बेंगलुरु दंगों की सच्चाई उजागर करने के लिए सिटिजन फॉर डेमोक्रेसी ने सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश श्रीकांत बबलादी की अध्यक्षता में पूर्व न्यायधीशों, पत्रकारों, और ब्यूरोक्रेट्स की एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दंगे पूर्व नियोजित और संगठित थे। इन्हें विशेष रूप से कुछ खास हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए अंजाम दिया गया। इस साल की शुरुआत में हुए दिल्ली दंगों और हालिया स्वीडन दंगों जैसी समानता भी मिली है। कमेटी ने जाँच में पाया कि कई स्थानीयों का भी इन दंगों को करवाने में हाथ था और उन्हें इसके बारे में पहले से पता था।
रिपोर्ट में लिखा है, “इस योजना को राजनैतिक द्वंद की तरह पेश करने का प्रयास जरूर किया गया, बावजूद इसके, यह निस्संदेह साम्प्रदायिक रूप से प्रेरित था। जिस तरह से घरों पर हमला किया गया और जिन लोगों को निशाना बनाया गया, उसका मकसद डर फैलाना भी हो सकता है ताकि इलाके की जनसांख्यिकी प्रभावित हो और उसे बदल कर मुस्लिम बहुल किया जा सके। ”
कमेटी का कहना है कि इन दंगों में SDPI और PFI भी शामिल थे। रिपोर्ट में लिखा है, “दंगाइयों के अन्य समूह ने नवीन के घर पर इस तरह हमला बोला, जैसे उन्होंने श्रीनिवासन मूर्ति के घर पर बोला था। पर, चूँकि वहाँ कोई सुरक्षाकर्मी नहीं था, इसलिए दंगाई उसके घर में घुस पाए और तोड़फोड़ की। नवीन के घरवालों ने फौरन पड़ोसियों के घर जाकर अपनी जान बचाई। इस बीच दंगाइयों ने पेट्रोल बम, पत्थर, लोहे की रॉड से घर में तबाही मचा दी। दंगाइयों ने केरोसिन, पेट्रोल और ज्वलनशील पदार्थों को फेंक कर घर में आग लगाई।”
नवीन कुमार के पिता पवन कुमार ने कमेटी को बताया, “व्यक्तिगत रूप से घर पर हुए हमले का साक्षी होते हुए मैं, मेरी पत्नी, हमारी बेटी और उसके बच्चे सब मौत से डर गए थे। इसलिए हम पहले फ्लोर पर गए और वहाँ के पीछे वाले दरवाजे से हमने पड़ोसियों के घर में छलांग लगाई और जान बचाने के लिए शरण ली।”
उन्होंने बताया, “अनियंत्रित भीड़ ने हमारे घर के सामने इकट्ठा होकर पेट्रोल बम फेंके और केरोसीन को घर में, सोफे पर, फर्नीचर पर डाल कर आग लगाई। हमले के समय उन्होंने फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक आइटम और जरूरी कागजातों को जला डाला। उन्होंने 5 लाख के करीब में कैश लूटा और पत्नी के गहने भी ले गए। हमारे पड़ोस की एक संप्रदाय विशेष की महिला ने घर में जाकर मेरे पत्नी को बचाया और उसे भागने में मदद की।”
कर्नाटक रक्षा वेदिके के एक सक्रिय सदस्य अरुण गौड़ा, जो उस दिन अपनी 8 महीने की गर्भवती पत्नी के साथ मौजूद थे, उन्होंने बताया कि उनके घर पर उसी इलाके के संप्रदाय विशेष के युवकों ने हमला किया था।
हिंदुओं के घर के अलावा दो थानों पर भी हमला बोला गया था। केजी हल्ली थाने थोड़ा नुकसान पहुँचा था, वहीं डीजे हल्ली थाने को बहुत नुकसान हुआ था। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि भीड़ ‘अल्लाह हू अकबर’ और ‘नारा-ए-तकबीर’ के नारे लगा रही थी।
रिपोर्ट में कहा गया, “दंगों का पैटर्न दिल्ली और स्वीडन की तरह है। इसलिए, राज्य के लिए यह आवश्यक है कि वह घटना की समग्र रूप से जाँच करे और उन्हें (दंगाइयों को) अलग-थलग और स्थानीय न समझे।” इसमें कमेटी द्वारा यह भी सलाह दी गई कि ऐसे साम्प्रदायिक तनावों का सामना करने वाले संभावित क्षेत्रों को पुलिस चिह्नित कर लिया जाना चाहिए। साथ ही इस तरह के तनावों पर रोक लगाने के लिए दीर्घकालिक योजनाएँ बनानी चाहिए।
रिपोर्ट में कहा गया, “सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66ए के उन्मूलन के साथ, किसी भी धर्म, जाति, वर्ग, संगठन या संप्रदाय के लोगों को निशाना बनाने वाली अपमानजनक, और घृणास्पद सामग्री को रोकने और उन पर मुकदमा चलाने के लिए एक तंत्र विकसित किया जाना है।” इसमें आगे कहा गया कि इस मामले में जाँच इसलिए भी की जानी चाहिए कि आखिर भीड़ के पास इतने हथियार, पेट्रोल बम इतने कम समय में कैसे आए।
PFI और SDPI की गतिविधियों की निगरानी के अलावा, समिति ने यह भी कहा कि कर्नाटक सरकार को राज्य में धार्मिक अतिवाद के स्रोत का अध्ययन करने के लिए एक समिति का गठन करना चाहिए। यह भी राय दी कि राज्य के प्रमुख शहरों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन का अध्ययन किया जाना चाहिए और दंगों में अवैध प्रवासियों की भूमिका की जाँच की जानी चाहिए।
गौरतलब है कि 11 अगस्त को बेंगलुरु में हुए दंगों में 3 लोगों की मौत हुई थी और कई जख्मी हो गए थे। दंगाइयों ने दर्जनों गाड़ियों को आग लगा दी थी और करोड़ों की संपत्ति को नुकसान पहुँचाया था। कॉन्ग्रेस विधायक श्रीनिवास मूर्ति के घर और थाने में तोड़फोड़ भी की गई थी।
मूर्ति के भतीजे नवीन पर पैगम्बर मुहम्मद को लेकर विवादित पोस्ट करने का आरोप लगाते हुए हिंसा को अंजाम दिया गया था। हिंसा के सिलसिले में अब तक करीब 150 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। राज्य सरकार ने कहा था कि हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई दंगाइयों से ही की जाएगी।