बिहार के भागलपुर में गंगा नदी में एक बच्चे को तैरने वाला पत्थर मिला है। इस पत्थर पर ‘श्रीराम’ लिखा हुआ है। बच्चे के परिजन इसे रामायण काल से जोड़ रहे हैं। यह पत्थर पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया है। लोग इसकी पूजा करने के लिए बच्चे के घर पर पहुँच रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खंजरपुर निवासी विजय कुमार पासवान के आठ साल के बेटे ब्रिगेडियर पासवान को धोबी घाट के पास यह पत्थर तैरते हुआ दिखा। वह इसे उठाकर वह अपने घर ले आया। अब श्रीराम लिखा हुआ यह पत्थर लोगों की आस्था का केंद्र बन गया है। इसे देखने और इसकी पूजा-अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या में लोग पासवान के घर पहुँच रहे हैं। कोई उसे प्रणाम कर रहा है, तो कोई इसे भगवान श्रीराम का आशीर्वाद समझ रहा है।
बच्चे ब्रिगेडियर पासवान का कहना है कि जब वह दियारा जा रहा था, तभी उसने धोबी घाट के पास इस पत्थर को तैरता देखा। उसने इसे बहुत डूबोने का प्रयास किया, लेकिन यह नहीं डूबा। इस पर श्रीराम लिखा हुआ है। यह पत्थर रामायण काल का बताया जा रहा है। यह वही पत्थर लग रहा है, जिसका इस्तेमाल रामसेतु बनाने में हुआ था। बच्चे के पिता विजय कुमार पासवान ने बताया कि जब बेटा इस पत्थर को घर लेकर आया, तो हम लोगों ने उसे पानी में डाला। लेकिन यह पत्थर पानी में डूबा नहीं, बल्कि तैरने लगा। उस पत्थर पर श्रीराम लिखे होने के कारण लोग इसे पूजने के लिए पहुँच रहे हैं।
वहीं, वैज्ञानिकों की माने तो यह पत्थर एक स्पंज के समान होता है। यह खुरदरा होता है। इसमें बहुत सारे छिद्र होते हैं। इस पत्थर में हवा भरे होने के कारण इसका घनत्व पानी से कम होता है, जिसकी वजह से यह पानी में तैरता है। हालाँकि, अभी इसकी जाँच को लेकर आर्कियोलॉजी या सरकारी विभाग से कोई टीम नहीं पहुँची है।
पहले भी मिल चुका है श्रीराम लिखा हुआ पत्थर
यह पहली बार नहीं है, जब किसी बच्चे को श्रीराम लिखा हुआ पानी में तैरने वाला पत्थर मिला हो। इससे पहले उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में भी इस तरह का मामला सामने आ चुका है। अगस्त 2022 में कुछ बच्चों को ईशान नदी में राम नाम का पत्थर तैरता हुआ मिला था।
बच्चे उस पत्थर को अपने गाँव उठा लाए। ग्रामीण इसे चमत्कारी पत्थर मानकर उसकी पूजा-अर्चना करने लगे। गाँव के प्रधान ने जब पत्थर का वजन कराया, तो यह 5 किलो 700 ग्राम का निकला। इसके बाद यहाँ के लोगों ने इस पत्थर को गाँव के मंदिर में रखने और उसकी पूजा करने का फैसला लिया था।