर। दिनेश ने FIR में इस बात का जिक्र किया था कि नजमुल ने कथित तौर पर लड़की के पिता से कहा था अगर यह पाकिस्तान होता, तो वे लड़की को घर से ले जाते।
डीएसपी ने कहा कि लड़की के पिता ने पाकिस्तान के बयान का सपना देखा है। इस घटना पर हँसते हुए डीएसपी ने कहा, “आप कल्पना कर सकते हैं, प्राथमिकी में लड़के की 17-18 वर्षीय बहन, उसकी माँ, दो भाइयों का सह-अभियुक्त के रूप में उल्लेख किया गया है। क्या यह संभव है कि ये लोग किसी का अपहरण कर सकते हैं, वह भी गनपॉइंट पर?”
डीएसपी ओम प्रकाश ने कहा, “यह एक साधारण प्रेम संबंध का मामला है। जिसे लड़की के परिवार वाले तमाशा बना रहे हैं।” जब डीएसपी ने इस आरोप के बारे में पूछा गया कि पुलिस पीड़ित परिवार का सहयोग नहीं कर रही है, तो उन्होंने उल्टा लड़की के पिता पर ही आरोप लगा दिया कि दिनेश जाँच में सहायता नहीं कर रहे थे। डीसीपी ने कहा कि लड़की के पिता ने अपना मोबाइल नंबर पुलिस को नहीं दिया और थाने में बुलाने पर भी वह नहीं गए।
डीएसपी ने कह कि वो सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं, लेकिन जब परिवार के सदस्य सहयोग नहीं करते हैं तो क्या कर सकते हैं। अधिकारी ने आगे कहा कि वह मानते हैं कि दोनों कोलकाता भाग गए हैं। डीएसपी ओम प्रकाश ने कहा कि पुलिस को 4-5 मोबाइल नंबर मिले, जिससे उन्होंने पता लगाने की कोशिश की, लेकिन जाँच की शुरुआत से ही ये नंबर बंद आ रहे हैं।
डीएसपी ने कहा कि दिव्यांशु नाम के एक नजमुल के दोस्त ने किसी को बताया था कि कोलकाता में उनके दोस्त ने नजमुल को अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आने का सुझाव दिया था। डीएसपी ने कहा कि चूँकि बिहार चुनाव पास आ रहे हैं, इसलिए कुछ लोग भ्रम पैदा करना चाहते हैं। यह एक तनावपूर्ण माहौल है और इस घटना से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
सिर्फ लड़की के परिजनों से कर रही है बेगूसराय की पुलिस पूछताछ
यह पूछे जाने पर कि क्या पुलिस ने आरोपित लड़के के परिवार को भी तलब किया है? डीएसपी ने आश्चर्यजनक रूप से हमें बताया कि उन्होंने केवल उस परिवार से पूछताछ की थी, जिसने पंचायत (लड़की के परिवार) से संपर्क किया था। हालाँकि, यह एक रहस्य बना हुआ है कि जब पीड़ित लड़की नाबालिग थी, तो लड़के के परिवारवालों से क्यों पूछताछ नहीं की गई थी? उन्होंने कहा कि उन्हें 30 जुलाई को सूचना दी थी कि एक नाबालिग लड़की का बंदूक की नोक पर अपहरण कर लिया गया था।
नाबालिग लड़की के पिता दिनेश ने बताया कि शाम 5 बजे के आसपास, एक महिला सहित सात लोग, एक बोलेरो कार में उनके पास पहुँचे, जब वे बेगूसराय जिले के मंसूरचक ब्लॉक में बेहरामपुर में पंचायत भवन पार कर रहे थे। और जबरन बेटी को बंदूक की नोक पर उठा के गए।
नजमुल को छह अन्य लोगों के साथ मुख्य आरोपित के रूप में नामित करते हुए, दिनेश ने अपनी शिकायत में लिखा था कि घटना के बाद, वह और उसकी पत्नी इज़मुल खान के घर गए थे, जहाँ उन्हें उसकी माँ हसीना खातुन मिली थी। शिकायत में लिखा गया है कि जब उन्होंने हसीना खातून से इस घटना के बारे में बताने की कोशिश की, तो वह चीखने चिल्लाने लगी थी। उन्होंने भीड़ इकट्ठा कर लड़की के पिता के साथ बदसलूकी और मारपीट भी की।
पीड़ित लड़की के पिता दिनेश ने शिकायत में कहा है कि उन्होंने उनकी पत्नी का मंगलसूत्र खींचकर धमकी दी थी कि अगर वे उसके घर से तुरंत बाहर नहीं निकलेंगे, तो वह उसकी बेटी को बांग्लादेश में बेच देगी और उसे वेश्यावृत्ति में धकेल देगी।
वहीं, लड़की के नाबालिग होने के बावजूद, SHO ने पुष्टि की थी कि इस मामले में POCSO अधिनियम को लागू नहीं किया जाएगा और आरोपितों पर IPC की धारा 366, 323, 341, 379, 384 और 504 के तहत अपहरण और चोट पहुँचने का मामला दर्ज किया गया था।