बिहार के सारण (छपरा) जिले में दलित समुदाय के लोगों के धर्म परिवर्तन का आरोप लगा कर स्थानीय लोगों ने हंगामा किया है। बताया जा रहा है कि सदर प्रखंड में एक गाँव के पास चर्च बनाने को ले कर विवाद उठ खड़ा हुआ है। स्थानीय लोगों ने चर्च बनाने वालों पर आस-पास के लोगों का धर्मान्तरण करने का आरोप लगाया है। मामले की शिकायत प्रशासनिक अधिकारियों से भी की गई है। चर्च बनवा रहे लोग आंध्र प्रदेश के निवासी बताए जा रहे हैं।
छपरा सदर प्रखंड के जटुवा गांव के पास एक चर्च निर्माण को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि चर्च निर्माण में लगे लोग आसपास के इलाकों में जबरन धर्म परिवर्तन करा रहे हैं। pic.twitter.com/7sqrMvjUxe
— News18 Bihar (@News18Bihar) May 27, 2022
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक DM और SP को दी गई अपनी शिकायत में स्थानीय लोगों ने चर्च बनवा रहे लोगों पर स्थानीय लोगों को बहला फुसला कर धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए SDO और DSP ने गाँव का दौरा किया है। बताया जा रहा है कि गाँव वालों ने प्रशासन को एक वीडियो भी दिया है जिसमें कुछ लोग गाँव के ही खेतों में खड़े हो कर प्रार्थना करते दिखाई दे रहे हैं। छपरा के भाजपा नेता शैलन्द्र सेंगर ने ऑपइंडिया को बताया कि चर्च बनाने वाले का नाम मधुकर है जो आंध्र प्रदेश के गुंटूर का निवासी है।
गाँव का नाम जटुआँ है। स्थानीय निवासी भारत माँझी ने न्यूज़ 18 को बताया, “हमारा विरोध इस बात का है कि यहाँ के लोगों को पैसे का लालच दिया जा रहा है। यहाँ पर दलित बस्ती है। इन्हें भ्रमित किया जा रहा है। फ्री शादी, शिक्षा और चिकित्सा का वादा किया जा रहा। यहाँ जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है। 3-4 आदमियों को ईसाई बना भी दिया गया है।”
एक अन्य स्थानीय निवासी शत्रुघन पासवान ने बताया, “हमसे कहा गया कि अपने देवी-देवताओं का नाम लेना बंद करो और हमारे गॉड का नाम लो। ये हमसे तो नहीं होगा। इसके बाद हमको पैसे का लालच दिया गया। हमसे कहा गया कि भगवान पेट नहीं भरेगा तो हमने जवाब दिया कि हाँ, भगवान पेट भरता है।” इसी वीडियो में एक अन्य निवासी राजा सिंह ने कहा, “यहाँ से मात्र 1 किलोमीटर दूर बिहार के गौरव जैसा द्वारकाधीश मंदिर है। फिर भी क्रिश्चियन धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहे जो सही बात नहीं है।”
एक अन्य वीडियो में चर्च बनाने वाले कारीगरों को काम बंद करके जाते हुए देखा जा रहा है। कारीगरों का कहना है, “हम काम करने का ठेका लिए हैं जवाब देने का नहीं। अभी हमें एक भी पैसा नहीं मिला है। हम यहाँ से काम बंद कर रहे हैं। जो हमसे ये बनवा रहे हैं उनका नाम हमें मालूम नहीं है।”
संजीवनी समाचार ने इस मामले में 26 मई 2022 को ग्राउंड रिपोर्ट की है। उनके रिपोर्टर से एक स्थानीय बुजुर्ग को कहे सुना गया, “मर जाएँगे, मिट जाएँगे लेकिन धर्म परिवर्तन नहीं करेंगे।” एक महिला को कहते सुना गया कि वो (चर्च बनाने वाले) सब बाहरी हैं। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “इस गाँव में हमारी आबादी लगभग 600 से 700 के आस-पास है। हमें धमकाया गया कि अगर धर्म परिवर्तन नहीं किए तो हमारा रास्ता रोक दिया जाएगा। हमें 1 लाख रुपए लालच दिया गया लेकिन हमने 10 लाख देने पर भी धर्म न बदलने का जवाब दिया। हम सनातनी हैं और हिन्दू धर्म में ही रहेंगे। ईसाईयों की संख्या लगभग 30-40 के आस-पास थी। जब हमारी तरफ से लोग जमा होने लगे तब वो भाग गए। कल से वो नहीं आए हैं। 2 साल पहले ही 2 लोगों का धर्म परिवर्तन करवाया गया था। हमने उन दोनों का बहिष्कार कर दिया है। उनके घर हमने खाना-पीना बंद कर दिया है।”
सारण जिले के भाजपा नेता शैलेन्द्र सिंघल ने कहा, “यह एक विदेशी साजिश है। आंध्र प्रदेश से आया एक व्यक्ति यहाँ जमीन खरीदता है और 2 दलितों को वो ईसाई बनाता है। उन्हें लालच के तौर पर 1-1 लाख रुपए भी दिए गए। इसके बाद वो यहाँ चर्च बनाने की घोषणा कर देता है। जमीन लगभग 1 बीघे है। वो पूरी दलित बस्ती को ईसाई बना देना चाहता है। वो लोगों के घरों में अपना कैलेंडर लगा रहा था। अपनी मजहबी पुस्तकों को बाँट रहा था। कुछ लोगों को उसने पैसे भी दिए हैं। इसकी जानकारी लगभग 1 माह से मिल रही थी। तब तक सिर्फ अनुमान लगाए जा रहे थे। जब उसने जमीन खरीदी तब ही लोगों ने जान लिया था कि चर्च बनेगा। जब निर्माण का सामान आदि गिर गया तब उनको हम लोगों ने रोका। फिर वो पुलिस के साथ आए। पुलिस ने भी हमसे ही सवाल किया कि किसी को आप कैसे रोक सकते है? लेकिन हम किसी भी कीमत पर चर्च नहीं बनने देंगे।”
हिन्दू संगठनों ने चर्च निर्माण स्थल पर की हनुमान जी की पूजा
गौरतलब है कि जिस स्थान पर चर्च का निर्माण होना था उस जगह पर हिन्दू संगठनों ने पीपल के पेड़ के नीचे हनुमान जी की पूजा की है। बजरंग दल कार्यकर्ता बोलू सिंह ने इस पूजा के वीडियो और फोटो शेयर करते हुए लिखा, “जहाँ चर्च बनवाया जा रहा था उसी स्थान पर पहले पीपल के नीचे हनुमान जी की पूजा हुआ करती थी। कुछ लोभियों ने उस पूजा को बंद करवाया था जिसे फिर से शुरू करवाया गया है।” इस दौरान गाँव वाले ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाते सुनाई दे रहे हैं।