Friday, October 18, 2024
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एल्गार परिषद के 5 आरोपितों को बॉम्बे हाई कोर्ट ने नहीं दी डिफॉल्ट बेल: भीमा कोरेगाँव मामले में UAPA के तहत 2018 में हुए थे गिरफ्तार, एडवोकेट से लेकर प्रोफेसर तक शामिल

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) देवांग व्यास के नेतृत्व में अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध किया। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि तत्काल याचिका में दिए गए अधिकांश आधारों पर विचार करने के बाद न्यायमूर्ति शिंदे की पीठ ने दिसंबर 2021 में इसे खारिज कर दिया था और गडलिंग को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने शुक्रवार (26 जुलाई 2024) को भीमा कोरेगाँव हिंसा मामले में सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, रोना विल्सन, सुधीर धावले और शोमा सेन को जमानत देने से इनकार कर दिया। खुद को दलित एक्टिविस्ट कहने वाले इन सभी पाँचों आरोपितों को एल्गार परिषद के मामले में जून 2018 में गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था।

बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एएस गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम सी चांडक की खंडपीठ ने इन आरोपितों को याचिका पर सुनवाई की और उन्हें जमानत देने से इनकार दिया। आरोपितों ने विशेष अदालत के साल 2022 के उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें डिफॉल्ट बेल देने से इनकार कर दिया गया था। इसके बाद वे 28 जून 2022 को हाई कोर्ट पहुँचे थे।

महेश राउत को पिछले साल बॉम्बे हाई कोर्ट ने नियमित जमानत दी थी। हालाँकि, राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए समय माँगे जाने के बाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश पर एक सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी। इसके बाद एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की। सर्वोच्च न्यायालय ने नियमित जमानत पर रोक लगा दी।

वहीं, नागपुर यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर शोमा सेन को 5 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने नियमित जमानत दी थी। वहीं, नागपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुधीर धवले, रिसर्चर रोना विल्सन और एडवोकेट सुरेंद्र गाडलिंग तथा महेश राउत अभी भी हिरासत में हैं। इससे पहले दिसंबर 2021 में न्यायमूर्ति संभाजी शिंदे की अगुवाई वाली हाईकोर्ट की बेंच ने गडलिंग को डिफ़ॉल्ट ज़मानत देने से मना कर दिया था।

बेंच ने इस मामले में सह-आरोपित सुधा भारद्वाज को डिफ़ॉल्ट ज़मानत दे दी थी, जबकि गडलिंग सहित 8 को ज़मानत देने से इनकार कर दिया था। मौजूदा कार्यवाही में गडलिंग ने राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) अधिनियम के तहत मामलों की सुनवाई के लिए नामित एक विशेष अदालत के 28 जून 2022 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने उनकी डिफ़ॉल्ट ज़मानत याचिका को खारिज कर दिया था।

अपने आवेदन में गडलिंग ने कहा कि पुलिस ने पुणे की विशेष अदालत से चार्जशीट दाखिल करने के लिए और समय माँगा है। नागपुर में प्रैक्टिस करने वाले वकील ने अपनी याचिका में आगे बताया कि चार्जशीट दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय माँगने वाली अर्जी सितंबर 2018 में दायर की गई थी और एनआईए को इसके लिए 90 दिन और मिले थे।

याचिका में कहा गया है कि पहली चार्जशीट 90 दिनों की अवधि का उल्लंघन करते हुए नवंबर 2018 में दायर की गई थी। इसके अलावा, फरवरी 2019 में एक अतिरिक्त चार्जशीट दायर की गई थी। चार्जशीट दाखिल करने के लिए दिए गए समय का विस्तार गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों का उल्लंघन था।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) देवांग व्यास के नेतृत्व में अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिका का विरोध किया। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि तत्काल याचिका में दिए गए अधिकांश आधारों पर विचार करने के बाद न्यायमूर्ति शिंदे की पीठ ने दिसंबर 2021 में इसे खारिज कर दिया था और गडलिंग को जमानत देने से इनकार कर दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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